रचनाकार : शिखा तैलंग
रौनक – हां मोटा भाई! हम जानना चाहते हैं कि आप इस मुकाम पर कैसे पहुंचे वह कौन सी बात है जिसनेे आपको करोड़पति बनाया?
अडाणी – हां, हां जरूर बताउंगा! पर पहले हम लोग एक बात तय कर लें कि आप लोग मुझे मोटा यानी बड़ा भाई ही कहोगे। न सर और न ही साहब!
कपिल, रौनक और करंजी एक साथ बोले – जी! मोटा भाई!
यह सुनने के बाद अडाणी न हल्की सी मुस्कान फेंकी और बोले – देखो भाइयो! भगवान ने हम सबको दो हाथ और दो पैर तथा हर दिन 24 घंटे बराबर-बराबर दिए हैं। पर हम में सब एक सी जिंदगी नहीं जी पाते हैं। कोई करोड़पति बनता है तो कोई गरीब रह जाता है। दरअसल, यह सब खेल सोच का है। जब मैं टीनएजर था तो मेरे पिता छदामी भाई ने मुझे केरल के एक गांव में केवल सात हजार रुपये देकर भेजा था। साथ ही कहा था कि यदि ये सात हजार रुपये जिस दिन तुम सात लाख में बदल लोगे तभी मैं अपने बंगले में घुसने दूंगा। इसके साथ दो शर्तें भी रहेंगी- पहली यह कि तुम कोई उधार नहीं करोगे और दूसरी शर्त यह कि तमाम प्रकार के व्यसनों से दूर रहोगे। अगर तुम ऐसा नहीं कर पाए तो मैं समझ लूंगा कि मेरा कोई बेटा नहीं। मैं वह सात हजार की रकम लेकर केरल पहुंचा। पहले वहां काॅफी के बगानों में चाकरी की। उससे कुछ पैसा मिला। फिर मैंने देखा कि केरल में काजू बहुत होते हैं। उनके रेट गुजरात से काफी कम हैं। अतः मैंने अपने कुछ दोस्तों से संपर्क करके काजुओं को गुजरात में बेचने का जुगाड़ बैठाया। जब इस बिजनेस में अच्छा फायदा हुआ तो मैंने अपनी बचत को गोल्ड के धंधे में लगाया। इसके बाद मेरी आय बढ़ती गईं। करीब तीन साल केरल में रहने के बाद मेरे पास आठ लाख रुपये से भी ज्यादा इकट्ठे हो गए!
करंजी – फिर आप अपनेे पापा के पास आए होंगे और आपने वे रुपये उनके चरणो में रखकर कहा होगा- पापा! मैंने आपके आशीर्वाद और ईश्वर की कृपा से वह कर दिखाया जो आप चाहते थे!
अडाणी- एक्जैक्टली! यही हुआ। पापा ने मुझे गले लगा लिया और गर्व के साथ बोले -मेरा बेटा परीक्षा में पास हो गया! फिर उन्होंने कहा कि इस रकम से अपने पुश्तैनी धंधे को आगे बढ़ाना और हां इसके साथ एक और बात ध्यान रखना कि घर का खर्चा लिमिट में रहे। इमरजेंसी के लिए व्यवस्था रहे और दरवाजे पर जो भी आए वह भूखा नहीं जाए।
क्रमशः (काल्पनिक स्टोरी )