रचनाकार : सुशीला तिवारी, पश्चिम गांव,रायबरेली
जिन्दगी निराश, नयी शुरूआत
ये जिन्दगी तू इतनी उदास निराश क्यो बैठी है
कुछ हसीं पल याद कर फिर चल नई शुरूआत करते है।
जिन्दगी तू खुश रहा कर दो चार दिन की है
कोई न मिले हम सफर तो अपने आप ही बात करते है।
कोई नही समझेगा तेरा फलसफा यहां पर
सब देखते रहते है मगर फ़िर भी नजर अंदाज करते है।
कुछ हसीं पल याद कर फिर चल नई शुरूआत करते है ।
तू ईश्वर की दी हुई अनमोल नियामत है
हमको जब से मिली हो हम तुम्ही से बात करते है।
कुछ हसीं पल याद कर फिर चल नई शुरूवात करते है।
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गम लिख रही हूँ
जमाने के सारे सितम लिख रही हूँ।
दिये जितने सारे वो गम लिख रही हूँ ।।
थी दरकार जितनी खुशियों की हमको,
मिली मुझको औसत से कम लिख रही हूं।
क्या भंवरो की देखी है तुमने उदासी,
हुई चाहत फूलों से कम लिख रही हूँ ।
मुकम्मल हुआ प्यार उस दिन हमारा,
मिले जब से तुम और हम लिख रही हूँ ।
बड़ा गूढ़ है ये फलसफा ज़िन्दगी का,
समझ न सकोगे ये तुम लिख रही हूँ ।
जमाने के सारे सितम लिख रही हूँ।
दिये जितने सारे वो गम लिख रही हूँ। ।
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गजल
यहाँ पर कौन किसका है ,जगत झूठा ये सारा है ।
लगाओ पार अब नइया ,,,, नही दूजा सहारा है ।।
कठिन है राह जीवन की तवज्जो कौन देता है,
संभलना खुद ही पड़ता है, नही कोई तुम्हारा है । 1)
रहा गर्दिश में हरदम,,,,,, सितारा इश्क का मेरे ,
किसे इल्ज़ाम हम देते,,, हमारा दिल आवारा है । 2)
बहारें जब भी आयेंगी मेरा इन्तजार तब करना ,
चलो अच्छा हुआ अब ये,मिला पैगाम प्यारा है ।3)
गुरूर- ए इश्क में रहना, नही शोभा तुम्हे देता ,
तजुर्बा वक्त से ले लो कहर उसका ही सारा है । 4)
न जली रात भर शम्मा ,करे इन्तजार परवाना ,
चलो चलकर वहाँ देखे , बड़ा सुन्दर नजारा है । 5)
दुआ बन करके बरसेगी मेरे ईश्वर की हमपर ,
वही है हमसफ़र मेरा,,,,,,,वही हमदम हमारा है । 6)
हमें तो फिक्र है लेकिन”सुशीला”को कहां खोजे ,
गली उम्मीद की छोड़ी, दिलों पर पहरा सारा है । 7)
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जागो आज की बेटी
उठो आज की बेटी जागो, नव युग का निर्माण करो।
झूठे प्रेम प्रसंग में पड़कर, न्योछावर मत प्राण करो।।
जिसे प्रेम तुम समझ रही हो, वो तन की कामुकता है,
किस धारा में बही जा रही, ये तेरी बस भावुकता है ,
आगे बढ़कर करो सामना, नयी स्फूर्ति नव प्राण भरो।
झूठे प्रेम प्रसंग में पड़कर ,न्योछावर मत प्राण करो ।।
झूठे प्रेम की चिंगारी से, तन मन को झुलसाओगी,
तुम जैसी कितनी छली गई, तुम भी तो छल जाओगी,
जग प्रपंच से सीखो कुछ, और सुरक्षित प्राण करो ।
झूठे, प्रेम प्रसंग में पड़कर, न्योछावर मत प्राण करो।।
मात पिता का मान हो तुम सही राह अपनाओ ,
शक्ति का विस्तार करो कुछ करके दिखलाओ ,
अपनी शक्ति को पहचानो तुम नारी का उत्थान करो।
झूठे प्रेम प्रसंग में पड़कर, न्योछावर मत प्राण करो।।
उठो आज की बेटी जागो, नव युग का निर्माण करो।
झूठे प्रेम प्रसंग में पड़कर, न्योछावर मत प्राण करो।।
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प्रेम समर्पण
सभी सुखों का सार है ये ,
जीवन का आधार है ये ,
हो जाता है दुख का तर्पण ,
जब होता है प्रेम समर्पण ।
प्रेम अंकुरित अनुराग राग ,
नैनो का नैनो से सम्वाद ,
निर्मल मन हो जैसे दर्पण ,
जब होता है प्रेम समर्पण।
त्याग प्रेम की परिभाषा ,
पढ़ना होता मन की भाषा,
दौड़े कृष्ण रूका चीरहरण ,
जब होता है प्रेम समर्पण ।
प्रेम दीवानी थी राधा रानी ,
मीरा हो गई नाम दीवानी ,
तन मन सब कृष्ण अर्पण ,
जब होता है प्रेम समर्पण ।
प्रेम से होती हृदय विरक्ति ,
जैसे मीरा गिरधर की भक्ति ,
प्रेम दिलों का पावन बन्धन ,
जब होता है प्रेम समर्पण।