नीलिमा तैलंग, दग्धा, पन्ना (मध्य प्रदेश)
आज फिर विवेक अपनी मां समान दीदी के सामने बैठा हुआ उनसे शादी कर लेने का आग्रह कर रहा था ।
नमिता बत्तीस वर्षीय मजबूत कद काठी की सुंदर लड़की थी ।
उसने स्वयं से सात वर्ष छोटे भाई को मां की तरह पाला था। नमिता की मां सीधी सादी कर्तव्य परायण स्त्री थी। जबकि नमिता के पिता में एक क्रूर और निष्ठुर इंसान के सभी अवगुण विद्दमान थे ।पिताजी अक्सर मां से गाली गलौज करते रहते थे ।उसने कई बार पिताजी को मां पर हाथ उठाते हुए भी देखा था।जिसे मां चुपचाप सह जाती थी । मां पिताजी को हर प्रकार से प्रसन्न रखने की कोशिश करती किंतु पिताजी ने मां को कभी पत्नी जैसा प्रेम नहीं दिया था।
अपनी उम्र से कुछ अधिक ही जल्दी बड़ी होती हुई नमिता समझ गई थी कि मां को पिताजी से कभी वैसा सच्चा प्रेम नहीं मिल सकता जैसा मां को पिताजी से था।
पिताजी को परचून की दुकान से जो भी आमदनी होती उसकी आधी आमदनी मां के हाथ पर रख देने के अलावा उसने कभी पिता को मां से बात करते नहीं देखा था ।दुकान की आमदनी से बस इतना हो जाता था कि उन चारों की दाल रोटी का जुगाड़ हो जाता था । शाम को दुकान बंद करके पिता कहां जाते थे और कब घर लौटते थे उसको यह कभी पता नहीं चला ।
उसने मां को अक्सर छुप कर रोते देखा था ।उसको नहीं पता था कि मां खुल कर कभी हंसी भी थी ।उसने कई बार मां को सारी सारी रात जाग कर पिता का इंतजार करते देखा था । मां की दयनीय स्थिति को देख कर उसने मन ही मन अविवाहित रहने का निश्चय कर लिया था । उसने दृढ़ संकल्प कर लिया था कि वह कभी किसी पुरुष से प्रेम नहीं करेगी।
उससे मां का दुख देखा नहीं जाता था ।मां के दुख ने उसे समय से बहुत पहले बड़ा बना दिया था । एक दिन मां रोते रोते उसके छोटे भाई को उसे सौंप कर इस दुनिया से चली गई ।
पिता पहले दुकान की आमदनी मां के हाथ पर रखते थे अब उसके हाथ पर रखने लगे ।फिर एक दिन वे भी वापिस लौट कर नहीं आए ।तब नमिता अठारह वर्ष की थी और उसका भाई ग्यारह वर्ष का। उसने अपने जीवन का उद्देश्य ही अपने भाई के भविष्य को संवारने का बना लिया था ।भाई को पढ़ाने और फिर उसकी नौकरी और उसका विवाह करते करते उसकी उम्र बत्तीस वर्ष की हो चुकी थी।
विवेक दो वर्ष से अपनी दीदी को विवाह कर लेने का आग्रह कर रहा था । कई लड़के भी दीदी को दिखा चुका था लेकिन हर बार नमिता हंस कर टाल दिया करती । शादी का नाम सुनते ही उसको आंसू बहाती अपनी मां का चेहरा याद आ जाया करता था और वो भाई की बातें हंसी में उड़ा कर बात टाल दिया करती।
आज विवेक के साथ उसके ऑफिस में काम करने वाले मयंक जी थे जिन्हें वह अपनी दीदी से मिलवाने लाया था ।
मयंक जी पैंतीस वर्षीय एक आकर्षक व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे ।नमिता की भांति उन्होंने भी अपने परिवार की जिम्मेदारियों के कारण अभी तक विवाह नहीं किया था ।
विवेक मयंक जी को नमिता दीदी के पास छोड़ कर अपने कमरे में चला गया ।
(काल्पनिक रचना)
क्रमश:
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