रचनाकार : शिखा तैलंग
अडाणी- एक्जैक्टली! यही हुआ। पापा ने मुझे गले लगा लिया और गर्व के साथ बोले -मेरा बेटा परीक्षा में पास हो गया! फिर उन्होंने कहा कि इस रकम से अपने पुश्तैनी धंधे को आगे बढ़ाना और हां इसके साथ एक और बात ध्यान रखना कि घर का खर्चा लिमिट में रहे। इमरजेंसी के लिए व्यवस्था रहे और दरवाजे पर जो भी आए वह भूखा नहीं जाए।
कपिल – वाह! ये तो बड़ी अच्छी बातें हैं। हमलोग दरअसल, यह व्यवस्था नहीं बैठा पा रहे हैं कि अपनी आय में से कितना पैसा घर खर्च के लिए रखें, कितना इमरजेंसी के लिए बचाएं और कितना कहां इन्वेस्ट करें। कितना पैसा अपने मौज-शौक पर करें।
अडाणी- बहुत अच्छा सवाल है। मैंने इसके लिए एक फार्मूला निकाला है।
रौनक व करंजी – क्या है वह फार्मूला?
तब तक चारों के सामने चाय आ गई। अडाणी उन्हें केतली से कप में चाय प्यालों में डालते हुए बोले – अभी टी ब्रेक लेते हैं। फिर बताता हूं मैं अपना फार्मूला!
जब चारों ने अपने-अपने प्यालों की चाय खत्म कर ली तो अडाणी बोले – वह फार्मूला बहुत सिंपल है ‘- 50-30.-20!
करंजी- ये 50-30.-20 कया है?
अडाणी – बताता हूं! अपनी जिंदगी में तीन चीजों की बेहद अहमियत है- रोटी, कपड़ा और मकान। इन सबके लिए अपने को अपनी आय का 50 फीसदी जरूर रखना चाहिए। 30 प्रतिशत कहीं न कहीं निवेश करना चाहिए ताकि इमरजेंसी, मेडिकल, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, शादी-ब्याह आदि जैसे खर्चों को संभाला जा सके। चाहे वह पोस्ट आफिस में हो या बैंक में या गोल्ड में या शेयर मार्केट में या अचल संपत्ति जैसे फ्लैट, दुकान आदि खरीदने में! इससे होने वाली आय से जिंदगी आसान हो जाती है और ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती! शेष 20 फीसदी को लक्जरी की चीजें जैसे फ्रिज, कार, एसी या कूलर आदि खरीदने में या शौक अथवा घूमने-फिरने आदि में खर्च करना चाहिए। इस फार्मूले से आपकी इनकम भले ही 20 हजार रुपये महीने हो या 2 लाख रुपये अथवा दो करोड़ रुपये महीना! गुजर-बसर करने में सहूलियत हो जाती है। मैंने इसी फार्मूले पर चलकर अपनी जिंदगी के टारगेेट पूरे किए हैं।
कपिल – वाह मोटा भाई! इस सिंपल से फार्मूले से हो सकता है हमारी भी जिंदगी संवर जाए! हम आपके आभारी है। हमारी आंखें खुल गईं। अभी तक हम बिना सोचे-विचारे खर्च किए जा रहे थे! पर अब लगता है कि इस फार्मूले को अपनाने से हमारा भला हो जाएगा तथा जिंदगी की मुश्किलें आसान हो जाएंगी!
अडाणी – दरअसल, क्या है भाइयों! हम अपने खर्चों पर कंट्रोल नहीं करते और न ही निवेश पर ध्यान देते हैं इसी फर्क की वजह से गरीब गरीब रह जाता है और अमीर और अमीर होते जाते हैं!
इस मुलाकात के बाद तीनों दोस्त अडाणी से विदा लेकर अपने-अपने घरों की ओर रवना हो गए। उन्हें पूरा भरोसा हो गया था कि करोड़पति अडाणी से मिली नसीहत से उनकी जिंदगी खुशहाल हो जाएगी।
(काल्पनिक स्टोरी )