आखिरी चैप्टर
झुमकू ने इतने प्योर गोल्ड वाली अशरफियां कभी नहीं देखी थीं।
उसने उनका वजन किया -कुल मिलाकर 40 ग्राम निकलीे! उसने 60000 रुपये प्रति दस ग्राम की दर से 2 लाख 40 हजार रुपये गिलहरियों को दे दिए।
इन गिलहरियों ने इतने सारे नोट कभी एक साथ नहीं देखे थे। वे उन्हें पाकर खुशी से उछल पड़ी। इसके बाद कल्लू ने कैलकुलेटर निकाला, गुणा-भाग किया तो मालूम चला कि प्रत्येक गिलहरी के हिस्से में 80 हजार रुपये आएंगे। उसने उन नोटों को झुमकू की निगरानी में बंटवा दिया।
अब पिल्लू को जब इतने सारे रुपये एकसाथ मिल गए तो उसने सोचा कि क्यों न जिंदगी भर के लिए खाने-पीने का जुगाड़ कर लिया जाए। अतः उसने उस रकम से ढेर सारे अखरोट और शराब की कई बोतलें खरीद लीं। जब थोक में उसके पास अखरोट हो गए तो उन्हें रखने के लिए उसे अपना घोंसला छोटा पड़ने लगा। फिर बोतलों को रखने के लिए बार बनाने का भी शौक चर्रा गयां। नतीजतन उसने नैशनल जंगल बैंक से कोई दो लाख रुपये उधार ले लिए और बाकी जिंदगी लोन में डूबकर बिताने की तैयारी कर ली।
गिल्लू ने सोचा कि उसके जवानी के दिनों से इच्छा रही है कि अपनी पूरी फैमिली के साथ गोवा घूमने-फिरने चला जाए। अतः उसने अशरफी बेचकर जुटाई रकम से गोवा के ट्रिप की तैयारी कर ली। खूब नए-नए कपड़े सिलवाए। और दस-बारह दिनों में ही पूरा पैसा फूंक तापकर पूरी तरह से निचुड़कर वह अपने घर में आकर सो गई।
उधर, कल्लू ने थोड़ा दिमाग लगाया। उसने 20 हजार रुपये शेयर मार्केट में निवेश कर दिए। उसने निवेश करने से पहले कई शेयरों के बारे में जमकर स्टडी की। उनके उतार-चढाव का जायजा लिया। उनके फंडामेंटल्स पता किए और एक भरोसेमंद संस्था के पास डीमैट एकाउंट खुलवा कर शेयरों की ट्रेडिंग शुरू कर दी।
यही नही उसने 40 हजार रुपये की पोस्टआफिस में अपना मंथली इनकम स्कीम का खाता खुलवा दिया और बाकी 20 हजार रुपये की छह महीने के लिए फिक्स्ड डिपोजिट करा दी ताकि इमरजेंसी पड़ने पर इस रकम का सही उपयोग किया जा सके। वह अपनी इनकम के मुताबिक खर्च करती और जरूरत नहीं पड़ने पर इस एफडी को छह-छह महीने बढ़वाती जाती।
इस प्रकार बुद्धिमानी पूर्वक अशरफी बेचने से मिली रकम का सदुपयोग करके करीब तीन साल बाद उसने न केवल हर महीने राशन के तौर पर अखरोटों का 200 ग्राम का डिब्बा खरीदना शुरू कर दिया बल्कि साल में एक बार घूमने-फिरने के लिए जाने लगी। हाल ही में वह अयोध्या, वृदावन और मथुरा भी घूमकर आ गई। वह आगे गोवा जाने की प्लानिंग कर ही रही थी कि चौथे साल में उसे एक सड़क दुर्घटना के कारण घायल होने पर अस्पताल में भरती रहना पड़ा तो उसने एफडी तोड़कर अपने इलाज का बंदोबस्त कर लिया। अब वह स्वस्थ और प्रसन्न है अगले माह गोवा घूमने की तैयारी कर रही है।
इस प्रकार कल्लू ने समझदारी से परिचय देते हुए अनायास मिली रकम का अच्छा सदुपयोग किया और बाकी जीवन भी खुशहाल रहकर बिताने का जुगाड़ बैठा लिया।
मोरल ऑफ़ द स्टोरी : जब भी अनायास बढ़िया रकम मिले उसे बुद्धिमानी पूर्वक निवेश कीजिए जिंदगी आसानी से कटेगी