आखिरी चैप्टर
बदामी लाल — डाकधर ने कछु नईं देखो। बस, पूछत रओ— नींद आता है? कॉल क्या खाया था? आज क्या खाया है? फिर रामकली को अपओं परचा दओ और बोलो जे जांचें कोरबा लो। शाम को रिपोरट दिखाने आ जाना! हमने कही डाकधर साब! इते आबे से पैले हम गए ते थाना में रिपोरट लिखवाबे पर दारोगा ने नईं लिखी।
डॉक्टर — काय की रिपोरट?
बदामी लाल बोले — चांदनी के गुम होबे की! जा पे डाकधर साब बोले
डॉक्टर — चांदोनी के आछे? कौन है चांदोनी?
बदामी लाल बोले — डाकधर साब! चांदनी के बारे में न पूछो। वा इतेक सुंदर हती कि हमाए पूरे इलाके में बा को जैसो कोई नइया! बा के चक्कर में हमने अपएं बाल करिया करालय । जा सुनके डाकधर साब अपओं चसमा आंखन से नीचे खिसकाकर बोले ।
डॉक्टर — भालो! दिलेर मामोला लोगता है!
बदामी लाल बोले — डाकधर साब! सच्ची बोल रए। हमओ दिल्ल 15 दिनां से किल्ल—बिल्ल कर रओ है। बाकी सूरत आंखन में झूलत रहत है। बाको खाबो, बाको पीवो सब औरन से अलगई हतो! बा आ जात ती तो पूरे घर में रौनक हो जात ती! बासे हमने बाको नाओ चांदनी रखो हतो! डाकधर साब चांदनी के बारे में जे सब बातें सुनके हैरान रह गए। वे अपईं कुर्सी से खडे हो गए और बोले ।
डॉक्टर — बोदामी लाल! आपनार दिल के संभालो! कहीं ये हाथ से फिसोल ना जाए! वैसे उस्की उम्र क्या थी?
बदामी लाल — हमने जा सवाल के जवाब में जैसई 15 साल कहो डाकधर साब! बेहोश होवे—होवे को हो गए! वे अपओं करेजा थाम कर बोले।
डॉक्टर — आब अमा के किछु ना बोलेन! आमार माथा बोसिओ जाच्छे!
बदामी लाल — जब और लोगन ने डाकधर साब की जा हालत देखी तो हल्ला मचाबो सुरु कर दओ! उन्हें लगो हमाई बातन से डाकधर की तबियत न बिगड़ जाए। हम बड़ी मुश्किल से भीड़ में से निकरे। फिर पूछतपाछत पहुंचे जांचें करवाके कमरा में! हमाओ कुरता उतरवा दओ। फिर सीने पे तारई—तारई बिधे दए। हमें लगो के जे हमें करंट को झटका देत हैं। हमाओ दिल और धुक्क—धुक्क करन लगो। तुम तो जानतई तो हमें बिजली से कितेक डर लगत है। हमने भगवे की कोशिश करी पर उन्ने हमें मसक के लिटा दाओ। डांटो सो अलग। मन मसोस के बा जांच कराई। जांच के समय एक कागज पे मशीन चलत देखी। बा सीधी लाइनन को नईं लिख पा रई ती! लोगन से हमने पूछो तो उन्ने बताओ जा ईजीसी की मसीन है। जा पे अगर सीधी—सीधी लाइनें आ जाएं तो समझलो जमराज को बुलउआ आ गओ। जा जांच पूरी होबे के बाद हमें एक छोटे से पटिया पे लेटा दओ। सुपेद कोट वाले कम्पाउंडर ने टारच जैसी तार से जुडी मशीन से हमाए सीने को दबा—दबा के जांच करी। हमाए मौं से चीख निकल गई। गुस्सा अलग आ रओ तो। वो पनमेसरो बस जांच करत रहो। जांच के समय जाने कैसी—कैसी डरावनी आवाजें आ रई थीं! बुडबुड—बुडबुड, भटाक भटाक! ऐसो लग रओ तो मानो भड़भूंजा मकई के दानन को गरम कड़ाही में सेंक रओ हो। हमने जा बारे में पूछो तो जांचवे बारो बोलो कि वे हमाए दिल की आवाजें हैं जो मशीन से जांच होबे के दौरान आत हैं। बड़ी मुश्किल से राम—राम करके करीब एक घंटा में जांचन से पिंड छूटो।
नन्हे भैया — फिर का भओ? जांचन में का निकरो? डाकधर ने कछु उल्टी—सीधी बात तो नईं बताई? नन्हे भैया उनका ब्योरा सुनकर जल्दी से सवाल पूछ बैठे।
बदामी लाल — जांचन में कछु जादा नईं निकरो। डाकधर साब ने जब उन रिपोरटन को देखो तो बोले।
डॉक्टर — तोमादेर दिल का मामोला जादा गोड़बोड़ नोई है! पांच दिन दोवा खाएगा ठीक हो जाएगा। लेकिन एई तो बोलो — जे चांदोनी के आछे?
बदामी लाल — हमने कई — बा हमाई भैंस है डाकधर साब! बा को हम बहुतई चाहत हैं। हम 15 दिनन से बाखौं तलाश रहे हैं। जाने किते हिरा गई? जो सुनतनई डाकधर साब बेहोश होत—होत बचे। हम धीरे से उनके कमरा से बाहर आ गए! अब उनकी लिखी दवाइयां ले रए हैं।
इस बीच, पौर के बाहर खटखट हुई। नन्हे भैया और बदामी लाल ने दो अनजान लोगों को दरवाजे पर खड़ा देखा। सामने का दृश्य देखकर उनकी आंखें चौड़ी हो गईं। सामने चांदनी भैंस खड़ी थी! उसकी डोर दोनों लोगों ने थाम रखी थी। उन लोगों ने बताया कि चांदनी पास के ही मानिकपुर के कांजी हाउस में 15 दिनों से बंद थी। वह चरनोई से भटककर मानिकपुर के खेतों में नुकसान पहुंचा रही थी। इससे परेशान होकर वहां के लोगों ने उसे कांजी हाउस में बंद करवा दिया था। उसके कान पर लगे इंश्योरेंस की निशानी को देखकर एजेंट से पूछताछ की थी। तब पता चला था कि यह भैंस हीरापुर के बदामी लाल की है! अपनी भैंस को सही—सलामत देखकर बदामी लाल बेहद खुश हो गए और कांजी हाउस का जुर्माना भी खुशी—खुशी भर दिया। फिर रामकली से चांदनी की आरती उतरवाई और उसे ले जाकर उसके थान में बांध दिया।
(काल्पनिक कहानी )