रचनाकार : उत्तम कुमार तिवारी ” उत्तम ” , लखनऊ
आजादी हमने पाई है चद्रशेखर के बलिदान से , सरदार भगत सिंह के बलिदान से, सुखदेव के बलिदान से वीर सावरकर की तन्हाई की सजा से, सुभाष चन्द्र बोस की गुमनाम जिन्दगी से, काकोरी कांड के शहीदो से ! वीर अब्दुल हमिद के बलिदान से इस आजादी की रक्षा में मदद मिली।
यह बात अलग है कि कइयों ने इस आजादी का नाजायज फायदा उठाया है।अब हम आज़ाद हो गये गरीबो की ज़मीन हड़पने के लिए , मिलावटी समान बेचने के लिए , 2 जी , कोयला घोटाला करने के लिए जानवरो का चारा घोटाला करने के लिए आज़ाद हो गये ।
राम को काल्पनिक कहने के लिए सेतु बंध पर सवाल उठाने के लिए जातियों को जातियों से लड़ाने के लिए , तन सर से जुदा करने का नारा लगाने के लिए हम आज़ाद हो गये । वर्षो से अदालत मे केस पेंडिंग रखने के लिए शिक्षा का महत्व न समझने के लिए आरक्षण देने के लिए आरक्षित श्रेणी के IAS ,IPS, IRS Dr, Judge आदि आदि के बच्चो को आरक्षण देने के लिए हम आज़ाद हो गये । टेलिवीजनो पर भिन्न भिन्न समुदाय के लोगो को बैठा कर आपसे मे लड़वा कर समाज मे द्वेष फैलाने के लिए हम आज़ाद हो गये ।
” नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना, नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना” इस चौपाई से हम आज़ाद हो गये । रिश्वत लेकर डाक्टरो द्वारा आपरेशन करने से पुलिस के द्वारा रिश्वत लेकर जघन्य अपराध को मामूली अपराध बना देने से । सरकारी राशन के दुकानों पर तय सीमा कम राशन देने से से हम आज़ाद हो गये । फूहड़ चलचित्र दिखाने अंग प्रदर्शन आदि के लिए हम आज़ाद हो गये । मुझे अभिव्यक्ति की आजादी मिल गई इससे अच्छी आजादी और क्या चाहिए थी हमे !
जनवरो को बूचड खाने मे काटने के लिए हम आज़ाद हो गये जिनसे हमे दूध गोबर की खाद मिलती थी । हरे भरे फल दार औषधीय पेड़ो को काटने के लिए हम आज़ाद हो गये । मिल गई हमे आजादी वाह री आजादी । प्रलोभनो का नारा देकर ओट मागने के लिए जाति के लिए ओट मागने के लिए मिल गई हमे आजादी । सड़को पर बैठ कर धरना देने के लिए सड़को पर पूजा प्रार्थना नमाज़ पड़ने के लिए मिल गई आजादी हमे । वाह री आजादी ।
जबकि वास्तविक आज़ादी ये थी :- ” दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा॥ सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥1॥
रामराज्य’ में दैहिक, दैविक और भौतिक ताप किसी को नहीं व्यापते। सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते हैं और वेदों में बताई हुई नीति (मर्यादा) में तत्पर रहकर अपने-अपने धर्म का पालन करते हैं।
इसको कहते है आज़ादी !