रचनाकार : उत्तम कुमार तिवारी ” उत्तम “, लखनऊ
जुम्मन और हुसैन बहुत पक्के दोस्त थे बचपन के अब बड़े हो गये और हुसैन का निकाह हो चुका था अब जुम्मन का होना था । उसी पर आधारित ये संवाद ।
हुसैन :- अमा मिया जुम्मन तुम कब अपना निकाह कब कर रहे हो ।
जुम्मन :- अलाहम्दुल्लाह बस दो तीन महीने मे निकाह कर लूँगा हुसैन भाई ।
हुसैन :- हा भाई जुम्मन जल्दी से निकाह कर लो पता नही क़यामत कब आ जाय और तुम बिना शरीकेहयात के दुनियाँ से रुख़सत हो जाओ ।
जुम्मन :- अमा मिया ऐसा मत बोलो नही तो मेरी सारी ख्वाहिशे यही की यही रख्खी रह जाएंगी ।
हुसैन :- अमा मिया क्या हसरते पाले हो दिल मे ज़रा हमे भी बताओ ।
जुम्मन :- अमा भाई क्या बताये । मै दिन रात अपनी बेगम के बारे मे सोचा करता हूँ कि वो ऐसी होगी वैसी होगी कैसी होगी । कि वो कौन खुशनसीब होगी जिसके साथ मेरा निकाह होगा ।
हुसैन :- माशाअल्लाह , होगी तो वो बड़ी खुशनसीब जिसके साथ तुम्हारा निकाह होगा ।
जुम्मन :- क्यु नही होगी खुदा ने हमे भी तो नूर बक्सा है ।
हुसैन :- बेशक , इसमे कोई दो राय नही है ।
जुम्मन :- भाई मैने तो अम्मी और अब्बू से कह दिया है कि मेरे लिए ऐसी बेगम लाना जो पढी लिखी हो सुन्दर हो और कमसिन हो ।
हुसैन :- तो अम्मी ज़ान ने क्या कहा ।
जुम्मन :- अम्मी जान ने कहा है कि मेरी निगाह मे एक लड़की है तेरे लिए जो तेरे ख्वाबो की जैसी है ।
हुसैन :- अरे वो कौन खुशनसीब है ?
ज़ुम्मन :- अभी अम्मी ने ये नही बताया है । उन्होंने कहा है कि पहले मै उस लड़की के वालिदैन से राब्ता कर लूँ फिर तुझे बताउंगी ।
हुसैन :- तो अम्मी से कहो जल्दी उसके वालिदैन से राब्ता करे ।
जुम्मन :- हा अम्मी कह रही थी कि अबकी ईद मे खालू के घर ईद मिलने जाएंगी तो खालू से मेरे निकाह के बारे मे राब्ता करेंगी फिर हो सकेगा तो खालू के साथ उसके घर भी जाएंगी ।।
हुसैन :- चलो अच्छा है । तब तक तुम भी फल मेवा खा कर अपनी सेहत दुरुस्त कर लो ताकि जब लड़की के वालिदैन तुमको देखने आये तो तुम भी बिल्कुल शहज़ादे की तरह लगो ।
ज़ुम्मन :- हा भाई मै भी आजकल भीगे बादाम , खजूर और भीगे चने खा रहा हूँ ।
हुसैन :- माशाल्लाह , बहुत खूब
थोड़े दिनों बाद ईद आ गई और हुसैन जुम्मन के वहाँ ईद मिलने गया ।
हुसैन :- अस्सलामुअलैकव जुम्मन भाई
ज़ुम्मन :- वालेकुम अस्सलाम भाई हुसैन तशरीफ़ लाइये ।
हुसैन :- अब तो तुम्हारी अम्मी जाएंगी खालू के घर ईद मे तो हो सकता है कि लड़की के घर भी जाए ।
ज़ुम्मन :- जी भाई कल अम्मी जाएंगी खालू के घर फिर देखो क्या होता है ।
हुसैन :- अच्छी बात , जब तुम्हारी अम्मी खालू के घर जाएंगी तो देखना उस लड़की के घर भी जाएंगी और रिश्ता पक्का कर के आएँगी ।
जुम्मन :- सुब्बा आमीन
हुसैन :- आमीन
दूसरे दिन का दृश्य ………….
इधर शब – सहर जुम्मन को नीद नही आई । सारी शब वो अपनी होने वाली बेगम के ख्यालो मे खोया खोया सा रहता था उसको नीद तक नही आती थी और सहर उठ कर वो नहा धो कर तैयार हो गया ।
जुम्मन :- आमी क्या आज आप खालू के वहाँ जायेगी ।
अम्मी :- हा बेटा आज जाएंगे
जुम्मन :- अम्मी आज आप कौन सा सूट पहन कर जायेंगी उस सूट मे हम स्त्री करवा लाये ।
अम्मी :- क्या बात है मेरा शहजदा मेर बड़ा ख्याल रख रहा है । अम्मी ने टान्ट किया जुम्मन से । जुम्मन हस पड़ा और शरमा गया । जुम्मन की अम्मी ने कहा कि आज तुम्हारे निकाह के बारे मे भी खालू से बात भी करना है । ये सुन कर जुम्मन बहुत खुश हुआ और दिल ही दिल मे अल्लाह से दुआये मांगने लगा । उसकी अम्मी देर रात को खालू के घर से वापस आयी तब तक जुम्मन बहुत बेचैन था । उसकी अम्मी जैसे ही बैठी वैसे ही जुम्मन पानी लेकर आया अपनी अम्मी के लिए । वो बहुत खुश हो गई ।
जुम्मन :- अम्मी क्या हाल है खालू के घर का ।
(क्रमश:)