रचनाकार : शबनम मेहरोत्रा, कानपुर
बीस मिनट बाद डॉक्टर साहब आये तब तक खून काफी बह चुका था । डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया ।
सुनकर लोगों का आना शुरू हो गया
एक औरत – हुआ क्या कैसे मौत हो गई ?
दमाद- कुछ नहीं बस जगदीश भाई ने ज़ोर से धक्का दिया फिर लाला जी सिर के बल पत्थर पर गिरे और सिर फट गया ।
औरत – “ हाय कोख से ही काल पैदा हो गया “ ।
इतना सुनते ही कानाफूसी शुरू। अए हए कलयुग आ गया बेटे ने ही बाप को मार दिया ।
इतने में एक स्त्री दहाड़ मार कर बीज़ी के पास पहुँची व लिपट कर बोली – भाभी तुमने तो “कोख से काल पैदा कर लिया “हाय मेरे भाई को मार डाला । उनका विलाप सुन बीज़ी किंकर्तव्यविमूढ़ हो गई ।
संध्या हो चली लोग वापस जाने लगे ।
बॉडी को उठाकर बरामदे में लिटा दिया गया ।
जगदीश बोले जा रहा था – हाय मैंने दस का नोट क्यों लिया , हाय मैंने तो धीरे से धक्का दिया था , मुझे क्या पता था पत्थर पर गिर जायेंगे।
आंसूओं का सैलाब था पर कोई सुर ही नहीं रहा था । न माँ न बहन न भाई सबने नफ़रत से मुँह घुमा लिया । हरिया ( नौकर) से पूछ लो।
बेचारी पत्नी सांत्वना देती हुई बोली- हम समझ रहे हैं सबकुछ अंजाने में हुआ ।
दमाद- अब जगदीश भैया बच्चा तो हैं नहीं ।
सन्नाटा छा गया ।
जगदीश पागलों कि तरह अपने को कोस रहा था । उसका बच्चा बेहद घबरा गया और पापा को देख रोना शुरू कर दिया ।
बच्चे को मामा अपने घर ले गया ।
सुबह 9 बजे शवयात्रा शुरू हुई। घाट से क्रिया कर्म करके सब लौटे ही थे कि पुलिस आ गई और तहक़ीक़ात शुरू कर दी ।
दमाद जी बोले – क्या बताये जी बाप बेटे में रोज़ का झगड़ा था । कल तो झगड़े में इतनी ज़ोर धक्का दिया कि लाला जी सिर के बल पत्थर पर गिरे और मर गए ।
पुलिस ने जगदीश को हथकड़ी पहनाई और अपने साथ ले गई ।
अगले दिन जगदीश के ससुर ज़मानत लेने गये पर न मिली । उनकी बेटी के जीवन में पतझड छा गया ।
अच्छा ख़ासा परिवार बिखर गया । आटा चक्की बंदकर हरिया नौकर (चश्मदीद) को निकाल दिया ।
सवा महीने बाद बहू व बच्चे कि दुर्दशा देख नाना व मामा बीजी से बात कर अपने घर ले गये । पूरी असलियत जान बहू के पिता जी ने “ ग़ैर इरादतन हत्या “ का केस दर्ज किया ।
पर तारीख़ पर तारीख़ एक साल बाद छूटकर घर आये अर्धविक्षिप्त जगदीश बिलकुल खामोश हो गये थे ।
आटा चक्की भी किराए पर दे दी गई ।
घर में कोई बात नहीं करता ना वो किसीसे बोलते चादर ओढ़ कर गेट पर बैठे रहते ।
क्रोधित व्यक्ति शांत स्वभाव में बदल गया पर अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ।
मोरल आफ द स्टोरी : अत्यधिक क्रोध व्यक्ति का विवेक नष्ट कर देता है और कई दुष्प्रभाव छोड़ जाता है। अत: क्रोध करने से दूर ही रहिए।
(काल्पनिक रचना)