आखिरी चैप्टर
मृणालिनी — जी! लेकिन टूर तो गुरुवार को है, आप अभी से क्यों आशंकित हैं?
गोविंद — मैडम! वो हमारी इकलौती बेटी इस टूर में…
मृणालिनी — जी! समझ गई! दरअसल, न तो टूर अभी हुआ है और न ही कोई दुर्घटना अपने साथ हुई है। पहले से क्यों आप निगेटिव बातें सोच रहे हैं? आप क्यो मान ले रहे हैं कि हमारे साथ दुर्घटना हो सकती है।
गोविंद — वो अखबार में खबरें ऐसी आती हैं कि कलेजा कांप जाता है।
मृणालिनी — गोविंद जी रोज हजारों बसें चलती हैं! उनमें से एकाध के साथ दुर्घटना होती है तो वह कोई जानबूझकर तो करता नही। जाने—अनजाने में हुई चूक से ऐसा हो जाता है। कभी खराब सड़क वजह से ऐसा हो सकता है पर यदि हम सावधानी बरतें तो दुर्घटना होने के चांस कम से कम हो जाते हैं।
गोविंद — कैसी सावधानियां?
मृणालिनी — जैसे घने कोहरे में गाड़ी की पीली लाइट को जलाकर रखना, स्लो स्पीड में गाड़ी चलाना और नशे—पत्ते आदि से दूर रहना। यदि थकान लग रही हो और ड्राइव करने में दिक्कत हो रही तो गाड़ी नहीं चलाना। क्योंकि कहा भी जाता है — सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।
गोविंद — आपकी बात में दम तो है।
मृणालिनी — फिर मैं यह टूर ले जा रही हूं। हमने बस की एजेंसी को पहले से ही कह दिया है कि वे टूर पर स्टूडेंट्स को ले जाने से पहले बस की फिटनेस अच्छे से चेक कर लें।
गोविंद — वो सब तो ठीक है मैम पर कोहरे का क्या?
मृणालिनी — कोहरा तो कुदरत की एक परिघटना है। इसमें साफ देखने के लिए हम पूरी तैयारी के साथ जाएंगे। फिर मुझे एक बात बताइए कि बिना पानी में उतरे कोई तैराकी सीख सकता है?
गोविंद — जी नहीं!
मृणालिनी — तो फिर हम यदि कोहरा है कोहरा है यही सोचकर रजाई में दुबके रहे तो कैसे कोहरे का मुकाबला करना सीखेंगे? मैं तो कहती हूं हमें अपने बच्चों को कमजोर नहीं बनाना चाहिए। उनके मन में निगेटिव बातें नहीं भरनी चाहिए। इसके बजाय हमें उन्हें जोखिम लेने और पॉजिटिव थिंकिंग रखते हुए मुश्किलों के बीच पूरी सावधानी रखते हुए राह बनाना सिखाना चाहिए। आपका क्या खयाल है? फिर टूर तो चार दिन बाद है तब हालात और बेहतर भी हो सकते हैं।
गोविंद — मुझे आपकी बातें समझ में आ रही हैं मैडम! आपसे बातें करके मुझे बेहद सुकून पहुंचा है।
गीता ने जब देखा कि उनके पति के चेहरे पर चिंता की लकीरें कम हो रही हैं तो वे बेहद खुश हुईं। उन्होंने गोविंद के हाथ से फोन ले लिया और मैडम को थैंक्यू कहती हुई बोलीं — सच मैडम! आपने हमें इस भयानक कोहरे के माहौल में बेहद अच्छी—अच्छी बातें बताई हैं। हमें अब कोई हिचक नहीं है कि गीतिका को टूर पर भेजने में!
मृणालिनी — चलिए अच्छा हुआ जो आपने कुछ सवाल उठाए। दरअसल, ये सवाल उठाए जाने ही चाहिए। इनसे हमें वस्तुस्थिति समझने और साहसिक फैसले लेने की हिम्मत आती है।
गीता — थैंक्स ए लॉट मैडम!
जैसे ही फोन कट हुआ गोविंद और गीता दोनों ही चिंता मुक्त होकर गीतिका को पुकारते हुए बोले — बेटा! अब कोपभवन से बाहर आ जाओ! मैडम ने हमारी तमाम शंकाओं का समाधान कर दिया है। अब तुम बेफिक्र होकर टूर पर जा सकती हो!
गीतिका मम्मी—पापा के खुशी भर स्वर को सुनकर दौड़ी—दौड़ी आई और अपने आंसू पोंछते हुए बोली— थैंक्यू मम्मी—पापा! मैं जयपुर से पापा के लिए एक बढ़िया सी गरम रजाई लाउंगी ताकि पापा की ठंड अच्छे से कट जाए। और मम्मी आपके लिए राजस्थानी ड्रेस लाउंगी ताकि आप घूमर करते हुए घूम सकें।
यह सुनकर सब जोर से हंस पड़े।
(काल्पनिक कहानी)