रचनाकार : शिखा तैलंग
जिंदगी की ऐसी ही चुनौतियो के बीच एक दिन कुछ अजीब सा हुआ। इन तीनों पड़ोसियो के बीच यों तो गहरी दोस्ती थी और एक दूसरे के सुख.दुख से परिचित भी थे पर उन्हें अपनी समस्याएं अंतहीन लग रही थीं। लेकिन जब.जब जो जो होना होता हैए होता ही है। ऐसा ही कुछ संयोग बैठा करंजी भाई के कारण!
उस शाम को करंजी भाई साड़ी एम्पोरियम में अपनी सेल्समैन शिप निभा रहे थे तभी उनके प्रतिष्ठान के सामने बड़ी सी लक्जरी कार रुकी। उसमें से उतरे . अहमदाबाद के मशहूर उद्योगपति रमेश भाई मंगतराम अडाणी और उनकी फैमिली के तीन लोग . पत्नी सरोजए बेटा गौतम और बेटी मोनिका। अडाणी के बारे में शहर का कोई ऐसा शख्स नहीं था जो उन्हें नहीं जानता था। उनके ठाट.बाट और शानो.शौकत के क्या कहने? हर हफ्ते के अलग.अलग दिनों में इस्तेमाल के लिए उनके पास सात लक्जरी कारें थीं! शाही बाग में कोई 4000 स्क्वायर फीट में फैला बगला था। बंगले पर आठ.दस नौकर चाकर सेवाटहल के लिए रहते थे। उनका मुख्य बिजनेस हीरों का व्यापार था और शहर के तीन मुख्य इलाकों में उनकी ज्वैलरी के तीन भव्य शो रूम थे! इतने बड़े आसामी को अपने एम्पोरियम में आया देखकर करंजी की बांछें खिल उठीं। वह समझ गया कि आज उसकी जिंदगी में कुछ विशेष होने वाला है। अडाणी भाई जमकर शाॅपिंग करेंगे और उसे बतौर कमीशन अच्छी खासी रकम महीने के अंत में मिलेगी। अतः उसने अपने एम्पोरियम के मालिक निर्मल भाई परमानंद पटेल के निर्देशानुसार अडाणी और उनकी फैमिली की खूब खातिर.तवज्जो की।
इस तरह की आवभगत ने अडाणी को खुश कर दिया।
चाय-वाय पीने के बाद अडाणी बोले – ये हमारी बेटी की सगाई होनी है। छह-सात अच्छी क्वालिटी की साड़ियां चाहिए।
करंजी ने कहा – अभी दिखाता हूं, सर!
इसके बाद उसने एक से एक बढ़िया क्वालिटी की साड़ियां निकालीं। अडाणी और उनकी फैमिली ने करंजी द्वारा दिखाई गई साड़ियों में से सात साड़ियां पसंद कीं। इन साड़ियों का बिल बना कोई नौ लाख रुपये। इस एमाउंट की पेमेंट होने से पहले ही करंजी ने साडियों को पैक करके अडाणी को थमा दिया।
करंजी के आवार-व्यवहार से अडाणी बहुत प्रभावित हुए। हीरों के पारखी को इंसानों की परख नहीं हो ऐसा होना नामुमकिन ही है। अडाणी को समझ में आ गया कि करंजी भाई का नेचर बहुत अच्छा है पर उसे कुछ परेशानियां भी हैं। करंजी की मनोदश्धा भांपकर उन्होंने उससे कुछ व्यक्तिगत सवाल किए जैसे- कब से साड़ी एम्पोरियम में काम कर रहे हो? पगार में गुजारा हो जाता है कि नहीं। आदि-आदि। यह सुनकर करंजी की प्रसन्नता का पारावार नहीं रहा। बातचीत खत्म होने के बाद अडाणी ने अपनी कार में बैठने से पहले उसे अपना कार्ड दिया और अगले संडे उसे अपने बंगले पर चाय पीने के लिए न्यौता दिया। फिर क्या था? वाट्स एप और मैसंेजर पर सवार होकर यह बात सब जगह फैल गई। कपिल और रौनक भी बेहद खुश हुए कि चलो उनके दोस्त को अडाणी के यहां चाय पीने का न्यौता मिला है।
अगले दिन कपिल और रौनक करंजी के घर पहुंचे और एक सफल सेल्समैन के तौर पर उसे बधाई देने लगे। करंजी भी बेहद खुश था। उसने कहा- दोस्तों! मैं अडाणी के बंगले पर जरूर जाउंगा। मेरी दिल की तमन्ना बस यही है कि उनसे यह जाना जाए कि वे इतने बड़े करोड़पति बिजनेसमैन कैसे बने? वह कौन सा तरीका है जिसकी वजह से वे कामयाब हुए ?
क्रमशः (काल्पनिक स्टोरी )