रचनाकार : पंकज शर्मा “तरुण “, मंदसौर
यकीं कर लो तनिक मेरा (गीतिका)
यकीं कर लो तनिक मेरा,बहुत मैं प्यार करता हूं।
अलावा और कोई है, नहीं स्वीकार करता हूं।।
रहे कोशिश यही मेरी, तुम्हारी ऊब को प्यारी।
कभी छाई उदासी तो,गुलो गुलजार करता हूं।।
गुलाबों सी महक जाओ,तुम्हारे लब खिले गुल हों।
चिरागों सा उजाला हो, तमस पर वार करता हूं।।
मिले जन्नत अगर उनको,धरा को मैं सजा दूंगा।
मुरारी आपको इस का,बहुत आभार करता हूं।।
हुई है गलतियां मुझसे,कई अवसर गंवाए हैं।
हुई जो भूल मुझसे तो,उसे स्वीकार करता हूं।।
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निभाऊंगा तुम्हारा साथ (मुक्तक)
निभाऊंगा तुम्हारा साथ यह इकरार करता हूं।
कहीं तुम रूठ ना जाओ नहीं तकरार करता हूं।।
कसम खाता नहीं छोडूं तुम्हारे हाथ को जानू।
यकीं कर लो हमारा तुम,ह्रदय से प्यार करता हूं।।
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जीवन जीने का विधान (मुक्तक)
जीवन जीने का भी कोई, विधान होना चाहिए।
सबको मिले अधिकार जब भी,समान होना चाहिए।।
ईश्वर ने हमें दिए तो हैं, मधुर सरस खाद्य पदार्थ।
सुख वैभव और स्वास्थ्य का,वरदान होना चाहिए।।
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अफवाहों की आग (गजल)
अफवाहों की आग को कभी हवा मत देना।
बीमारों को नकली तुम कभी दवा मत देना।।
कोई जो करे मुसीबतों में मदद तुम्हारी।
अहसानों को उसके कभी भुला मत देना।।
भरा है जिनका पेट खा खा कर रिश्वतें।
भूल कर उन्हें प्रसाद कभी खिला मत देना।।
पत्थर है तो उसे पत्थर ही रहने दो।
सिंदूर लगा ईश्वर कभी बना मत देना।।
मासूम हैं जो बच्चे करते हैं नादानी।
इंसान हो तरुण तो कभी सजा मत देना।।