चैप्टर-3
इस घटना के कोई एक हफ्ते बाद साहिल के पास पालनपुर से सुरेश का फोन आया। सुरेश को इन लोगों ने गांव में रजनीश त्रिवेदी की देखभाल के लिए रखा हुआ था। उसने घबराए स्वर में साहिल को बताया कि उनके पापा की टीबी की बीमारी बिगड़ गई है और वे सागर के अस्पताल में वेंटिलेटर पर हैं। अत: आप जल्दी से सागर पहुंच जाओ।
यह खबर मिलते साहिल थोड़े—बहुत पैसे लेकर जल्दी—जल्दी सागर चला गया। उसे गांधीनगर से सागर पहुंचने में कोई तीन घंटे लग गए। उसे ये तीन घंटे तीन युग के बराबर लग रहे थे। अस्पताल में पहुंचने के बाद उसने पिताजी की तीमारदारी शुरू कर दी और सुनिधि को उनकी स्थिति के बारे में फोन करके जानकारी दे दी।
उधर, कोटा से किशोर सुनिधि के घर पहुंचा और उसने अपनी किस्मत का रोना रोया। सारी स्टोरी इस तरह से सुनाई कि मानो पापा को अटैक आने वाला हो। अपने भाई की दशा देखकर और पापा का हाल जानकर सुनिधि पिघल गई। उसे लगा कि किशोर की मदद करनी चाहिए नहीं तो मुमकिन है पापा को हार्ट अटैक आ जाए। अत: उसने अपने संदूक में रखे पूरे गहने किशोर को एक नया लोन करने के लिए गिरवी रखने के वास्ते दे दिए।
गहनो को देखकर किशोर के मन में लड्डू फूटने लगे पर वह बनावटी दुख जताते हुए बोला — बहना! चिंता मत कर। मैं हूं ना। मैं ये गहने छह माह के भीतर लोन चुका कर तुझे सौंप दूंगा। पर यह बात जीजाजी से मत कहना। हो सकता है कि वे नाराज हो जाएं।
ऐसी—ऐसी बातें फेंक कर किशोर गहने लेकर वापस कोटा चला गया और एक ज्वैलर के पास उन्हें गिरवी रखकर नया लोन ले लिया।
इस घटना के चार दिनों के बाद जब अस्पताल में भर्ती साहिल के पिताजी की तबियत ठीक हो गई तो उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई। साहिल उन्हें गांव छोड़कर वापस गांधीनगर आ गया। कुछ दिन तो सुकून से बीते। लेकिन इस कहानी को यहीं खत्म नहीं होना था। उसमें जल्द ही भारती के फोन के रूप में नया ट्विस्ट आ गया।
मां ने सुनिधि को फोन पर बताया कि बेटा! तुम्हारा भाई किशोर अपनी बचपन की गर्लफ्रेंड लीना पात्रो से शादी करने जा रहा है। लड़की बंगाली है। पर नेचर अच्छा है। एक हफ्ते बाद कोटा में अपने घर पर अंगूठी की रस्म रखी है। तुम मय बच्चों और दामाद जी के सपरिवार कोटा आ जाना।
सुनिधि ने कहा — पर किशोर भइया तो अभी नौकरी भी नही करते! क्या करेंगे शादी करके? क्या उनका लोन वगैरह सब चुक गया?
भारती — बेटा! लाखों में एक है तुम्हारा भाई। उसने नेट पर एक कंपनी जाइन कर ली है। बस रोज तीन मेंबर बनाने हैं। उसे बतौर कमीशन एक मेंबर की फीस के बराबर यानी 1200 रुपये मिलेंगे। वह बहुत इंटेलिजेंट है। लीना भी पढ़ी—लिखी है। दोनों मिलकर कुछ कर लेंगे। फिर पापा भी अपने रहते हुए उसके हाथ पीले करना चाहते हैं।
सुनिधि ने मन ही मन सोचा कि सच में किशोर बहुत इंटेलिजेंट है! तभी तो बिना सोचे—समझे इतना लोन कर लिया और अब तो उसके गहनों पर भी हाथ डाल दिया है। क्या मेरी भोली मां और मेरे भोले—भाले पिता को यह सब नहीं मालूम! फिर कमल भी तो क्वांरा बैठा है। पता नही उसकी शादी कब होगी जबकि वह किशोर से तीन साल बड़ा है।
जब शाम को साहिल ड्यूटी करके लौटे तो सुनिधि ने दबे स्वर में यह खुशखबरी उसे सुनाई। साहिल यह खबर सुनकर चिंता में पड़ गए और बोले — जब किशोर कुछ करता—धरता ही नहीं है तो तुम्हारे पापा यह व्यर्थ का जंजाल क्यों पा रहे हैं? उन्हें किशोर को तो झेलना पड़ ही रहा है। अब उसकी बीबी के और खर्चे उठाने होंगे।
क्रमशः
(काल्पनिक रचना )