आखिरी चैप्टर
अचानक हुए इस घटनाक्रम को आनंद समझ नहीं पाया और जब तक वह कुछ समझ पाता, स्कूटर के ब्रेक लगा पाता, तब तक उसकी गाड़ी एक बड़े और मोटे सुअर से टकरा गई।
आनंद और आशा दोनों ही स्कूटर से गिर पड़े। आशा तो एक सुअर पर गिरी जिससे उसे चोट कम लगी पर आनंद कमर के बल गिरा जिससे उसे कुछ ही देर में भयानक दर्द होने लगा। वो तो अच्छा था जो उसने हेलमेट सिर पर पहन रखा था, अतः सिर पर कोई चोट नहीं लगी।
दुर्घटनास्थल के आसपास जल्द ही कई लोग इकट्ठे हो गए। उन्होंने जैसे-तैसे सहारा देकर आनंद और आशा को उठाया। दो लोगों ने सुअरों को भगाकर स्कूटर उठाया और सात-आठ लोग आनंद, आशा और उसके स्कूटर के आसपास घेरा बनाकर खड़े हो गए ताकि घायलों की मदद की जा सके और ट्रैफिक भी संभला रहे।
लोगों के सहारे जैसे-तैसे उठकर खड़े हुए आनंद ने आशा को बाहों में भींच लिया। लेकिन बेतहाशा कमर दर्द के कारण उसकी पकड़ जल्द ही ढीली पड़ गई और कमर दर्द से हो रही पीड़ा आंसुओं के रूप में बहकर निकल पड़ी। आनंद के इर्द-गिर्द खड़े एक व्यक्ति ने 102 नंबर डायल करके एंबुलेंस बुला ली और स्कूटर को रोड से हटाकर एक खाली जगह पर पार्क करते हुए आनंद को उसकी चाबियां थमा दीं।
बीएस हास्पिटल की तरफ से आए फोन से राधा को इस हादसे की जानकारी मिली तो वह बदहवास हो गई। वह एकदम से घबरा गई और कमर दर्द तथा उसको लेकर आनंद से हुई लड़ाई आदि बातें उसके दिमाग से बिलकुल उतर गईं। आनंद और आशा के बारे में नाना तरह के बुरे-बुरे विचार मन में आने लगे। फिर उसने एक गिलास पानी पिया तब कुछ घबराहट कम हुई। उसने अपने पड़ोसी रहमान कुरैशी के साथ फौरन हास्पिटल जाने का निश्चय कर लिया।
कुरैशी ने सारा माजरा समझ कर फौरन अपनी कार निकाली और दोनों उसमें बैठकर हास्पिटल पहुंच गए। वहां तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद आनंद को प्राइवेट रूम में इलाज के लिए भर्ती कर लिया गया जबकि आशा के मामूली चोटिल होने के कारण उसे प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल ने राधा को थमा दिया। अपनी फूल सी बच्ची को लगभग सही-सलामत पाकर राधा की जान में जान आई। फिर वह आनंद के पास पहुंची। उसे डाॅक्टर व नर्स उसे दर्दनिवारक दवाएं दे रहे थे और टिटेनस का इंजेक्शन लगा रहे थे। करीब आधा घंटे बाद जब आनंद का कमर दर्द कुछ हल्का पड़ तो उसका मूड कुछ ठीक हुआ। राधा उससे लिपट गई और उसकी आंखों से बेलगाम आंसू बहने लगे।
अपनी पत्नी की ऐसी हालत देखकर आनंद को बहुत तरस आया। वह टूटे-फूटे स्वर में बोला – मुझे माफ करना! मैं तुम्हारे दर्द को समझ नहीं पाया था। अब जब मुझे कमर का दर्द हुआ, तब इसका अहसास हुआ। मुझे इस बात की गहरी पीड़ा है कि मैं तुम्हारा कमर दर्द दूर करने के लिए तुम्हें अपनी अकड़ और कठोर नेचर की वजह से अस्पताल नहीं ले जा पाया। अब संयोगवश तुम यहां आ ही गई तो अपना इलाज भी करा लो।
आनंद के प्रायश्चित भरे स्वर में कहे गए इन वाक्यों ने राधा के कमर दर्द पर मानो मरहम लगा दी। वह उसे प्यार से देखते हुए डबडबाए सुर में बोली – आनंद बाबू! अच्छा है तुम्हें मेरे दर्द का अहसास तो हुआ। अब अपन मिल-जुलकर इस दर्द से निपट लेंगे। मैं अपने को जरूर दिखा दूंगी पर आप मेरे सर्वस्व हो! मेरी प्राथमिकता यही रहेगी कि पहले आप ठीक हो जाएं। इसके बाद मैं अपना इलाज करा लूंगी।
यह सुनकर कुरैशी बोले – खुदा का शुक्र है जो दोनों को उसने एक दूसरे के दर्द का अहसास करा दिया। भाभी जी आप और आनंद बाबू आगे भी ऐसे ही मिल-जुलकर रहना और एक दूसरे की फीलिंग को समझते हुए कदम उठाते रहना।
इस बीच, आशा कुछ ऐसी हरकतें करती दिखी मानो वह कोई बड़ी बात कहने जा रही हो। सबका ध्यान उस ओर चला गया। जब उसने देखा कि सबका ध्यान उसकी तरफ है तो वह अपनी मधुर आवाज में बोली – मैं भी चाॅकलेट खाकर अपना इलाज करा लूंगी!
यह सुनकर वहां तमाम मौजूद लोगों के चेहरे पर मुस्कान का सैलाब उमड़ पड़ा।
(काल्पनिक कहानी)