रचनाकार : शबनम मेहरोत्रा, कानपुर
माँ की गोद से
न हटा माँ की गोद से सोने दे
न उठा आज जी भर रोने दे
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विष के पौधे वो छुपा के रखे है
उनको विष बेल न बोने दो
बुरी नज़र जो टिकाए है माँ की तरफ
उनकी धरती के नीचे बिछोने दो
नज़र टिकी है मेरी उनकी हरकत पर
क्या इरादा है उसका टोहने दो
देख लेने दो शबनम हौसला उनका
पीठ में पहले खंजर पिरोने दो
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माँ का शिशु
माँ का शिशु सुख का निधान
गोद में ही ज्यादा रहे संतान
हर महिला की एक ही चाहत
गोद में बच्चा हो तो राहत
ममता का सागर है ये माता
बिन संतान नहीं कुछ भाता
बच्चे माँ के मन और प्राण
गोद में ही ज्यादा रहे संतान
खुद भूखी हो इसका गम ना
लेकिन बच्चे खाए कम ना
रात रात भर खुद को जगाती
लेकिन बच्चे को वो सुलाती
विधि का कैसा है ये विधान
गोद में ही ज्यादा रहे संतान
माँ के प्यार में लोभ नहीं है
न भी उन्हें दो क्षोभ नहीं है
पास में जिसकी अपनी माँ है
समझो हाथ में सारा जहाँ है
शबनम माँ का कर सम्मान
गोद में ही ज्यादा रहे संतान
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माँ
दुख की छाया पास न आई
मैंने किस्मत माँ से लिखाई
मर कर माँ ने साथ न छोड़ा
संग रहती उसकी परछाईं
मॉं की नजर में सदा हूँ बच्चा
हंसती देख मेरी शिशुताई
जब जब मुझको कष्ट हुआ
तब माँ की ऑंखें भर आई
शबनम घोर कृतघ्न रहेगा
जिसने माँ की ममता भुलाई
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माँ की महिमा
मॉं की महिमा अपरम्पार
मॉं की महिमा अपरम्पार
साधु संत ज्ञानी विज्ञानी कोई
सका नहीं कोई पार,, माँ की,,,,
स्नेहिल कोमल दुर्गा मैया
सब पे दया बरसाती
पूर्ण समर्पण से जो बुलाता
पास उसी के आती
भक्तों की हर बाधा बला को पल में देती टार ,,,
साधु संत ज्ञानी विज्ञानी सका न कोई पार,,,,
महिषासुर का जब धरती पर ज्यादा बदा आतंक
त्रस्त हुई पृथ्वी सूरज और सागर
तथा मयंक
तब माता प्राकट्य हुई और महिषा को दी मार
साधु संत ज्ञानी विज्ञानी सका न कोई पार
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मॉं में ही सम्पूर्ण सृष्टि समाई
कहाँ कोई माँ की ममता का कर पाया भरपाई है
नही कोई प्रमाण ये मिलता न पुस्तक में पाई है
राम कृष्ण खुद ईश्वर हो कर माता का गुणगान किया
मॉं की गोद में स्वर्ग लोक है ऐसा ही अनुमान किया
गणपति देव ने खुद के श्री मुख से माँ की ,की बड़ाई है
मॉं में ही सम्पूर्ण सृष्टि है इनसे अलग कुछ और नहीं
मानव दानव हर प्राणी का इनके बिना कुछ ठौर नहीं
हरेक व्यक्ति के सर पर रहती प्रिय माँ की परछाई है ।
शबनम भी खुद माँ है लेकिन अपनी माँ को याद करे
जब भी गम से घिर जाती है याद उन्हें कर शाद करे
बिन माता के कोलाहल में एक गहरी तन्हाई है ।