आखिरी चैप्टर
समीर ने कहा — एक मिनट रुको। चांद पर अच्छी तरह से लैंडिंग के बाद चंद्रयान—3 अब हमारी आंखों का नया तारा हो गया है। लेकिन हमें चंद्रयान—3 के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं है। अंकल! हम चाहते हैं आप इस बारे में कुछ रोशनी डालें।
इस पर अग्निहोत्री गर्व भरी आवाज में बोले — बिलकुल ठीक बच्चों! चंद्र मिशन की कामयाबी देश की बहुत बड़ी उपलब्धि है। क्या आप लोग इस बात को जानना चाहेंगे कि यह उपलब्धि देश को कैसे हासिल हुई?
सभी बच्चे एक स्वर में बोले — जी हां अंकल!
इसके बाद राजेंद्र ने 10 मिनट का एक वीडियो दिखाया। वीडियो में देश के चंद्रयान मिशन के बारे में जानकारी दी गई थी।
वीडियो खत्म होने के बाद राजेंद्र ने बताया — बच्चों! चंद्रयान-3 श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 14 जुलाई 2023 को चांद के सफर पर रवाना हुआ था। इसरो के वैज्ञानिकों ने इसकी चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करा दी है। चंद्रयान-3 ने 41 दिनों में यह सफर तय किया। अब यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पहुंच गया है। यहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है। इसके साथ ही सॉफ्ट-लैंडिंग की तकनीक में महारत हासिल करने वाला अपना देश दुनिया का चौथा देश बन गया है। भारत चंद्रमा की सतह के बारे में कई तरह स्टडी करना चाहता है। किसी भी देश ने अब तक चंद्रमा की सतह पर ताप संबंधी विशेषताओं का परीक्षण नहीं किया है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र का अध्ययन बहुत इसलिए महत्वपूर्ण है।
यशिका ने पूछा — अंकल!चंद्रयान—3 को बनाने में कितनी लागत आई थी?
राजेंद्र ने बताया— चंद्रयान-3 को 615 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। इससे पहले भेजे गए चंद्रयान-2 पर 978 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। चंद्रयान-1 की तो लागत 386 करोड़ रुपये आई थी।
आदित्य ने पूछा — चंद्रयान—3 काम कैसे करेगा? इससे क्या जानकारी मिलने की अपेक्षा है?
राजेंद्र ने बताया — चंद्रयान-3 अपने साथ कई उपकरण ले गया है जो चंद्रमा की मिट्टी के बारे में जानकारी जुटाएंगे और चंद्र कक्षा से तस्वीरें लेने में इसरो की मदद करेंगे। इन उपकरणों में रंभा और इल्सा भी शामिल हैं, जो 14-दिवसीय मिशन के दौरान सिलसिलेवार ढंग से कई प्रयोगों को अंजाम देंगे।
ये सब बातें तोमर भी बड़े ध्यान से सुन रहे थें। आखिर में एक सवाल उनके मन में बड़ी देर से कुलबुला रहा था। जब उनसे रहा नहीं गया तो वे पूछ ही बैठे — रंभा और इल्सा नाम तो बड़े दिलचस्प हैं। ये वहां क्या करेंगे?
राजेंद्र ने कहा— ये उपकरण चंद्रमा के वायुमंडल का अध्ययन करने के साथ इसकी खनिज संरचना जानने के वास्ते सतह पर की खुदाई करेंगे। लैंडर विक्रम तब रोवर प्रज्ञान की तस्वीरें लेगा जब यह कुछ उपकरणों को लैंड करवाकर चांद पर भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन करेगा। चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी खोजने के साथ सतह पर जीवन की संभावना भी तलाशेगा।
यह जानकारी सुनकर हैरान यशिका बोली — क्या चांद पर जीवन भी हो सकता है? क्या हम भी कभी चांद पर नील आर्मस्ट्रांग की तरह उतर सकेंगे?
राजेंद्र बोले — चांद पर जीवन के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन यह मुमकिन है कि जब आप लोग 40—45 साल के हो जाएंगे तो अपने देश के लोग भी चांद का टूर करने लगेगे। आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी कहा है कि चंदा मामा अब दूर के नहीं बल्कि टूर के हो जाएंगे। तो बच्चों उम्मीद तो पूरी है जल्द ही हम हिंदुस्तानी आए दिन चांद के दर पर दस्तक देकर आया करेंगे!
इस पर तोमर बोले— राजेंद्र साहब! आपने बहुत बढ़िया बातें हम सबको बताईं। इसके लिए हम आपका धन्यवाद करते हैं। आपका आडियो—वीडियो प्रजेंटेशन भी शानदार रहा। इससे हम सबका उत्साह दोगुना हो गया है और बच्चों को तो ऐसा लग रहा है कि बस वह दिन जल्दी आ जाए जब हम हिंदुस्तानी चांद तक सैर—सपाटा करने, खोजबीन करने, नई—नई जानकारियां जुटाने जा सकें।
इसके बाद तोमर बच्चों के साथ राजेंद्र अंकल के घर पर रखी दूरबीन से चांद को निहारने में लग गए। वे इस दौरान उल्लासित स्वर में गाते जा रहे थे — चंदा मामा टूर के! पुए बना के बूर के! हम आएंगे चंद्रयान से! पिकनिक मनाएंगे धूमधाम से! इस दौरान वे इस कल्पना में खोए हुए थे कि जब वे चांद पर पिकनिक मनाने जाएंगे तो खाने—पीने की कौन सी चीजें और कौन से गेम्स अपने साथ ले जाएंगे। वहां हवा और पानी की व्यवस्था के लिए क्या—क्या इंतजाम करने होंगे। उन्हें भरोसा था कि जब तक वे बड़े होंगे तब तक ऐसी—ऐसी चीजों का आविष्कार हो जाएगा जिससे वे बिना मास्क और स्पेस सूट पहने धरती की तरह वहां पिकनिक मना सकेंगे।