चैप्टर-2
वहां स्वास्तिक ने छगनमाल से पिस्ता लड्डू की कीमत पूछी। छगन ने बताया 1400 रुपये किलो! अरे बापरे! इमनी महगी मिर्ठाअ! मेरा तो कुल बजट 2000 का ही है। अगर इतनी महंगी मिठाई मेहमानों को खिला दी तो वे तो खुश जाएंगे पर जेब तो मेरी कट जाएगी।
पाखी ने मिठाई के रेट सुनकर के स्वास्तिक के चेहरे पर हो रहे उतार.चढावों को भांप लिया। वह उसे समझाते हुए बोली. डार्लिंग मायूस मत होओ! अपन ये मिठाई भी घर बना लेंगे! स्वास्तिक को पाखी की रेसिपीज के पुराने अनुभवों को देखते हुए भरोसा हो गया कि वह यह मिठाई भी अच्छे से बना लेेगी।
अगले दिन स्वास्तिक और पाखी दोनों सुबह.सुबह साईंबाबा के मंदिर हो आए। रास्ते में पड़े बाजार से दावत के मेन्यू और पिस्ता लड्डू की रेसिपी के अनुसार सारा सामान ले आए। दोपहर से पाखी अपनी सासू मां के साथ किचन में भिड़ गई और करीब तीन घंटे की मेहनत.मशक्कत के बाद उन्होंने काफी काम निपटा लिया। पाखी ने वेबसाइट पर देखकर पिस्ता लड्डू भी बना लिए। इिन सबसे निपट.सुलझकर उसने पूड़ियों का आटा माडकर फ्रिज में रख दिया ताकि शाम को जब पार्टी हो तो गरमा.गरम पूड़ियां तली जा सकें।
शाम के 8 बजे से 10 बजे तक बर्थडे पार्टी हुई। किसी चीज की कोई कमी नहीं हुई। बबलू ने नए.नए गानों पर डांस करके जमकर धमाल मचाया। उसके डांस और वहां बने खाने की सबने जमकर तारीफ की। पाखी के हाथों से बने पिस्ता लड्डू तो लोगों ने बिना कोई संकोच दिखाए मांग.मांग कर खाए। पार्टी के बाद जब मियां.बीबी थक हारकर सोने के लिए बेडरूम में पहुंचे। तब पाखी पिस्ता लड्डू के बारे में सोच रही थी। उसने पूरा गणित लगाकर स्वास्तिक को बताया कि उसने केवल 700 रुपये में सवा किलो पिस्ता लड्डू बना लिए। यह सुनकर स्वास्तिक बोला . बाह! मेरी डार्लिंग ने मेहनत करके बहुत सारे पैसे बचा लिए।
पाखी . वो हलवाई महा लुटेरा है। वह एक किलो मिठाई पर बहुत पैसे कमा रहा है। लगता है अपनी मिठाई की दुकान से इतना कमाने का टारगेट रखा है कि उसकी सात पीढ़ियां बैठकर खा सकें।
स्वास्तिक . चलो! मूड मत खराब करो। सबकुछ ठीक ढंग से निपट गया। पिस्ता लड्डू सस्ते में बनाकर तुमने तो कमाल कर दिया!
पाखी . वो तो ठीक है। कल संडे है। मैं उस हलवाई का सुनाकर आउंगी कि वह मिठाईयों को महंगे में बेचना बंद करे! पब्लिक को लूटना बंद करे। अब आप ही सोचिए न जो चीज छह.सात सौ रुपये में बन जाती हो उसे 1400 रुपये किलो की रेट से बेचने की क्या तुक है।
स्वास्तिक . वो उसका धंधा है मैडम! घोड़ा अगर घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या?
पाखी. मुझे यह बात कतई हजम नहीं हो रही कि इतने सस्ते में तैयार होने वाली मिठाई को वह इतनी ज्यादा कीमत पर बेचें।
स्वास्तिक . ठीक है कल अपन 10-11 बजे जाकर छगन से पूछेंगे कि उसने मिठाई के इतने रेट क्यों रखे हुए हैं।
क्रमशः
(काल्पनिक रचना )