चैप्टर-1
शिविका वन में चार गिलहरियां रहती थीं – ढिल्लू, पिल्लू, गिल्लू और कल्लू! चारों का नेचर अलग-अलग था और उनके रहन-सहन की स्टाइल भी एक दूसरे से बेहद जुदा थी। एक दिन वे चारों अल-सुबह अपने-अपने कामधंघे में जुटी हुई थीं। तभी जंगल में कुछ कोलाहल हुआ। ढिल्लू तो आलसी जैसी वहीं खड़ी रही। पिल्लू पेड़ पर चढ़कर बैठ गई। गिल्लू एक झाड़ी की ओट में छिप गई और कल्लू पूरी तरह अलर्ट होकर एक पत्थर की ओट में जाकर बैठ गई।
कुछ समय बाद उन गिलहरियों ने देखा कि एक व्यापारी अपनी खुली जीप में आकर एक कुएं के पास रुक गया। उसने वहीं खाना-पीना किया और थोड़ी देर सुस्ता कर आगे बढ़ गया। उसके जाने के बाद चारों गिलहरियां अपनी-अपनी मोर्चाबंदी छोड़कर व्यापारी के ठहरने के स्थान पर आ गईं।
वहां उन्हें घास के नीचे पीला-पीला कुछ दबा दिखा। उन्होंने उस चीज के बारे में छानबीन की तो पता चला कि व्यापारी के पर्स से चार अशरफियां गिरकर घास में दब गई थीं। अशरफियों के गिरने का व्यापारी को पता नहीं चला था और वह बिना कोई जांच किए आगे बढ़ गया था।
ये अशरफियां देखकर ढिल्लू बोली – पता नहीं यह क्या मुसीबत व्यापारी छोड़ गया है। ये तो मुझे नकली लगती हैं। कौन माथापच्ची करे इनके बारे में!
यह सुनकर पिल्लू बोली- बहन! शायद ये सोने की अशरफियां हैं। ये बहुत काम आती हैं।
गिल्लू बोली- हां बहना! सोने के भाव तो दिन पर दिन बढ़े जा रहे हैं। ये अशरफियां हमारे लिए उपयोगी हो सकती हैं।
फिर आखिर में कल्लू बोली – हां गिल्लू! मैंने अशरफियों के बारे में बहुत स्टडी की है। ये अशरफियां आसानी से खरीद बेची जा सकती हैं और हम इनसे मिली रकम का अच्छा सदुपयोग करके अपनी बाकी जिंदगी मजे में बिता सकते हैं।
ढिल्लू थी तो स्वभाव से आलसी। उसे लगा कि इस काम में तो बेहद मेहनत होगी। इधर से उधर जाना पड़ेगा और खरीद-बेच के लिए सुनार के चक्कर काटने पड़ेंगे। इतनी भरमना में पड़ने से अच्छा है कि चैन से चादर तान कर सोया जाए और आज के दिन जमकर आराम किया जाए। अतः वह अपनी अशरफी को वहीं फेंककर सोने चली गई।
ढिल्लू की अशरफी को लेकर तीनों गिलहरियों में मनमुटाव हो गया। वे उसमें अपना हिस्सा पाने के लिए बैचेन हो उठीं। यह देखकर कल्लू बोली – क्यों न अपन ऐसा करें कि इन चारों अशरफियों को अपने जंगल के एकमात्र जौहरी झुमकू सियार को बेच दें और वह जो रकम दे, उसे आपस में बराबर-बराबर बांट लें।
बराबरी की रकम मिलने के प्रस्ताव पर थोड़े बहस-मुहासिबे के बाद सम्मति बन गई। वे चारों अशरफियों को लेकर झुमकू के पास बैठीं। जब तीनों गिलहरियों के सामने वे अशरफियां रखीं तो उसकी आंखें चौड़ी हो गईं। उसने इतने प्योर गोल्ड वाली अशरफियां कभी नहीं देखी थीं।
क्रमशः
(काल्पनिक कहानी )