चैप्टर-2
दीपा – तुम्हें बाइक चलाना आता है?
सपना – हां, मां! वो आकाश खड़गवाल है न मेरा फ्रेंड, वह मुझे कॉलेज ले जाते समय कभी-कभी मुझे अपनी बाइक चलाने को देता था। मुझे इतना तो आ ही गया है कि बाइक को रोड पर कैसे संभालना चाहिए और कैसे चलाना चाहिएं
यह सुनकर दीपा के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। वे हैरान होकर बोलीं – वाह! बेटा! तू तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली। चलो, अच्छा है। मैं गैरेज का ताला खोल देती हूं।
इसके बाद वे रजत के कमरे में गईं। चूंकि रजत का टूरिंग जॉब था। उन्हें सेल्स और मार्केटिंग के सिलसिले में अक्सर सतारा से अन्य बड़े-बड़े शहरों में कभी अकेले तो कभी बॉस के साथ टूर पर जाना पड़ता था। अतः वे अपना बैग बिलकुल रेडी करके रखते थे। इसमें उनके कपड़े-लत्ते व सफर के लिहाज से अन्य जरूरी वस्तुएं अच्छी कंडीशन में रखी रहती थीं।
दीपा ने वह बैग उठाया और हाथ में पकड़े हुए गैरेज तक आईं। फिर उन्होंने गैरेज का ताला खोला और सपना को आवाज देकर कहा – बेटा! तैयार होकर आ जाओ! मैं बाइक निकलवाने में मदद के लिए गैरेज के पास खड़ी हं।
मम्मी की आवाज सुनकर सपना ने जींस चढ़ाई। कुर्ता पहना। ड्रंइंग रूम में एक कॉर्नर में रखा हेलमेट निकाला और एक चुन्नी ले लेकर वह गैरेज की तरफ फटाफट निकल गई।
सपना ने पापा की बाइक निकाली। इस काम में जहां दिक्कत आई दीपा ने भी मदद की। पेट्रोल चेक किया। पूरे 2 लीटर पेट्रोल था उस बाइक की टंकी में। फिर उसे झाड़-पोंछकर स्टार्ट किया। मम्मी का दिया हुआ बैग पीठ पर लादा और हौले से गियर बदल कर उसे घर के बाहर की सड़क पर ले आई।
दीपा ने उसे टाटा करते हुए कहा – बेटा! धीरे-धीरे और सावधानी के साथ जाना।
सपना – ठीक है ममा! यह कहकर उसने सिर पर हेलमेट पहन लिया।
चूंकि हेलमेट कुछ बड़ा था अतः उसने सिर पर चुन्नी लपेटी और फिर हेलमेट पहनकर बाइक धीरे-धीरे बाइक चलाती हुई पापा के ऑफिस के तरफ चल पड़ी।
इसके बाद दीपा अपना बाकी कामकाज निपटाने किचन में चली गईं। साथ ही उन्होंने रजत को फोन करके बता दिया कि सपना बाइक चलाते हुए बैग लेकर आफिस आ रही है। यह बात सुनकर रजत भी हैरान हो गए। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी बेटी इतनी बड़ी हो गई है और उसने बाइक चलाना भी सीख लिया है।
उधर, सपना रोड पर बाइक चलाते हुई आगे बढ़ते जा रही थी। दोपहर होने से रोड पर ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं थी। वह वीर शिवाजी चौक तक पहुंची ही थी कि दो लड़के उसकी बाइक के पास से कट मारते हुए तेजी से आगे निकले। वे उसे देखकर चिल्लाए – ये देखो! एक लड़की सरदार बनकर बाइक चला रही है।
दरअसल, सपना ने सिर पर हेलमेट के नीचे चुन्नी ऐसे लपेट रखी थी कि वह सरदार जैसी लग रही थी। वह उन लड़कों की बात सुनकर मन ही मन बोली – बच्चू मैं सरदार नहीं, असरदार हूं। अगर मेरे हत्थे चढ़ गए तो नानी याद करा दूंगी ।
क्रमशः
(काल्पनिक कहानी)