चैप्टर – 1
23 अगस्त 2023।
देश के अन्य शहरों की तरह भोपाल के भी लोग इस दिन टीवी से चिपके बैठे हुए थे। सभी लोग अपने—अपने घरों में भारत द्वारा छोड़े गए चंद्रयान-3 के चांद की सतह छूने का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही शाम 6 बजे के बाद चंद्रयान—3 ने चांद की सतह को छुआ और सफलतापूर्वक लैंडिंग की हर हिंदुस्तानी का मस्तक गर्व से ऊंचा हो गया। हमने कर ली चंद्र विजय! लहरा दिया तिरंगा चांद पर! ऐसे भावों के साथ सब जगह जश्न शुरू हो गया। इस जश्न में कनिका, आदित्य, समीर और यशिका भी शामिल थे।
यह खबर सुनते ही तीनों दोस्तों ने यशिका के घर पर धमाल मचा दिया। वे जीभर के नाचे और देशभक्ति के गीतों का ऐसा समां बांधा कि पीडब्ल्यूडी विभाग में इंजीनियर और यशिका के पापा नीरज तोमर भी मंत्रमुगध होकर तालियां बजाने लगे। इन लोगों का उत्साह कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। देश की इस अभूतपूर्व उपलब्धि से तोमर का भी सीना गर्व से चौड़ा हो गया। उन्होंने अपनी जेब से फौरन 500 रुपये का नोट निकाला और यशिका की मम्मी दमयंती को पास ही की दुकान से मिठाई तथा समौसे लेने भेज दिया।
इसके बाद तोमर ने रीजनल साइंस सेंटर में अपने बचपन के दोस्त डायरेक्टर राजेंद्र अग्निहोत्री को मोबाइल फोन पर कॉल किया। दूसरी ओर से अग्निहोत्री की उत्साह भरी आवाज आई ।
अग्निहोत्री — बधाई हो तोमर साहब! देश ने एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
इस पर तोमर बोले — हां भई! आपको भी बधाई हो! आखिरकार देश के वैज्ञानिकों की मेहनत सफल हो ही गई। हमारे घर पर भी उत्सव का माहौल है और गलियों में भारत माता की जय के नारे लग रहे हैं। लोग अपने—अपने हाथों में तिरंगा थामे रैलियां निकाल रहे हैं। पटाखे चला रहे हैं।
अग्निहोत्री ने कहा — भाई साहब! ऐसा ही माहौल हमारे इलाके में भी है। लोगों का जोश और उत्साह देखते ही बनता है। और बताओ, कैसे याद किया?
तोमर ने कहा — भाई साहब! हमारे यहां यशिका के फ्रेंड्स खुशी से लबरेज हैं। उनकी भावनाएं उफान पर हैं। पर मुझे लगता है कि उन्हें इस मिशन के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं है। क्या आप उन्हें गाइड कर देंगे?
अग्निहोत्री ने कहा — हां, हां क्यों नहीं? ऐसा करो उन्हें लेकर मेरे घर पर आ जाओ। मैं यहां अपने प्रोजेक्टर पर कुछ आडियो—विजुअल सामग्री भी दिखा दूंगा और इस मिशन के बारे में मुझे जो कुछ भी जानकारी है उसे बच्चों के साथ शेयर करूंगा।
जल्द ही यशिका की मम्मी समौसे और मिठाई लेकर आ गईं। इसका तोमर ने सपरिवार यशिका के दोस्तों के साथ जमकर लुत्फ उठाया इसके बाद वे उनकी कार में सवार होकर चार इमली स्थित राजेंद्र अग्निहोत्री के घर पहुंच गए। जब ये लोग वहां पहुंचे तो अग्निहोत्री अपना ड्राइंग रूम में अपना प्रोजेक्टर सैट करने में लगे थे। उत्साह से भरे बच्चों को देखकर अग्निहोत्री का चेहरा भी खिल गया। अग्निहोत्री को प्रणाम करने के बाद कनिका बोली ।
कनिका — अंकल! रात में चांद निकलता है तो कितना प्यारा लगता है। मेरी मां ने मेरे दिमाग में अच्छी तरह से बैठा दिया है कि चांद धरती का मामा है। मैं भी अपने सौरभ मामा में भी चांद की झलक देखती हूं। वे जब भी कश्मीर से आते हैं मेरे लिए एक से बढ़कर एक गिफ्ट लाते रहते हैं। वे फौज में नौकरी करते हैं। मुझे जब भी उनकी याद आती है मैं अपनी मिमियाती सी आवाज में वह गाना गा लेती हूं जो कि मेरी मां ने मुझे सिखाया था— चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा, मेरी आंखों का तारा मेरा मामा!
समीर ने कहा — एक मिनट रुको। चांद पर अच्छी तरह से लैंडिंग के बाद चंद्रयान—3 अब हमारी आंखों का नया तारा हो गया है। लेकिन हमें चंद्रयान—3 के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं है। अंकल! हम चाहते हैं आप इस बारे में कुछ रोशनी डालें।
क्रमशः (काल्पनिक कहानी)