रचनाकार : उत्तम कुमार तिवारी ” उत्तम “, लखनऊ
जुम्मन :- अम्मी क्या हाल है खालू के घर का ।
अम्मी :- टान्ट करते हुए कहा कि तुझे खालू के घर का हाल बताऊ या तेरे रिश्ते की बात बताऊ । जुम्मन हस पड़ा । फिर जुम्मन की माँ ने सारी बात बताई कि खालू के साथ वो लड़की वालो के घर गई थी । वहाँ उनका बहुत स्वागत किया गया वो बहुत खुश
हुई । जुम्मन की अम्मी ने लड़की को देखा तो वो और ज्यादा खुश हो गई । जुम्मन की अम्मी ने बताया कि लड़की बिल्कुल परी सी लग रही थी । जुम्मन की माँ ने जुम्मन से बताया कि कुछ दिनों बाद लड़की वाले लोग यहाँ घर आएंगे और रिश्ता पक्का कर देंगे ।
कुछ दिनों बाद जुम्मन की निकाह की तारीख पक्की हो गई । अब जुम्मन की खुशी का ठिकाना न रहा । वो रोज बढ़िया बढ़िया कपड़े पहन कर अपने दोस्तो के साथ पार्टी करता रहता ।
हुसैन :- भाई अब तो तुम्हे और नीद नही आती होगी ।
जुम्मन :- भाई बिल्कुल सही फरमा रहे हो ।
निकाह वाले दिन जुम्मन ने एक बेहतरीन शेरवानी पहनी और नगरा जूता पहना बहुत लाजवाब सेहरा पहना । बारात दरवाजे पहुंची । निकाह हुआ । लजीज पकवान बने थे उसका लुफ्त उठाया ।
बारात लौट के घर आई । वालिमा हुआ । सुहाग रात वाले दिन जुम्मन ने अपनी ख्वाबो की मल्लिका के लिए एक सुन्दर सा हार लिया । जुम्मन ने जब अपनी बेगम का घूँघट उठाया तो अल्लाह को शुक्र गुजार कहने लगा मन ही मन मे । अब उसने जब उसको हार दिखाया तो उसकी बेगम पहनने मे नखरे दिखाने लगी बड़ी मान मनौव्वल के बाद उसने हार का पहना ।
जुम्मन जब भी कोई चीज छुपा कर अपनी बेगम को लाता तो वो बहुत नखरे दिखाती बाद मे ले लेती थी बहुत जुम्मन के कहने पर ।
दो तीन दिन तो जुम्मन घर से बाहर नही निकला । उसके सारे दोस्त परेशान थे उससे मिलने के लिए ।
चार पाँच दिन बाद वो अपने दोस्तों से मिलने के लिए गया । फिर क्या था सब दोस्त उससे मज़े लेने लग गये और जुम्मन से पूछने लग गये कि भाई कैसी है भाभी जी तो जुम्मन उसके हुस्न की क़सीदे पढ़ने लगता था । तब हुसैन और अन्य दोस्तों ने जुम्मन से पूछा कि भाभी जान का मिजाज कैसा है तो वो बोल पड़ा सब कुछ तो ठीक है लेकिन मेरे बेगम नखरीली बहुत है । अब उसके दोस्तों ने जुम्मन का नाम रख दिया कि नखरीली बेगम के शौहर जुम्मन मिया ।
(काल्पनिक कहानी)