रचनाकार : शबनम मेहरोत्रा, कानपुर
मैं और मेरी बहनें स्कूल से रिक्शे से वापस घर आ रहे थे । मोड़ पर पहुँचते ही रिक्शावाले ने रिक्शा धीमा कर बोला मेहता जी के घर पर इतनी भीड़ लगता है कुछ हादसा हुआ है ।
इतने में एक औरत सफ़ेद कपड़ों में तेज चाल से घर के अंदर प्रवेश कर चिल्लाने लगी “ हाय राम कोख से ही काल पैदा हो गया “ इतना सुनते ही चार छै औरतें भी यही दुहराने लगीं ।
रिक्शे वाले ने एक आदमी से पूछा कि क्या हुआ भैया?
आदमी – लाला जी नहीं रहे ।
रिक्शा बढ़ गया हम घर पहुँच गए ।
दीदी ने ताई व माँ को बताया चक्की वाले लाला जी मर गये ।
ताईजी- अयहय कैसे ?
दीदी – वो तो मालूम नहीं पर औरतें कह रही थीं, “ कोख से ही काल पैदा हो गया “।
ताईजी – बैजू ज़रा पता तो करके आ हाँ और पूछ भी लेना कब उठायेगें । माँ की तरफ़ देख कर – पड़ोस का मामला है जाना तो होगा।
बैजू चला जाता है । आधे घंटे बाद लौट कर।
सुबह नौ बजे उठा देंगे ।
ताई जी- क़िस्सा क्या है ?
बैजू- जी चक्की का नौकर बता रहा था कि सुबह से जगदीश भैया और मैं चक्की पर आटा पीस रहे थे , दोपहर ढाई बजे लाला जी आये और जगदीश भैया से बोले जा तू भी खाना खा ले ।
जगदीश भैया ने उन्हीं के सामने दराज़ खोली और दस का नोट ले कर जाने लगे उसी वक्त कंजूस लाला जी ने पीछे से क़मीज़ पकड़कर खींची और बोले इधर ला फ़ालतू खर्चा ! और जगदीश के घुमते ही मेरे सामने थप्पड़ जड़ दिया । ग़ुस्से में जगदीश भैया ने अपने को छुड़ाने के लिए लाला जी को धक्का दिया तो लालाजी सिर के बल नुकीले पत्थर पर गिरे और खून निकलने लगा व बेहोश हो गए ।
अब तो जगदीश भैया अर्धविक्षिप्त हो लाला जी उठो उठो ये क्या हो गया ज़ोर ज़ोर से रोने लगे ।
शोर सुनकर अंदर से बेटी व दमाद निकले खून देख बिटिया भी रोने लगी बोली ये क्या किया भैया ।
इतना सुनते ही दमाद ज़ोर ज़ोर से चीखने लगे लाला जी को मार डाला ।
कोठी के अंदर से बीबी जी बहू व छोटा बेटा आ गये ।
डरते डरते बहू बोलीं डॉक्टर साहब को बुला लो ।
उन्हीं के घर के एक हिस्से में किराये पर डॉक्टर साहब रहते थे ।
बीस मिनट बाद डॉक्टर साहब आये तब तक खून कॉफी बह चुका था । डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया ।
सुनकर लोगों का आना शुरू हो गया एक औरत हुआ क्या कैसे मौत हो गई ?
क्रमश:
(काल्पनिक रचना)