चैप्टर – 2
7 जुलाई 2022
करीब आधे घंटे में इन तीनों गृहणियों के गहने सोने को चमकाने वालों ने बिलकुल नए जैसे करके दे दिए। तीनों बेहद खुश हो गईं। उन्होंने गहने चमकाने वालों की अच्छी खातिरदारी की और बतौर मेहनताने के मुंहमांगे पैसे दिए।
रात में जब रघुराज त्रिपाठी, नीलम श्रीमाली और सुधीर चंदानी अपने—अपने कार्यों से निपटकर घर आए तो तीनों गृहणियों ने बेहद अच्छे मूड में उन्हें अपने—अपने चमकते गहने पहनकर दिखाए। गहनों को चमकता देखकर तीनों पुरुष दंग रह गए। हालांकि सुधीर चंदानी ने माया को यह नसीहत जरूर दी कि उन्हें घर में रखे गहनों के प्रदर्शन से बचना चाहिए था। माया ने यह कहकर उनकी बात काट दी कि अपने घर में ब्राडगेज का लॉकर लगा है जो कि काफी सेफ है। उसने उसके बारे में थोड़े ही गहने चमकाने वाले को बताया है।
8 अगस्त 2022
रफ्ता रफ्ता एक महीना बीता। फिर आई अमावस की काली रात। जहांगीराबाद में रात गहराने के साथ ही सन्नाटा पसरने लगा था। थके—मांदे रहवासी अपने—अपने घरों में सो रहे थे। यही कोई आधी रात का वक्त था कि कालोनी के पीछे लगे पेड़ों के सहारा लेकर छह काले साए कूदकर कालोनी में घुस गए। इस घटनाक्रम से बेखबर कालोनी के दोनों गार्ड मेन गेट के बाहर सो रहे थे। ये साए जल्द ही दो—दो के ग्रुप में बंटकर त्रिपाठी, श्रीमाली और चंदानी के घरों में घुस गए। इन्होंने इन लोगों को हथियारों के दम पर डरा—धमकाकर लॉकर में रखे सोने के तमाम गहने—जेवर लूट लिए। तीनों परिवारों के पुरुषों ने प्रतिरोध करना चाहा पर इन गुंडों के आगे इनकी कुछ नहीं चली। मारपीट के साथ लूट को अंजाम देने के बाद ये गुंडे जिस रास्ते आए थे उसी रास्ते से गायब हो गए।
गुंडों के चले जाने के बाद पूरी कालोनी में हल्ला मच गया। त्रिपाठी, श्रीमाली और चंदानी कालोनी के गार्डों पर लाल—पीले होते हुए पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखाने पहुंच गए। टीआई रमेंद्र प्रताप ने उनकी बात ध्यान से सुनी और लुटेरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन देकर इन तीनों को वापस भेज दिया।
9 अगस्त 2022
अगले दिन शहर के तमाम अखबार इस लूट की खबर की सुर्खियों से रंगे हुए थे। दैनिक सुबह—सबेरे ने इस खबर की हेडिंग लगाई थी— पाश कालोनी जहांगीराबाद, गुंडों के पाश मे! 1 करोड़ के सोने की लूट! दैनिक न्यूज एक्सप्रेस की हेडिंग थी — कवर्ड कैंपस निवासी सोने की लूट से सकते में! लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ी।
14 अगस्त 2022
खबरों के साथ अफवाहों ने भी उड़—उड़कर जहांगीराबाद निवासियों की रातों की नींद उड़ा दी। अब वे अपनी और अपने सोने की सुरक्षा के प्रति चिंतित हो गए। उन्हें यह लगने लगा कि घरों में सोना रखना मानो मुसीबत को न्योता देना है। ऐसे में दो—तीन परिवारों ने सोने को बेचकर मिली रकम की फिक्स्ड डिपाजिट कराना उचित समझा। तो सात—आठ लोगों ने जेएसएम बैंक में अपना सोना लॉकर में रखवा दिया। लेकिन अधिकतर परिवारों को यही उचित लगा कि सोने के नाम पर लोन ले लिया जाए। दो—तीन साल में उसे चुका दिया जाए। स्मूथ गोल्ड फाइनेंस कंपनी के लॉकर में गोल्ड सुरक्षित भी रहेगा और लोन के तौर पर मिली रकम का उपयोग किसी प्रकार के जोखिम रहित निवेश में या प्लाट आदि खरीदने में कर लिया जाएगा। इस प्रकार दोनों हाथों में लड्डू रहेंगे। सोने की हिफाजत भी हो जाएगी। सोने की चीजें गिरवी रखने से हाथ में आई रकम का सदुपयोग भी हो जाएगा। इसके बाद फाइनेंस कंपनी की ब्रांच में गोल्ड लोन लेने के लिए सैकड़ों आवेदन आ गए।
क्रमशः (काल्पनिक कहानी )