रचनाकार: शबनम मेहरोत्रा, कानपुर
अगले दिन सुबह आठ बजे बँटी को पड़ोस में छोड़ने जाते ही अचानक से फ़ोन आता है कि रोहित कि मौत हो गई । रीना दहाड़ मार कर रोती है उसका करूण क्रन्दन सुनकर पड़ोसन आ जाती है संतावना दे बँटी को साथ हॉस्पिटल ले जाने कि सलाह
देती है ।
बिलखते हुए रीना रोहन को मौत कि खबर देती है, अरे कल तक तो ठीक थे ?
हाँ मुझे भी अभी-अभी खबर मिली । सिसकियाँ भरती है ।
भाभी मुझे भी तेज बुख़ार लग है मैं पहुँचने में असमर्थ हूँ । आप पड़ोसियों व भैया के मित्रों की मदद से दाह संस्कार कर लिजिये ।
जवाब सुन रीना विलाप करती है । कुछ क्षण बाद पड़ोसियों, रिश्तेदारों व मित्रों को सूचना देती है । सभी तरफ़ से नकारात्मक उत्तर पा जडवत हो जाती है ।
हतप्रभ सी स्वयं ही बँटीं को ले मारूती कार से हॉस्पिटल पहुँचती है और फॉरमैलटीस् पूरी करने में कॉफ़ी वक़्त लगता है । सीलपैक बॉडी लेती है और मित्रों को रास्ते से फिर फ़ोन करती है पर सब बहाना बना देते हैं ।
कोरोना वॉरियर कि मदद से बॉडी मारूती में रखती है । कोरोना वॉरियर सलाह देते हैं आप अकेली हैं तो गंगा के पुल कि तरफ़ कार ले लें वहॉं से बॉडी नीचे डाल दें क्योंकि शवदाह गृह में जगह मिलना मुश्किल है ।
नहीं नहीं रीना काँप उठती है । किंकर्तव्यविमूढ़ सी रीना तुरंत कार घर कि तरफ़ दौड़ाती है रोते हुए बँटी को कुछ बिस्कुट और केला पकड़ा , घर पर छोड़ भैरव घाट कि तरफ़ कार ले जाती है ।
वहाँ का ह्रदयविदारक दृश्य लाशों का ढेर देख आवाक रह जाती है । दुख कि पराकाष्ठा से विचलित हो उठती है । हिम्मत जुटा हाथ जोड़कर लोगों से मदद कि गुहार लगाती है । घाट पर सभी इस दुःखद स्थिति से अवगत थे । दो चार अजनबी लोगों ने कंधा दे घाट तक पहुँचा दिया ।
लाशों का अम्बार देख विचलित रीना कि रूह थरथरा उठी थी धूं धूं कर जलती चिंताएँ व ह्रदय विदारक क्रन्दन फिर भी रीना ने भारी ह्रदय से महाबामन को पति के लिए लकड़ीयों का इंतज़ाम करने कहती है , वह बोला पहले टोकन ले लो और पैसे जमा कर दें । ओह १ घंटे बाद बड़ी ही मुश्किल से लकड़ी मिल गई अब संस्कार कि जगह की समस्या खड़ी हो गई । कुछ समय बाद जगह मिलते ही कॉंपते हाथों से पति को मुखाग्नि देने को तैयार हो गई तत्पश्चात् कुछ मिनट रूकने के बाद जो मुड़ी तो वापस जाने को रास्ता न था लाशों के ढेर बिछा पड़ा था , किंकर्तव्यविमूढ़ सी खड़ी रह गई ।लशों के ऊपर पैर रख बाहर निकलने के सिवा कोई चारा न था । गिरती पड़ती घबराई व बौखलाई सी शमशान के बाहर निकली पत्थराई सी रीना ने कार कि तरफ बढ़ी और कार स्टार्ट कर घर कि तरफ़ चल दी।
घर पहुँच सीधे स्नान किया व बँटी को नहला कर जो कुछ घर में था रोते हुए बँटी को खिलाकर सुला दिया । रीना रात भर जागती रही रोती रही ।
करोना से मौत होने कि वजह से कोई नहीं पहुँचा ।
अगली सुबह न कोई आँसू पोंछने वाला न संत्वना देने वाला था ।