रचनाकार : उत्तम कुमार तिवारी ” उत्तम “, लखनऊ
पढ लिख कर तीनों बच्चे नौकरी की तलाश मे जुट गये । बड़ा बेटा फौज मे कर्नल हो गया छोटे बेटे ने MBBS करने के बाद सरकारी डाक्टर हो गया , बिटिया रुक्मणि ने वकालत की पढ़ाई करके शीर्ष उच्च न्ययालय मे वकील बन गई ।
अब जगदेव के पास किसी चीज का आभाव नही रह गया । पूरे गाँव मे उनकी ख्याति बढ गई । गाँव के लोगो ने जगदेव प्रसाद को निर्विरोध गाँव का प्रधान चुन लिया । जगदेव प्रसाद भी बड़ी लगन के साथ गाँव के लोगो के दुःख सुख मे सबसे पहले खड़े होते थे , जिससे उनकी छवि बहुत अच्छे प्रधानों मे गिनी जाने लगी । जिसकी वजह से वो हर बार आपने गाँव के प्रधान निर्विरोध चुन लिए जाते थे । गाँव की उन्नति के लिए हर संभव वो प्रयास किया करते थे । उन्होंने अपनी प्रधानी मे बिजली , सड़क , पानी , किसानो के लिए बीज़ आदि का अच्छा प्रबंध करवा दिया था । उनके गाँव मे उन्नत किस्मो की फसल उगाई जाने लगी । हर किसान खुशहाल हो गया था ।
जगदेव प्रसाद हमेशा अपने बच्चो को यही नसीहत दिया करते थे कि हमेशा अपने गाँव देश की उन्नति के बारे मे सोचते रहना और अपने गाँव और देश के लिए अच्छा करते रहना ।
एक दिन उनका छोटा बेटा दीन दयाल घर पर आया तो जगदेव ने रात मे खाना खाने के समय ये बात अपने बेटे के सामने रख दी कि बेटा अब हम ये चाहते है कि कुछ ऐसा काम किया जाय कि जिससे हम और तुम्हारी माता जी अमर हो जाय और अपने गाँव समाज का हित भी हो जाय । तो उनके बेटे ने कहा कि पिता जी ये बात तो बिल्कुल ठीक है , मुझे सोचने का थोड़ा समय दीजिये मै सोचता हूँ कि क्या किया जाय जिससे मेरे गाँव समाज का परम हित भी हो और आप दोनो का नाम अमर हो जाय ।
समय बीतता गया । कुछ दिन पश्चयात डाक्टर बेटा गाँव आया और अपने पिता जी से कहा कि बाबू जी ऐसा न किया जाय कि गाँव मे एक अस्पताल खोल दिया जाय जिससे गाँव समाज के लोगो का भला हो जाय । ये बात सुन कर जगदेव प्रसाद और उनकी पत्नी जानकी देवी बहुत खुश हुई और वो दोनो बोल पड़े कि बेटा यदि ऐसा हो जाए तो समाज का बहुत भला होगा और यही जगदेव और उनकी पत्नी चाहती थी कि ” एक पंथ दो काज ” हो जाएंगे ।।
जगदेव प्रसाद ने ये अपने मन की बात अपने गाँव वालो के सामने रख दी । ये बात सुनते ही गाँव के सभी लोग बहुत खुश हुए और बोले कि हम लोग अपनी ज़मीन दे देंगे अस्पताल बनवाने के लिए । लेकिन जगदेव प्रसाद जी ने गाँव वालो से ज़मीन नही ली ।
अब जगदेव प्रसाद जी ने उप- जिलाधिकारी को पत्र लिख कर उनसे अपनी मन की बात बताई और उनसे मिलने की आज्ञा मांगी । उप- जिलाधिकार ने जगदेव प्रसाद जी को मिलने की अनुमति दे कर अपने ऑफिस बुलाया । जगदेव प्रसाद जी बड़ी प्रसन्नता के साथ उप – जिलाधिकारी जी से मिलने उनके ऑफिस पहुंच गये और विस्तृत वार्तालाप किया । इस बात से उप – जिलाधिकारी महोदय भी बहुत खुश हुए । उन्होंने जगदेव प्रसाद जी को आश्वासन दिया कि मै पूरी कोशिश करूँगा कि आपकी अस्पताल के लिए सरकार से ज़मीन और कुछ पैसा आपको दिलाया जाय ये बहुत पुण्य का कार्य है । ये कह कर जगदेव प्रसाद जी को विदा किया ।
(क्रमश:)