रचनाकार: यशवंत कोठारी, जयपुर
देर सवेर सोने, या देर से उठने से भी कब्ज की पर्याप्त संभावना बनी रहती है। एक
शोधकर्ता के अनुसार आंतों में पदार्थ निद्रावस्था में बहुत धीरे धीरे आगे बढ़ते हैं, पर
खाते समय तथा जागते समय तेजी से आगे बढ़ते हैं।
शोच में जल्दबाजी:-
कार्य की अधिकता से या लापरवाही से समाज का एक बडा तबका शौच-क्रम को टाल
देता है। लेकिन शौच यथा समय जाने से कब्ज से बचा जा सकता है।
पानी की कमी:-
कब्ज का एक बडा कारण शरीर में पानी की कमी होना है। आंतें खुराक का पानी खींच
लेती हैं। परिणामस्वरूप मल बद्धता हो जाती है। सामान्य परिस्थितियों में शरीर को 6
पाउण्ड पानी पीना चाहिए। पानी अधिक पीने से तथा प्रातः उठते ही एक लोटा पानी पी
लेने से आप कब्ज से काफी हद तक बच सकते हैं।
कमोड की गंदगी:-
यदि घर में शौच का स्थान गंदा, अंधेरा और बदबूदार है तो कब्ज की शिकायत बन
सकती है। देहातों में उचित शौच का स्थान नहीं होने से ऐसे रोगी अधिक मिलते हैं।
मानसिक चिन्ता:-
कब्ज का एक कारण मानसिक चिन्ता भी है। आधुनिक जीवन ने हमें मानसिक तनाव
और हताशा दी है। इससे भी कब्ज बनती है। मन को प्रसन्न रखिए और चिन्ता मुक्त
रहने की कोशिश करें।
नशा:-
जो लोग अपने दुखःदर्दों को भुलाने के लिए नशा करते हैं। वे भी कब्ज को निमंत्रण देते
हैं। शारीरिक शिथिलता से कब्ज का होना स्वाभाविक है।
भूख से अधिक खाने पर भी कब्ज रहती है। क्योंकि खाने का पचाव उचित ढंग
से नहीं हो पाता है।
इसी प्रकार कम खाना, बिना भूख के खाना तथा बिना रेशे वाले भोज्य पदार्थ
अधिक खाने से भी कब्ज होती है। बिना चबाए, जल्दी जल्दी खाने से भी कब्ज की
संभावना रहती है।
कब्ज को दूर करने के लिए ली गई हर दवा एक जहर का काम करती है, अतः
जहां तक संभव हो दवा से बचें। कोई भी विरेचक दवा हानि रहित नहीं है। दवा का सेवन
मजबूरी में ही किया जाना चाहिए।
कब्ज से बचने के लिए कुछ सुझाव अवश्य दिए जा सकते हैं। वे इस
प्रकार हैः-
अपने आहार विहार पर ध्यान दीजिए। पत्तेदार, रेशेदार, हल्के, भोज्य पदार्थ ले।
मिर्च मसाले त्याग दें। फल, दूध, दही का अधिक प्रयोग करें। सन्तुलित आहार लें।
व्यायाम करें। प्रातः उठकर हल्का फुल्का व्यायाम या घूमना आपको कब्ज से दूर
रख सकता है। पैदल चलने की आदत बनाए रखें।
बिना भूख कुछ भी ना खाएं।
कम से कम तीन-चार लीटर पानी अवश्य पीएं।
जुलाब की दवाओं से बचें या बहुत हल्का जुलाब लें।
भरपूर नींद लें। अनिद्रा से बचते रहंे।
खुली हवा में अधिक समय तक रहें।
मन प्रसन्न रखें। क्रोध कम करें।
अनावश्यक मानसिक तनाव से बचें।
संभव हो तो शौच से पूर्व एक लोटा जल पीएं।
पानी में नींबू डालकर पीएं लाभ होगा। अधिक कब्ज हो तो गरम पानी में नींबू,
कालीमिर्च नमक लें। छाछ या मट्ठा का प्रयोग करें।
हाजत को न रोकें। जुलाब लगातार न लें। कभी कभी हल्का सा लें तो चिकित्सक
की राय से लेें।
हरी सब्जी, फल, रेशेदार एवं पत्तेदार वस्तुओं के साथ, चौकर, दलिया, चावल की
कणी आदि का प्रयोग करें और निरोग रहें।
इस तरह थोड़ी-सी अतिरिक्त सावधानी से आप कब्ज से बच जाएंगें। पेट सही
रहेगा तो स्वास्थ्य भी बराबर सही बना रहेगा।
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Super
Very nice