चैप्टर—1
बचपन में यह कहानी तो आपने पढ़ी ही होगी कि एक कुत्ता था। उसे कहीं से एक रोटी मिली। वह रोटी को मुंह में दबाकर जा रहा था। रास्ते में एक पुल पड़ा। उसने पुल से नीचे झांककर देखा। उसे अपनी परछाईं दिखी। उसने सोचा कि नीचे दूसरा कुत्ता है। क्यों न मैं उसकी रोटी छीन लूं। उसने भौंकने की कोशिश में जैसे ही अपना मुंह खोला, मुंह में दबी रोटी नदी में गिर गई। एक और रोटी के लालच में उस कुत्ते ने अपनी रोटी गंवा दी और वह भूखा ही रह गया।
मोरल ऑफ द स्टोरी : लालच बुरी बला होती है।
अब इस लघु कथा को कुछ ट्विस्ट करके नीचे पेश किया जा रहा है। अपने कहानी के नायक को कुत्ता लिखना उसकी तौहीन होगी। अतः हम उसे कुत्ता की जगह ‘हीरो’ कहेंगे। सुधी पाठक यही समझ लें कि इन कहानियों का नायक हीरो नाम का कुत्ता है :
एक था ‘हीरो’-1
एक हीरो था। उसे कहीं से एक रोटी मिली। वह रोटी को मुंह में दबाकर जा रहा था। रास्ते में उसके पीछे सात-आठ कुत्ते पड़ गए। वे भी उस रोटी में से हिस्सा मांगते हुए भौं’भौं करने लगे। उन्होंने हीरो को दांत दिखाना और गुस्से से घूरना शुरू कर दिया। एक कुत्ते ने तो आव देखा न ताव हमारे हीरो की पूंछ ही अपने पंजे तले दबा ली। हीरो ने बड़ी मुश्किल से अपनी पूंछ उसके पंजे से छुड़ाई। इस हालात में हीरो ने सोचा कि एक रोटी किस-किसके मुंह लगेगी। फिर अगर सबमें छोटे—छोटे टुकड़े बांटू भी तो किसी का पेट नहीं भरेगा। ऐसे में यही ठीक रहेगा कि मैं ही पूरी रोटी खा लूं। बस फिर क्या था? वह फटाक से पूरी रोटी खा गया। बाकी कुत्ते उसे देखते ही रह गए।
मोरल ऑफ द स्टोरी: किसी संकट में जल्दी फैसला कर लेना अच्छा होता है। अपने विरोधियों को ज्यादा हावी होने का मौका नहीं देना चाहिए।
एक था ‘हीरो’-2
एक हीरो था। उसे कहीं से एक रोटी मिली। वह रोटी को मुंह में दबाकर जा रहा था। तभी रास्ते में उसे एक मरियल सा दूसरा छोटा सा पिल्ला दिखा। वह बीमार था और भूखा भी। उसे देखकर हमारे हीरो का दिल पसीज गया। उसने सोचा कि मेरी सेहत तो अच्छी है पर यह पिल्ला तो बिलकुल मरियल दिख रहा है। यदि मैंने इसे यह रोटी दे दी तो कम से कम आज के दिन तो इसकी भूख मिट जाएगी। मैं तो यही समझ लूंगा कि आज मेरा व्रत है और फिर कहीं और से अपने खाने की जुगाड़ बैठ लूंगा। यह सोचकर उसने अपनी रोटी उस पिल्ले को दे दी। इससे उस पिल्ले की भूख मिट गई और वह कृतज्ञता भरी निगाहों से हीरो को देखने लगा। हीरो को भी यह सब देखकर बहुत अच्छा लगा। उसे संतोष हुआ कि वह किसी के काम आ सका।
मोरल ऑफ द स्टोरी : अपने से छोटे और लाचार लोगों के साथ करुणा भरा व्यवहार करना चाहिए। इससे संतोष और पुण्य मिलता है।
क्रमश:
(काल्पनिक कहानी )