रचनाकार : उत्तम कुमार तिवारी ” उत्तम “, लखनऊ
जगदेव प्रसाद एक सच्चे सीधे साधे इंसान थे । उनकी पत्नी जानकी देवी भी एक कर्तव्यनिष्ठ और परम साध्वी स्त्री थी । जगदेव प्रसाद रमाई पुर गाँव के रहने वाले थे । उनके दो पुत्र और एक पुत्री थी । जिनका नाम था बड़ा बेटा रघुबर प्रसाद और छोटा बेटा दीन दयाल बिटिया का नाम था रुकमनी । उनके सबसे आचरण बहुत अच्छे थे ।
जगदेव प्रसाद जी के पास थोड़ी किसानी थी । उसी ने उनका जीवन यापन होता था । जिससे उनके जीवन यापन मे बड़ा संघर्ष था । धीरे धीरे उनके बच्चे बड़े होने लग गये तो घर के खर्चे भी बढ़ने लगे । बच्चो की पढ़ाई लिखाई उनके कपड़े लत्ते का खर्च बढ गया । इस वजह से जगदेव प्रसाद और आर्थिक समस्या से जुझने लगे ।
एक दिन जगदेव प्रसाद ने अपने सभी बच्चो के साथ बैठ कर इस समस्या का समाधान खोजने के लिए विचार विमर्श किया कि कैसे घर के खर्चे सभाले जाय और कैसे घर की आय बड़ाई जाय । इस पर दोनो बेटों ने सलाह दी कि जो खेती अपने पास है वो और कुछ खेती बटाई ली जाई ( बटाई का मतलब कि जिसका खेत है उससे किराये पर लेना फ़सल की पैदावार का आधा हिस्सा खेत मालिक को दिया जाता है ) । जिससे अपनी आय बढ़ाई जा सकती है । ये बात सबको रुचिकर लगी ।
अब जगदेव प्रसाद और उनके बेटों ने गाँव मे चर्चा शुरु कर दी कि उनको बटाई मे खेत चाहिए । धीरे धीरे उनको १० बीघा खेत बटाई पर मिल गये । जगदेव के पास अच्छे किस्म के बैल थे , जिससे वो जुताई का काम करते थे ।अब जगदेव प्रसाद और उनके दोनो बेटों ने मिल कर खूब मेहनत करने लग गये । अच्छी फसल तैयार करने लग गये । जिससे उनकी आय बढ गई । कुछ समय के बाद जगदेव ने एक भैस खरीद ली उसकी देखभाल उनकी पत्नी जानकी और उनकी बेटी रुक्मणि करने लगी , जिससे उनकी आय और बढ गई । परिवार ठीक ठाक से गुजर बसर करने लग गया था । जगदेव प्रसाद ने अपने बच्चो से कह दिया कि पढ़ाई मे कोई लापरवाही न होने पाए । तीनो बच्चे दिन भर की मेहनत के बाद रात मे बैठ कर पढते थे और हर वर्ष अपनी कक्षा मे अव्वल आते थे । धीरे धीरे उनको स्कूल से वजीफा मिलने लग गया । तीनों बच्चो ने अपनी पढ़ाई स्कूल और कालेज के वजीफे से किया ।
पढ लिख कर तीनों बच्चे नौकरी की तलाश मे जुट गये । बड़ा बेटा फौज मे कर्नल हो गया छोटे बेटे ने MBBS करने के बाद सरकारी डाक्टर हो गया , बिटिया रुक्मणि ने वकालत की पढ़ाई करके शीर्ष उच्च न्ययालय मे वकील बन गई ।
(क्रमश:)