रचनाकार : सुशीला तिवारी,रायबरेली
केवट से कह रहे राम
केवट से कह रहे राम,जरा नाव किनारे लाना।
हमें ले चलो गंगा पार,नही चलेगा कोई बहाना ।।
पिता राज बिपिन का दीना,
मैने आज्ञा सिर धर लीना,
हमें जाना है उस पार,जरा नाव किनारे लाना ।
संग सीता, लक्ष्मण भाई,
तुम्हें दूँगा कुछ उतराई,
तेरा बहुत-बहुत आभार,जरा नाव किनारे लाना।
मुख केवट एकटक देखे
अहो धन्य भाग्य के लेखे
पहले लूं मैं चरण पखार,जरा नाव किनारे लाना ।
गंगा जल से चरण पखारे,
सिया, रघुवर पार उतारे,
सिया दे रही मुंदरी उतार,जरा नाव किनारे लाना।
कहे केवट सुनो रघुराई,
नही लूँगा कुछ उतराई
मुझे भव से करना पार,जरा नाव किनारे लाना।
________________________________________
चलें मां भवानी के दरबार
दूर-दूर से आते हैं तुम्हे शीश झुकाये संसार,
चलो रे सब मिल चलें,मां भवानी के दरबार।
तू ही आदि भवानी मैया तू ही मैहर वाली,
जो तेरी शरण में आये भरती झोली खाली,
ऊंचे पर्वत वास तुम्हारी महिमा अपरम्पार ।
चलों रे सब मिल चलें,मां भवानी के दरबार।।
न जानूं मां पूजा अर्चन न जानूं मैया भक्ति,
तेरे दर मन मेरा लगा रहे दे दो ऐसी शक्ति,
दुनियाभर की ठुकराई हूँ आन पड़ी तेरे द्वार।
चलो रे सब मिल चलें मां भवानी के दरबार।।
संकट हरनी मैया मेरी विपदा हरने वाली ,
नवदुर्गा नव रूप तुम्हारे तुम ही हो मां काली
माया में मन भटक रहा मेरा कर दो बेंडा पार।
चलो रे सब मिल चलें मां भवानी के दरबार।।
तुमसे लगन लगा बैठे अब हे ! दुर्गे महरानी,
हम हैं पतित, पतित पावन हो,मैया शेरोंवाली,
पार करो मां अब मेरी नैया डूब रही मंझधार।
चलो रे सब मिल चलें, मां भवानी के दरबार।।
दूर- दूर से आते हैं तुम्हे शीश झुकाये संसार ।
चलो रे सब मिल चलें मां भवानी के दरबार।।
________________________________________
रचनाकार का परिचय
मैं उड़ना चाहती थी आसमान में,
बंध कर रह गई थी मकान में ।
अब मौका तो मिला उड़ रही हूँ,
कुछ साहित्यिक रचनायें लिख रही हूँ।
नाम :सुशीला तिवारी
पति : अवध कुमार तिवारी
ग्राम : पश्चिम गांव, जिला: रायबरेली (उत्तर प्रदेश)
लेखन विवरण: कविता,कहानी गीत,गजल,शायरी , लेख, संस्मरण
कविता,कहानी लिखना पढ़ना मेरी दिन चर्या और मेरा शौक
शिक्षा: हाईस्कूल
पेशे से गृहिणी हूँ।
दो साल से कई साहित्यिक मंचो पर लिख रही हूँ।
अनेक प्रमाण पत्र भी प्राप्त हुए।
कई कविताएं साझा संकलन और पत्रिका में छ्प चुकी हैं ।