रचनाकार : उत्तम कुमार तिवारी ” उत्तम ” , लखनऊ
चैप्टर-1
रमेश और राधिका दोनो एक ही स्कूल मे बचपन से पढते थे । दोनो का साथ साथ स्कूल मे दाखिला हुआ था । इधर रमेश के पिता रमेश का दाखिला कराने गये उधर राधिका के पिता । दोनो बच्चों का दाखिला हो गया स्कूल मे । दोनो बच्चे साथ साथ खेलने लग गये खूब मस्ती से खेल रहे थे दोनो मे बहुत अच्छी दोस्ती हो गई चंद मिनटो मे ये देख कर दोनो के पिता बहुत खुश हो रहे थे ।
स्कूल का दूसरा दिन :-
रमेश के पिता रमेश को छोड़ने स्कूल आये तो रमेश के बाल मन ने अपने पिता से कहा :-
रमेश :- पापा राधिका भी आ गई होगी । वो मेरी बहुत अच्छी दोस्त बन गई है ।
रमेश के पिता :- हा बेटा वो तो तुम्हारी अच्छी दोस्त बन गई है ।
रमेश ,:- जी पापा मै उसी के साथ क्लास मे बैठूंगा ।
रमेश के पिता :- ठीक।
रमेश क्लास मे चला गया।
इधर राधिका के पिता भी राधिका को स्कूल मे छोड़ने आ गये ।
तो यही बात राधिका ने भी अपने पिता से कहा । और क्लास मे चली गई ।
दोनो बच्चे एक दूसरे को देख कर बहुत खुश हो गये और दौड़ कर एक दूसरे से गले लग गये । और एक ही साथ बेंच पर बैठ गये ।
रमेश राधिका से बोला : – तुम से पहले मै स्कूल मे आया था ।
राधिका :- मै भी कल से तुमसे पहले आ जाएंगे स्कूल मे देखना ।
रमेश :- नही हम दोनो साथ साथ आएंगे ।
राधिका :- हा ये ठीक रहेगा
स्कूल मे लंच के समय दोनो साथ साथ बैठ कर लंच करते थे दोनो एक दूसरे का लंच आपस मे बाट बाट खाते थे और खेलते थे । जब स्कूल मे छुट्टी होती थी तो दोनो एक दूसरे के बैग मे कॉपी किताब रख देते थे और एक दूसरे का हाथ पकड़ कर स्कूल के बाहर आते थे फिर दोनो अपने अपने घर बाय बाय करते हुए चाले जाते थे । धीरे धीरे समय बीतता चला गया । वो दोनो बच्चे अब धीरे धीरे बड़े होने लग गये और आगे क्लास मे जाने लगे । दोनो बच्चों मे आपस के पढ़ाई का कॉम्पिटिशन होता था ।
कौन ज्यादा नम्बर लाएगा । दोनो बच्चे क्लास मे अव्वल आते थे ।
अब दोनी बच्चे धीरे धीरे यौवन अवस्था की ओर चल पड़े । अब उनका इस तरह से मिलना जुलना उन्ही लोगो को खटकना शुरु हो गया जो उनको कल साथ मे खेलते देख कर खुश होते थे ।
राकेश के पिता :- राकेश एक बात मेरी ध्यान से सुन लो अब तुम्हारा राधिका से ज्यादा मिलना जुलना ठीक नही है ।
राकेश :- पापा ऐसा क्यों?
राकेश के पिता :- नही मोहल्ले मे कुछ कानाफूसी होती है ।
राकेश :- क्या होती है बचपन से हम लोग साथ साथ खेलते और पढ़ते हुए बड़े हुए है ।
क्रमशः
( काल्पनिक कहानी )