चैप्टर—2
अत: मैंने चंदेरी से ग्रेजुएशन करने के बाद कोटा यूनिवर्सिटी से बीएड कर लिया था।
मैं पिछले दस सालों से कोटा के एक सरकारी स्कूल में टीचर बनकर बैठा हूं। मेरे साथ मेरी पत्नी माधुरी और लाड़ली बेटी सुरभि रहती है। तो रोहित मेरा संपर्क चंदेरी में रहते समय यदा—कदा होता रहता था।
हम दोनों के बीच मेरी साइकिल पंचर होने और रोहित द्वारा उसे सुधारने के बाद दोस्ती और गहरी होने लगी थी। चंदेरी में रहते समय यदा—कदा मिलना और बर्थडे या वार—त्योहार पर होने वाली पार्टियों में शरीक होना हमारा प्रिय शगल था।
चूंकि रोहित को अपने घर की परिस्थिति को देखते हुए बारहवीं कक्षा के बाद पढ़ाई को तिलांजलि देनी पड़ी थी अत: उसके बाद मैंने अलग राह पकड़ ली और रोहित अपनी दुकान को संभालने में व्यस्त हो गया।
इसके बाद हमारे बीच दूरियां बढ़ती गईं। पहले तो छठे—छमासे फोन पर बातचीत हो जाती थी। फिर यह अंतराल बढ़ने लगा। मैं अपनी नौकरी में व्यस्त हो गया और रोहित अपनी दुकान को नई उचाइयों पर पहुंचाने के लिए सक्रिय हो गया।
काफी समय से हम दोनों के बीच फोन पर कोई बात नहीं हुई थी। पर रोहित की एक आदत थी। वह हर जरूरी बात एक डायरी में नोट करके रखता था। शायद उसने उसी डायरी में लिखे मेरे नंबर को तलाश कर मुझे फोन लगाया था।
रोहित की इस स्वीकारोक्ति के बाद कि वह रोहित ही है मेरा मन प्रसन्न हो गया। वर्षों बाद फोन के जरिए संपर्क होने से अच्छा लग रहा था। मैंने पूछा — और रोहित? क्या बात है ? आज तुझे मेरी याद कैसे आ गई?
रोहित — बस, कुछ नहीं यार! यहीं मैंने झांसी में फोर बीएचके फ्लैट लिया है, सीपरी बाजार में। तुम्हें विद फैमिली आना है। उसमें हमारे गृह प्रवेश के समय।
पहले तो मुझे यकीन नहीं हुआ कि रोहित फोर बीएचके फ्लैट खरीद सकता है क्योंकि मैं सर्विस क्लास होकर भी दो कमरों के किराए के मकान में रह रहा हूं। कोटा में फ्लैट, घर आदि की कीमतें इतनी ज्यादा हैं कि मैं अभी तक अपने लिए एक छोटा—सा आशियाना खरीदने की हिम्मत तक नहीं जुटा सका हूं।
मेरे पिताजी और माताजी दोनों ही दिवंगत हो चुके हैं। वे जो कुछ चंदेरी में छोड़ गए थे — एक छोटा सा दो कमरे का मकान, वह कोटा आने से पहले बेच दिया था और उससे जो रकम मिली थी वह इसी शहर में नए सिरे से गृहस्थी जमाने में ही खर्च हो गई थी।
एक टीवर की मामूली सी सैलरी में ‘इक छोटा सा घर’ का सपना देखते हुए मैं और माधुरी दोनों ही मध्यवय के हो चुके हैं। मुझे लगा कि मैं जिंदगी की रेस में रोहित से काफी पीछे रह गया हूं।
क्रमश:
(काल्पनिक कहानी)