(AI generated Creation)
प्रस्तुति: शिखा तैलंग, भोपाल
क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उर्फ एआई हम इंसानों को हंसा सकता हे? क्या यह आपका मूड फ्रेश कर सकता है ?आइए जानें और देखें इस विशेष रचना को पढ़कर। इसे हमने एआई की मदद से ही तैयार किया है। इसमें इंसानी दखल जरा भी नहीं है। आपको हमारा यह प्रयोग कैसा लगा, हमें जरूर बताइएगा। चूंकि इस हास्य—व्यंग्य को एआई से बनाया गया है अत: किसी वास्तविक व्यक्ति या संस्थान से इसका कोई लेना—देना नहीं है और यदि किसी तरह की समानता प्रतीत भी हो, तो उसे संयोगमात्र समझा जाए। इस समानता के लिए शिविका झरोखा डॉट कॉम किसी प्रकार की कोई जिम्मेदारी नहीं लेती है—
कल्लू उर्फ़ कल्याण सिंह यादव, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव से पहली बार लखनऊ के नामचीन कॉलेज में बी.ए. करने आए थे। पहली बार जब कल्लू बाबू ने कॉलेज का गेट देखा तो आंखें चौंधिया गईं। “ई त बिलकुल ट्रेन स्टेशन जैसन लगत है, लोगन के भीड़ देखो!” – उन्होंने अपनी अटैची को कसकर पकड़ा और भीड़ में घुस गए।
कल्लू का पहनावा देखकर ही कोई भी बता सकता था कि ये नया है। सफेद कुर्ता, नीचे झक्क धोती, कंधे पर गमछा और हाथ में लोटा! हॉस्टल में घुसते ही सबसे पहला सवाल –
“ई बाथरूम किधर है? हमार पेट माँ धरना प्रदर्शन कर रहा है।”
हॉस्टल के रूममेट्स पहले ही कल्लू को देखकर हँसी रोक नहीं पाए। एक लड़का, पंकज, बोला –
“भैया, लोटा यहाँ नहीं चलता, यहाँ तो टिशू पेपर चलता है।”
कल्लू गंभीरता से बोले –
“अरे टिशू से क्या होता है? गाँव में तो कुत्ता भी टिशू से मुँह नहीं पोंछता!”
कॉलेज का पहला दिन और कल्लू बाबू लेक्चर हॉल में घुसते ही बोले –
“प्रणाम मास्टर साहब!”
प्रोफेसर साहब ने चश्मा नीचे करके घूरा और बोले –
“मैं प्रोफेसर हूँ, मास्टर नहीं।”
कल्लू बोले –
“अरे तो वही बात है ना! गाँव में सबको मास्टर ही बोलते हैं।”
क्लास में लड़कियों को देखकर कल्लू पहले तो थोड़े झिझके, फिर धीरे-धीरे सबको ‘बहन जी’ बोलने लगे। एक दिन एक लड़की ने उनसे पेन माँगा, कल्लू ने अपना स्याही वाला कलम निकाला और बोला –
“बहन जी, ज़रा धीरे लिखिएगा, ये कलम थोड़ी भावुक है, कभी-कभी रोने लगता है।”
पूरी क्लास ठहाकों में गूंज उठी।
कॉलेज की कैंटीन में कल्लू का पहला अनुभव भी अनोखा था। मेन्यू देखकर बोले –
“ई पाव भाजी कौन जात का खाना है? और ये मोमोज? का ई मोमिन भाई का पकवान है?”
कैंटीन वाला हँसते हुए बोला –
“भैया, मोमोज एक चाइनीज आइटम है।”
कल्लू बोले –
“चाइनीज? अरे हमरा तो भरोसा ही नहीं है। जब उनका टीवी फटता है तो खाना कैसा होगा?”
क्रमश:
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