जयपुर-नई दिल्ली हाईवे की एक सुबह। हर रोज की तरह जब मनसुख भाई ने अपना ढाबा खोला तो ग्राहकों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। ढाबे के नौकर-चाकर और कुक ग्राहकों की खातिरदारी में जुट गए। मनसुख भाई गल्ले पर बैठ गए और हिसाब-किताब शुरू कर दिया। ढाबे को खुले हुए केवल दो घंटे ही हुए थे कि मनसुख भाई ने गल्ले के नोट गिने। कोई पांच हजार रुपये उनके पास हो गए थे। वे नोट गिनकर अपनी पेटी में रख ही रहे थे कि एक मरियल सा कुत्ता उनकी गद्दी के सामने आकर खड़ा हो गया। वह कुत्ता देखने में हड्डियों का ढांचा लग रहा था। उसके चेहरे और हालत से लग रहा था कि वह कई दिनों से भूखा है। वह मनसुख का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए कूं-कूं करने लगा। मनसुख ने पहले तो उसे इग्नोर किया पर जब देखा कि कुत्ता हटने को तैयार नहीं है तो उन्होंने गद्दी के पास रखे तकिए को उठाकर उसे मारने के अंदाज में डराने की कोशिश की। कुत्ते को लगा कि मनसुख भाई के यहां से उसे खाने को कुछ नहीं मिलने वाला तो वह कुछ दूर जाकर दुम दबाकर बैठ गया। हालांकि इस दौरान उसकी निगाहें मनसुख के ढाबे की तरफ ही लगी हुई थीं।
तभी कुत्ते ने देखा कि दो नौजवान पिस्तौल हवा में लहराते हुए मनसुख की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। यह दृश्य देखकर कुत्ते को समझ में आ गया कि अब उसे अपनी जांबाजी दिखाने का मौका मिलने वाला है यह सोचकर वह थोड़ा उठा और एक्शन पोज में जमकर बैठ गया। जैसे ही पिस्तौल वाले युवक हवाई फायर करते हुए मनसुख के पास पहुंचे कुत्ते ने अपना एक्शन शुरू कर दिया।
अपने सामने पिस्तौल ताने दो नौजवानों को देखकर मनसुख भाई की घिग्धी बंध गई। हवाई फायर की आवाज सुनकर ग्राहक और ढाबे पर काम कर रहे नौकर तितर-बितर होकर भागने लगे। इस बीच कुत्ते ने पिस्तौल पकड़े हुए नौजवान पर झपट्टा मारा और उसके हाथ में काट लिया। पिस्तौल वाला नौजवान दर्द के मारे बिलबिला उठा उसने कुत्ते को दूर झटकने की कोशिश की पर कुत्ता था कि पूरा दम लगाकर उससे चिपका रहा। कुछ देर में पिस्तौल वाला नौजवान जमीन पर गिर पड़ा। अपने साथी का यह हश्र देखकर गल्ला समेट रहा दूसरा चोर घबरा गया और वह कुत्ते को गालियां देता हुआ भाग निकला।
जब कुत्ते की वजह से जमीन पर गिरा पिस्तौल वाला नौजवान शिथिल पड़ गया और लोगों में हिम्मत आ गई। फिर मनससुख भाई के कहने पर उसे रस्सियों से बांधकर पुलिस के हवाले कर दिया।
यह सब देखकर मनसुख भाई की आंखों में आंसू आ गए। उन्हें समझ में आ गया था कि यह कुत्ता मरियल जरूर है पर है दिलेर। उसने उनकी गाढ़ी कमाई को लुटने से बचा लिया था। इसके बाद उन्हांेंने उस कुत्ते की जमकर खातिरदारी की। उसे अपने ढाबे का बेहतरीन खाना उसे रोज डालने लगे। इस प्रकार कुत्ते ने सही मौके पर सही एक्शन लेकर अपनी रोजी-रोटी का इंतजाम कर लिया और कुछ दिनों में वह अच्छा खासा तंदुरुस्त हो गया।
मोरल आफ द स्टोरी: जब कभी अपनी काबिलियत दिखाने का मौका मिले लपक लीजिए। । इससे जिंदगी संवर सकती है।
(काल्पनिक कहानी)