बहुत दिन नहीं हुए इस बात को। ऐसा लगता है मानो अभी-अभी हुई हो। दरअसल, इस घटना के इतने चर्चे पूरे शहर में हुए हैं कि इसे स्टोरी ऑफ़ द ईयर कहा जा सकता है। यह कहानी है राम अवतार की।
शहर के एक कॉर्पोरेट समूह में बिलकुल बॉटम से शुरुआत करने वाला। यानी वह उस समूह के ऑफिस में चपरासी था। पर था बड़ा हुनरमंद, हंसमुख और मिलनसार। काम कोई भी हो, कैसा भी हो फौरन हुक्म बजा लाता था। धीरे-धीरे करके बॉस के भरोसेमंद लोगों की सूची में वह शुमार हो गया।
फिर क्या था। राम अवतार की पांचों अंगुलियां घी में और सिर कड़ाही में। वह नित नए काम सीखता जाता, बॉस उसे तरक्की देते जाते। उसने कंप्यूटर सीखा तो बॉस ने खुश होकर एलडीसी बना दिया। काम अच्छा किया। समय के साथ उसने एकाउंट का भी काम सीख लिया।
तब उसकी तरक्की एकाउंट्स मैनेजर के रूप में हो गई। फिर उसने दिमाग लगाया। कंपनी के कुछ शेयर्स भी खरीद लिए और धीरे-धीरे कंपनी पर अपनी पकड़ मजबूत करता गया।
समय बीता। किस्मत ने पलटा खाया। वह कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हो गया। बस फिर क्या था, उसे एक ही धुन सवार हो गई कि बॉस कैसे बना जाए। उसने कई तरह के छल प्रपंच रचने शरू किया। फर्जी दस्तावेज बनवाए।
बॉस को बदनाम करने का, उनकी आलोचना करने का वह कोई भी मौका नहीं छोड़ता। उसने धीरे-धीरे बाॅस की सेक्रेटरी पर डोरे डालने शुरू कर दिए।
बाॅस की सेक्रेटरी भी कम नहीं थी। आखिर कई वर्षों से उसका बाॅस का साथ था। बाॅस ने कई बार मुसीबत में उसकी मदद करके उसे अपना वफादार बना लिया था। अतः जब राम अवतार ने उसके सामने बाॅस को हटाने के बारे में प्रस्ताव रखा तो वह मन से बाॅस के ही साथ थी। पर राम अवतार की पोजीशन आफिस में दिन ब दिन मजबूत होती देखकर उस समय उसने उपर से हूं हां करके राम अवतार को उलझाए रखा और राम अवतार की अक्ल पर तो मानो पर्दा पड़ गया था। अतः वह बिना सोचे-समझे सेक्रेटरी पर यकीन करता गया। बस, सेक्रेटरी को इसी बात का इंतजार था।
उसने बाॅस को रामअवतार की हरकतों और उसके द्वारा रचे जा रहे षड्यंत्र की जानकारी देनी शुरू कर दी। बॉस भी उसकी तरफ से सतर्क हो गए। वे भी उस पर नजर रखने लगे।
एक रात वह सीसीटीवी में बॉस की सेक्रेटरी के साथ गुप्त वार्ता करता हुआ कैद हो गया। वह सेक्रेटरी को समझाने में लगा था कि उसे बॉस को कैसे बदनाम करना है और इस काम के लिए वह उसे कितनी रकम देगा।
बस, बॉस को जैसे ही इसकी भनक मिली उन्होंने फटाफट ऐक्शन लिया। आधी रात को ही बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक बुलाई। उसमें बॉस ने तमाम सबूत पेश करते हुए राम अवतार को लपेटे में ले लिया और बोर्ड का भरोसा जीतकर उसके जबरदस्त डिमोशन का प्रस्ताव पास करा लिया।
अब राम अवतार फिर से उस ऑफिस में चपरासी हो गया है और कुर्सी पर बैठकर दिनभर यही सोचता रहता है कि उसने क्यों नाहक ही बॉस बनने का ख्वाब पाल लिया।
मोरल ऑफ द स्टोरी : जो आपको आगे बढ़ाए, कभी उसके लिए खतरा मत बनो। कम से कम बॉस से तो पंगा मत ही लो।
(काल्पनिक रचना)