रचनाकार : उत्तम कुमार तिवारी ” उत्तम ” , लखनऊ
चैप्टर-2
राकेश के पिता :- नही मोहल्ले मे कुछ कानाफूसी होती है ।
राकेश :- क्या होती है बचपन से हम लोग साथ साथ खेलते और पढ़ते हुए बड़े हुए है ।
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उधर राधिका के घर मे भी
राधिका के पिता :- राधिका तुम्हारा राकेश से ज्यादा बात करना और मिलना जुलना ठीक नही है ।
राधिका :- पापा ऐसा क्यु हम लोग बहुत अच्छे दोस्त है । हम लोग बचपन से साथ साथ पढे है और साथ साथ बड़े हुए है और साथ साथ पढ रहे है ।
राधिका के पिता :- नही जो मैने कह दिया वो कह दिया
राधिका अपनी मम्मी से :- मम्मी पापा ये क्या कह रहे है ।
राधिका की मम्मी :- ,बेटा पापा जो कह रहे है वो ठीक ही कह रहे है ।
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अब दोनो बच्चे स्कूल मे अलग अलग बैठने लग गये और एक दूसरे को देख देख कर उदास हो रहे थे । लेकिन दोनो बच्चे अपने मम्मी पापा की हिदायत को एक दूसरे से बता नही रहे थे । मन ही मन दुखी रहते थे । एक दिन दोनो से रहा नही गया और एक दूसरे से पूछ ही बैठे कि हम दोनो लोग अलग क्यों बैठते है ।
राकेश :- क्या करे राधिका घर मे मना किया गया है की ज्यादा राधिका से मिलना जुलना बाते करना ठीक नही है ।
राधिका :- अरे यार मुझसे भी यही कहा गया है । यार ऐसा होता है । हम लोग बचपन से लेकर अभी तक साथ साथ रहे है ।
राकेश :- क्या करे राधिका ठीक है हम दोनो अलग अलग ही बैठगे । अब ज्यादा नही मिलेंगे ।
राधिका :- ठीक है यार
कुछ समय पश्चात दोनो का इंटर हो गया स्कूल के आखिरी दिन दोनो एक दूसरे छुप के गले लगे और अपने अपने घर चले गये ।
लेकिन दोनो के मन मे बहुत से सवाल उठ रहे थे । लेकिन कुछ कर नही सकते थे । मन मसोस कर रह जाते थे ।
उधर राधिका का एडमिशन महिला कालेज मे हो गया और राकेश का अलग कालेज मे हो गया । धीरे धीरे समय बीतता चला गया । दोनो बच्चे अपने अपने जीवन पथ पर अग्रसर थे । दोनो की शादी हो गई ।
दुर्भाग्यवस राधिका की शादी एक अशिक्षित व्यक्ति से हुई और और राकेश के शादी एक शिक्षित लड़की से हो गयी । दोनो अपनी अपनी जिंदगी मे व्यस्त हो गये । दुर्भाग्य ने राधिका का साथ साथ नही छोड़ा । उसके पति की मृत्यु बहुत कम समय मे ही हो गई । उसके चार बच्चे भी हो गये थे , वो भी छोटे थे अब राधिका के सामने उसके जीवन यापन का प्रश्न खड़ा हो गया की कैसे अब इन बच्चों को पाले ।
ससुराल से भी कोई सहायता नही मिलती थी , और वो अपने मायके से कोई सहायता लेती नही थी । खैर उसने बी एड कर रख्खा था । उसने बच्चों को पढ़ाना शुरु किया किसी तरह उसने अपना जीवन यापन करना शुरु कर दिया और अपने बच्चों को भी पढ़ाना शुरु किया । इसी दौरान उसकी सरकारी स्कूल मे अध्यापिका की नौकरी मिल गई । अब उसका जीवन ठीक से चलने लग गया । धीरे धीरे उसका एक बेटा सी ए बन गया उसकी शादी हो गई । वो दूसरे शहर मे जा कर बस गया । इसी तरह उसके सब बच्चे किसी न किसी रोजगार मे लग गये ।
दूसरे बच्चे की भी शादी हो गई । लेकिन उसको बहुओ से स्नेह नही मिला । फिर उसका जीवन अकेला ही रह गया । अब वो अपने दो बच्चों को लेकर अलग रहने लगी उसी घर मे ।
क्रमशः
( काल्पनिक कहानी )