आखिरी चैप्टर
पानी की कुछ बूंदें ब्रजेश और उनकी फैमिली पर गिरीं। उस सुखद अहसास को उनलोगों ने अपने मन में बसा लिया।
ढाबे के पास रेलिंग से सटकर इन सब लोगों ने बड़े तालाब के मनोहारी दृश्य का आनंद लिया। वे जहां खड़े थे उस जगह की दायीं ओर बड़े—बड़े अक्षरों मं वेलकम टु लेकसिटी लाल रंग की नियोन लाइट से लिखा दिखा। यह लाल रंग रात के धुंधलके में काले से दिख रहे पानी में लहराते हुए समाकर अद्भुत नजारा पेश कर रहा था।
पराग और सुगंधा इन सब नजारों को कभी सेल्फी लेकर तो कभी वीडियो बनाकर अपने—अपने मोबाइल फोनों में संजोकर रखने में लगे रहे। फिर ब्रजेश और उनकी फैमिली वालों ने तालाब की रेलिंग के साथ—साथ चलते हुए ढाबे और उसके आसपास के नजारों का करीब 100 मीटर पैदल चलकर जायजा लिया। वहां रखे एक पुराने टैंक को देखकर वे लोग आश्चर्य में डूब गए। उन्होंने पहले कभी एक सचमुच के टैंक को इतने करीब से नहीं देखा था।
इस बीच, सुरेश ने सबको ढाबे पर आने का आग्रह किया। ढाबे के नौकरों ने आनन—फानन में उन सबके बैठने का इंतजाम ढाबे के बाहर के फुटपाथ पर खुले आकाश के नीचे लाल—लाल कुर्सियां लगाकर कर दिया। सुगंधा और पराग ब्रजेश और मंजरी के इर्द—गिर्द रखी कुर्सियों पर बैठ गए। तभी वहां एक सफैद रंग का स्ट्रीट डॉग आ गया। पहले तो ब्रजेश को अपनी और अपनी फैमिली की सेफ्टी की चिंता हुई तभी ढाबे के मालिक की इस बात से उन्हें सुकून मिला कि यह तो यहां का मेहमान है। रोज शाम को आ जाता है और किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता है। सुगंधा और पराग उस डॉगी को प्यार से सहलाने लगे। वह डॉगी भी मन की मुराद पूरी होता देखकर वहीं पसर गया और खुश होकर तरह—तरह की हरकतें करने लगा। उसकी प्यारी—प्यारी हरकतें और जमीन पर लोटने का अंदाज देखकर सबलोगों के चेहरों पर मुस्कान तैर गई।
मनोज ने एक छोटा—सा केक काटा। सब लोगों ने हैप्पी बर्थ डे का गाना तालियां बजाते हुए गाया। न हैवी म्यूजिकल सिस्टम का शोर न नकचढ़े मेहमान! ब्रजेश इस दृश्य को देखकर दंग रह गए और उनके दिल को बेहद सुकून मिला।
फिर सब कुर्सियों पर जमकर बैठ गए। थोड़ी देर में ढाबे वालों ने इन सबके लिए खाना लगाना शुरू किया। इस बीच ब्रजेश की नजर उपर आकाश की तरफ गई। वे सुरेश से बोले — देखो! कितने सारे स्टार आकाश में टिमटिमाते दिख रहे हैं! इन सबके बीच आधा चांद कैसे दमक रहा है। अद्भुत! गजब! मैंने अपनी भागमभाग भरी जिंदगी में कभी भी इतने दिलकश नजारे का आनंद कभी नहीं लिया! ऐसा लग रहा है मानो रात के अंधेरे से लड़ने के लिए इंसान ने कृत्रिम रोशनियों से और इन स्टार्स की फौज के मार्फत कुदरत ने मोर्चा खोल रखा है।
सुरेश साहब के ऐसे विचार सुनकर खुश हो गया। उसे समझ में आ गया कि उसका साहब को बिना बताए इतनी सुंदर जगह पर कुदरत के नजारों के बीच लाने का पिलान सफल हो गया है। वह मुस्काराते हुए बोला — साहब! आप स्टार होटलों की पार्टियों में जा—जाकर वहां के आर्टिफिश्यिल माहौल से तंग आए हुए लगने लगे थे। इसलिए मैंने अपने बेटे की पार्टी के बहाने आपको नेचर के नैचुरल माहौल से जोड़ने की कोशिश की और यह पार्टी आपको बिना बताए यहा रखी। यहां आप एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, चार नहीं, पांच आदि जैसे झूठे स्टारों वाले होटलों के बजाय कुदरत के असंख्य स्टार्स के तले पार्टी का आनंद ले सकते हैं। कुछ गलती हुई हो तो मुझे माफ करना साहब!
यह सुनकर ब्रजेश बोले— नहीं सुरेश! तुमने तो मुझे बताया है कि झूठे स्टार्स वाली होटलों के मुकाबले नेचर के दिलचस्प नजारों के बीच सच्चे स्टार्स वाले आकाश के तले डिनर करने बैठने से कितना सुकून मिलता है। देखो न! यहा आकर मैं तो बेहद खुश हूं साथ ही मजरी, सुगंधा पराग और बाकी सब लोग भी कितने खुश दिख रहे हैं। तुमने यहां पार्टी रखकर मेरा दिल जीत लिया है। धन्यवाद सुरेश!
मंजरी भी प्रसन्नता भरे स्वर में बोली — मैनी मैनी थैंक्स सुरेश! यहां जो कुछ भी है वह हैरतअंगेज, दिलचस्प और दिल को छू लेने वाला है। हमने अपनी व्यस्तता भरी जिंदगी में यहां सुकून के जो छोटे—मोटे पल गुजारे हैं वे दिमाग में गहराई तक बैठते जा रहे हैं। दरअसल, इंसान शहरी लाइफ और आर्टिफिशियल माहौल में इतना खोता जा रहा है कि वह लाइफ को नेचुरल ब्यूटी के बीच एंजॉय करना भूलता जा रहा है। ऐसे मे कभी—कभी ऐसा बेफिक्र होकर खुले आकाश के चंदोवे तले घूमना तन और मन दोनों को ही प्रसन्न कर देता है। चलो, अब यहां के डिनर को एंजॉय करते हैं ताकि भूख मिट सके और मन और प्रसन्न हो सके!
मंजरी की यह बात सुनकर सबके चेहरे पर मुस्कान तैर गई और वे मल्टीस्टार आकाश के तले डिनर का लुत्फ लेने के लिए अपनी—अपनी कुर्सियों पर जमकर बैठ गए।
(काल्पनिक कहानी )