(AI generated Creation)
प्रस्तुति: शिखा तैलंग, भोपाल
“चाइनीज? अरे हमरा तो भरोसा ही नहीं है। जब उनका टीवी फटता है तो खाना कैसा होगा?”
कॉलेज में कल्लू की लोकप्रियता दिन पर दिन बढ़ती गई। एक दिन उन्होंने ‘फ्रेशर्स पार्टी’ में डांस करने का मन बना लिया। गाना चला – “लुंगी डांस लुंगी डांस…”
कल्लू ने अपनी धोती थोड़ा कसकर बाँधी और ऐसा ठुमका मारा कि सीनियर तक तालियाँ बजाते रह गए।
उनका डांस देखकर एक प्रोफेसर बोले –
“कल्याण सिंह, आपमें कुछ अलग ही प्रतिभा है।”
कल्लू बोले –
“सर, गाँव में शादी-ब्याह में DJ हमारा ही बुक होता है। DJ कल्लू!”
लेकिन कॉलेज की ज़िंदगी सिर्फ़ मस्ती की नहीं थी। एक बार कल्लू का इकोनॉमिक्स में टेस्ट था। पढ़ाई के नाम पर उन्होंने ‘भारत की अर्थव्यवस्था’ के बदले ‘गाँव की अर्थव्यवस्था’ याद कर ली थी। जब पेपर में सवाल आया – “GDP को समझाइए”, कल्लू ने लिखा –
“गाँव में GDP का मतलब होता है – गाय, दूध, पगहा। इन तीन चीजों से ही गाँव की असली अर्थव्यवस्था चलती है।”
प्रोफेसर ने पेपर में लिख दिया – “Creative, but irrelevant. Marks: 1/10”
रिजल्ट आया तो कल्लू परेशान थे। बोले –
“ई किताबें तो सब झूठ बोलती हैं, असली ज्ञान तो चाय की दुकान पर मिलता है।”
पंकज बोला –
“तो वहीं जाकर पीएचडी कर लो!”
कभी-कभी कल्लू को घर की भी याद आ जाती। एक दिन माँ ने वीडियो कॉल किया –
“बबुआ, खाना बना लेते हो?”
कल्लू बोले –
“हाँ माई, दो बार तो किचन को जला चुके हैं, अब थोड़ा कम जलता है।”
कॉलेज में एक बार ‘डिबेट प्रतियोगिता’ हुई। विषय था – “ऑनलाइन पढ़ाई बनाम ऑफलाइन पढ़ाई”
कल्लू माइक पर बोले –
“हम तो कहते हैं गुरुजी सामने हों, तभी पढ़ाई होती है। ऑनलाइन में तो वीडियो देखो और नींद लो। जैसे ही प्रोफेसर बोलते हैं – ‘Let’s start’, हमारा मन बोलता है – ‘Let’s sleep!'”
पूरा ऑडिटोरियम हँसी से लोटपोट!
कॉलेज का आखिरी साल आया। कल्लू अब स्मार्ट हो चुके थे। धोती की जगह जींस पहनने लगे, गमछे की जगह कैप लगाने लगे और फेसबुक पर स्टेटस डालते – “Feeling educated”।
एक दिन कल्लू को एक लड़की ने प्रपोज कर दिया। हाँ, वही लड़की जिससे उन्होंने कलम ‘भावुक’ बताया था। लड़की बोली –
“कल्लू, तुम बहुत अलग हो, सच्चे हो, मज़ेदार हो।”
कल्लू बोले –
“अरे बहन जी, आप तो हमारी शेरनी हैं! चलिए, हम भी अब रोमांटिक हो जाते हैं।”
दोनों की जोड़ी ऐसी बनी कि लोग कहने लगे – “राम मिलाई जोड़ी!”
कॉलेज का आखिरी दिन था। विदाई समारोह में कल्लू स्टेज पर आए और बोले –
“हम जब आए थे तो कुछ नहीं जानते थे, अब भी कुछ नहीं जानते, लेकिन अब इतना ज़रूर जान गए हैं कि ये कॉलेज हमें पढ़ाई से ज़्यादा, ज़िंदगी जीना सिखा गया।”
फिर उन्होंने सबको गमछा दिखाकर कहा –
“और हाँ, इस गमछे को कभी मत भूलना, यही हमारी असली पहचान है!”
तालियों की गूंज में कल्लू मंच से उतरे।
किसी ने पूछा –
“अब क्या प्लान है कल्लू?”
कल्लू बोले –
“अब तो UPSC की तैयारी करेंगे। लेकिन पहले गाँव चलकर माँ के हाथ की रोटी खाएंगे।”
अंत
(और हँसी कभी खत्म नहीं हुई!)
One Comment
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UPSC har middle class ka sapna hota h