रचनाकार : यशवंत कोठारी, जयपुर
इन दिनों बड़ी मुसीबत है ,बढती उम्र के कारण समस्याएं भी बढ़ रहीं हैं.सर्दी है काम वाली गाँव चली गयी है ,घर वाली से काम नहीं हो पाता है बाहर वाली मिलती नहीं सब कुछ अस्त –व्यस्त हो गया है .
इधर हम दोनों के घुटनों के दर्द बढ़ गए हैं.सर्दी के मौसम में लड्डू खाने के बजाय पेन किलर खाने पड़ रहे हैं.
डाक्टरों के बड़ी चांदी है ,खूब सारे टेस्ट लिख देते हैं खूब सारा कमीशन मिलता है.रोगी एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भागता रहता है , घुटने को नहीं डाक्टर को फायदा होता है.
नयी काम वाली को ढूँढना बड़ा मुश्किल काम है ,इस काम में घुटनों का सहयोग जरूरी है.
मैंने घुटने के लिए एक होम्योपेथी डाक्टर को पकड़ा –उसने बिना देखे ही कह दिया आप एलोपेथी में जाइये घुटनों का आपरेशन करा लीजिये ,जिन्दगी भर कमाया है अब शरीर पर भी कुछ खर्च कीजिये .मैंने सोचा शरीर तो नाशवान है लेकिन जान है तो जहान वाला फार्मूला भी विचारणीय है.
इधर पुरानी काम वाली का कहना हैं –साब नयी काम वाली इन्स्टाग्राम पर ढूँढने की कोशिश करो . मगर इतना कंप्यूटर किस को आता है?एक पड़ोसी ने बताया कि कामवाली ने मेरी घरवाली को बताया कि ज्यादा चू-चपड करने का नहीं मैं साहिब की फेस बुक फ्रेंड हयं .तब से पड़ोसी के घुटने और दिल का दर्द बढ़ गया है.मेरी तो हालत पहले से ही ख़राब है.काम वालियों का अपना फलसफा है –इस बिल्डिंग में मैं इच करेगी हमारा समझोता है बाहर वाली को नहीं आने को मांगता ,मेरी रेट से काम होगा .होली दीवाली नया साल गिफ्ट देने का नहीं तो काम छोड़ देगा दूसरी को आने नहीं देगा समझ गयी मेम साब.कई बार तो लगता की कामवाली बाई नुमा मेमसाब और मेम साब नुमा काम वाली बाई का समय आ गया है.
एक टेक सेवी पड़ोसी ने राय दी-रोबो ले लो झाड़ू पोंछा सब कर देंगा ,मगर रोबो की पार्किंग व सुबह उस में प्रोग्राम सेट करना मुश्किल काम था घरवाली ने बताया यदि रोबो ले लिया तो फिर गली मोहल्ले व बाहर वाली की खबरें कैसे आएगी? उसने रोबो को केंसिल कर दिया क्योंकि रोबो बर्तन नहीं करता उसके लिए डिश वॉशर चाहिए तेज़ सर्दी के कारण घुटने और दिमाग ने काम करना बंद कर दिया ,ऑपरेशन की हिम्मत नहीं इधर काम वाली गायब घरवाली परेशान बाहरवाली को भूल जाने की ताकीद .
कामवाली मिले तो घर की गति बदले .कड़ाके की ठण्ड में झाड़ू पोंछा बर्तन !हे भगवान !
मेरी काम वाली भी यही सब कह कर घरवाली को बाहर वाली की खबर दे सकती है .वैसे इस क्षण भंगुर जीवन में काम वालियां बहुत आई गयी ,घरवाली एक ही रही ,बाहर वाली की बात तो कल्पना की मीठी उड़ान है ,मन के लड्डू फीके क्यों खूब चासनी में डुबो कर खाओ .काम वाली के नखरे ,घरवाली और बाहर वाली से भी ज्यादा बड़े ,मगर गरज बावली ,सब उठाने पड़ते हैं नहीं तो ….घरवाली मायके जाने की धमकी दे देती है.
घुटनों के दूसरे वैद्यजी ने योग करने का सुझाव दिया पास के योग केंद्र में मालिश कराई मालिश के बाद वाष्प स्नान और सब के बाद बिल जो दिल को जलाने के लिया काफी था.घर पर कामवाली बाई पुराण इस मालिश पुराण से ज्यादा बड़ा था.प्राकृतिक चिकित्सालय ने जानू -बस्ती की सलाह दी मगर खर्चा काफी था मैंने इस सलाह को ताक पर रख दिया .कामवाली आ जाये तो घुटनों का क्या करना है?
वैसे काम वालियां घर के सदस्य की तरह रहती है ,सुख दुःख में काम आती है .घरवाली की सार संभाल भी कर देती है ,केयर टेकर का काम भी कर देती है मगर अच्छी कामवाली मिले तो घुटनों का दर्द भी अपने आप कम हो जायगा यही सोच कर मैं भी कामवाली की तलाश में सुबह सुबह ढूंढने चल देता हूँ .दर्द है, घुटने हैं और कामवाली की तलाश है.
(काल्पनिक रचना)