आवेदन
बुंदेलखंड के चिरगांव निवासी जवान राम खिलावन की एक सरकारी विभाग में नौकरी लग गई। वे तीन दिनों तक पूरी मुस्तैदी से ड्यूटी करते रहे। लेकिन चौथे दिन उनकी तबियत बिगड़ गई। खाट पर लस्त होकर पड़ गए। हालत ऐसी हो गई कि दफ्तर में छुट्टी के लिए आवेदन लिखकर भिजवाना भी उन्हें मुश्किल लगने लगा। उन्होंने अपने बेटे रमेश की घसीटामार राइटिंग में छुट्टी के लिए बड़े साहब के पास जो आवेदन भिजवाया उसके पठनीय अंश इस प्रकार हैं —
आदरणीय बड़े साहब
सादर चरणनन को स्पर्श।
आशा है आप मजे में हुइयो। आपके घर के ढोर—डंगर मजा में हुइए। आपके मौड़ी-मौड़ा और हमाई भाभीजी को भी आप पूरो ख्याल रखत हुइयो। आपकी बिटिया तो सासरे में हुइए। बा खौं हमाओ आसीरदवाद भिजवा दइयो। सच में तुमाई बिटिया जितेक समझदार है उतेक हमाओ मौड़ा रमेश नइयां। हम कहत खेत की हैं, वो सुनत खलिहान की है। जैसे—जैसे चौथी कक्षा बाने पास कर लई है। हमें लगत है कि हमाओ मौड़ा बड़ो होकें हमाओ नाओ रोशन कर है। कल्लई बाने हमाए घर के दरवाजे पर बिजली को लट्टू लगा दओ है। बासैं बहुतई रौनक हो गई है।
अब जा तो हती राजी—खुशी की बात। लेकिन हम का बताएं। हमाओ हाल कछु ठीक नइयां। कल रमेश की अम्मा ने घुइयां (अरबी) की तरीदार सब्जी बनाई हती। वे घुइयां रामप्रसाद के खेत की हतीं। ताजा—ताजाई उखाड़ी हतीं। रामप्रसाद अपनी खेत की घुइयन के संग हरी मिर्चें भी दे गओ तो। इन सबकी बड़ी जोरदार सब्जी रमेश की अम्मां ने बनाई हती। ऐसो मिरचन को और हींग को बघार लगाओ कि हमओ पूरो मोहल्लो बाकी खुशबू से गमक उठो। हम वा सब्जी के पंद्रा-बीस गरमा—गरम रोटियन के साथ खा गए। अब खाबे खौं तो खा लओ लेकिन बाके बाद जो हालत हो रई है वो हम बता नहीं सकत।
अब हमाए घरे डाइनिंग टेबल तो है नइयां। जमीन पे बैठके रात में बियारी (रात का खाना) करी हती। रमेश की अम्मां परसत गईं हम खात गए। ना वे रुकीं न हम रुके। बीच में एक गिलास पानी पीबे तक को टाइम नईं मिलो। जब रोटी-शोटी खा लईं पूरी घुइयां की सब्जी खा लई तो गड़ई लेके हाथ धोबे के लाने खड़े भए कि करिहाई पिरान (कमर दर्द) लगी। हम बड़ी चिंता में पड़ गए। रमेश की अम्मां ने खटिया पे लिटा के तेल से मालिश तो बढ़िया करी पर करिहाई को पिरावो बंद नईं भओ।
हम दर्द भुलावे के लाने टीवी देखबे बैठ गए तो वामे ऐसी मारा-मारी वाली पिक्चर चल रई थी कि सिर में दर्द हो गओ। सिर के दर्द को मिटावे के लाने रमेश की अम्मां ने बहुतई जतन करे। पहले तो वे अपएं कोमल—कोमल हाथन से हमाई मुड़ी दवात रहीं पर सिर दर्द कम न भओ। फिर उन्ने ढूंढ ढांढकर पांच साल पुरानी बाम की शीशी निकाली और हमाए शीश पे मालिश करी पर मुड़ी को भन्ना वो बंद नहीं भओ। हमाओ सिर तो ऐसे लौक (दुःख) रओ तो जैसे सैकड़न हथौड़ा एक साथ कोई मुड़ी पर मार रओ होए। हमने दरद रोकवे के लाने सिर पे स्वापी (गमछा) बांधी। रमेश ने भी घंटा भर तक मुक्का बजा—बजा के चंपी करी लेकिन दर्द ठीक नई भओ।
रात के जब बारा बज गए। जुनहइया (चाँद की रौशनी) नेक बढ़ आई तो हमने सोबे को जतन शुरू करो। लेकिन हमाए तो नसीबए फूटे भए हतें। चार दिना से आकास में बदरा छाए हते सो घाम नईं निकरो। खटिया में खटमल बिलात (ढेर सारे) हो गए। हम जैसई लेटे वे हमें चीथवे (काटने ) लग गए। कभउं इते खुजाओ कभउं उतै खुजाओ पर न खटमल मानें और न हम। फिर हमें आई गुस्सा हमने खटिया धम्म से पटक दई। वासैं इत्ती जोर की आवाज भई कि अड़ोसी-पड़ोसी भी जग गए। कछु लोग तो लट्ठ लेके आ गए। उन्ने सोची कि कहुं हमाए घर में भड़या (चोर) तो नईं पिड़ आए।
जब हमने उन लोगन को अपनी परेशानी बताई तो सब हंसत भए अपने-अपने घरन को लौट गए। हमने फिर सोबे की कोशिश करी। दूसरी पारी मच्छरन ने संभाल लई। वे हमाओ खून पीबे में लग गए। बिलकुल नौंच खाओ। साहब! भगवान की सौं हमाए बदन में कम से कम सत्रा छेद हो गए। पूरो शरीर पंचर हो गओ। मच्छर रात भर चीथत (काटते) रहे। चार मच्छर को तो हमनेई निपटा दओ तो पर बिने पूरी तरा से भगा नहीं सके। हमने सोची कि हम तो हैं बुंदेलखंड के जवान! हमें मच्छरन से नईं डरवो चइए। बस, जोई सोच के हम कुर्ता उतार के सीन तान के सीधे लेट गए खटिया पे। मच्छर भलेई रातभर चीथत रहे पर हमने उनें अपईं पीठ नई दिखाई!! हमाई जा बहादुरी के लाने सरकार से कछु इनाम—विनाम की सिफारिश कर दइयो, साहब! हम बड़े अहसानमंद रे हैं!
खैर जैसे-तैसे सबेरो भओ तो हमाओ पेट में दरद होन लगो। निस्तार (नित्यकर्म) वगैरा से निपटे तो भी दर्द ठीक नई भओ। रमेश की अम्मां बंसियां बैद को बुलावे गई हैं। अब बाने दो तरह के चूरण दए हैं। एक खुराक तो हमने गरम पानी के साथ गटक लई। बासे हमें थोड़ो आराम तो पड़ो है पर पूरी तरा से ठीक नही भए। उम्मीद है आज हमाई दफ्तर न आवे की वजह आप खौं समझ में आ गई हुइए।
जो चिट्ठी रमेशई से लिखबा रए हैं काए कि पैन पकड़वो हमाए बस में नइयां। रमेशई के हाथ से जो चिट्ठी भिजवा रए हैं। हमाओ मौड़ा नैक शरमात है सो बासे कछु ज्यादा ना पूछिओ।
आज की छुट्टी मंजूर करवे की किरपा करिओ। तो हम आपके बहुतई जादा आभारी रेहैं। हमने हमाई तबियत ठीक होबे के लाने पहाड़ी वाले हनुमानजी को सवा रुपइया को परसाद चढ़ावे की बोलमा बोली है। वो पूरी होबे के बाद परसाद आपके लाने भी लाहैं। बाकी सब ठीकइ—ठाक हैं। अपएं शेरू को हमाओ आसीरवाद कहियो। हम ठीक हो जे हैं तो बाके लाने हड्डी जरूर ला है।
अपनी किरपा बनाए रखिओ।
आपको हुक्मबरदार
राम खिलावन।
(काल्पनिक व्यंग्य )