रचनाकार : सुशीला तिवारी , पश्चिम गांव, रायबरेली
उसी से प्यार क्यूँ है
शिकवा गिला जिससे ,उसी से प्यार क्यूँ है!
यै जीस्त मुझको उसका,,, इन्तजार क्यूं है !!
दुनिया में जैसे कुछ भी उसके बिना नही है,
उससे ही दिल हमारा,,,,,,,खुशगंवार क्यूं है!
दिन- रात रहता मेरे,,,,,,,, वो खयालात में ,
मदहोशी खूब छाई ,,,,,छाया खुमार क्यूं है !
वादे पर वो हमारे,,,, उतरा खरा कभी ना ,
फिर भी न जाने इतना,,,,,, ऐतबार क्यूं है !
दिल उसने मेरा तोड़ा ,, , तो दर्द बढ़ गया ,
नासाज दिल हमारा करता,,आभार क्यूं है !
दुनिया है कितनी रंगी ,,,लोग हमसे कहते,
देखा करूँ मैं उसको ,,दिल बेकरार क्यूं है !
सुनते हैं हम हमेशा,,,, बातें बस उसी की,
फिर भी उसी की बातें ,,,,;;नागंवार कयूं हैं !
उसमें है बेवफ़ाई “सुशीला”,,, को है पता ,
फिर उसी की खातिर दिल-ए-अजार क्यूं है!
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तुम न मिले
तुमसे बेहतर पाया है पर तुम न मिले ये टीस रही सदा,
तुम पर ही दिल हारा था मेरा, तुम से ही दूरी रही सदा ।
कुछ दूरी तक साथ चले,
मंज़िल दूर नजर आई ,
मेरी किस्मत आवारा थी ,
उस पर थी बदली छाई ,
नाम हथेली पर लिख लिख कर उसे मिटाती रही सदा ।
तुम पर ही दिल हारा था मेरा, तुम से ही दूरी रही सदा ।।
आस लगा बैठी जीवन की,
चाहत थी प्रेम समर्पण की ,
जंगल में मृग भटक रहा ,और कस्तूरी छलती रही सदा ।
तुम पर ही दिल हारा था मेरा , तुम से ही दूरी रही सदा ।।
तुम मेरे प्राणों के आभूषण ,
क्यूँ मिले नही ये बड़ा प्रश्न ,
गीत गजल के शव्द बने तुम छुप के लिखती रही सदा ।
तुम पर ही दिल हारा था मेरा , तुम से ही दूरी रही सदा ।।
गीतों सा स्पंदन तुझमें
बनी रही तड़पन मुझमें
नाम तुम्हारा हम ले न सके ,कुछ तो मजबूरी रही सदा ।
तुम पर ही दिल हारा था मेरा, तुम से ही दूरी रही सदा ।।
सारी खुशियाँ जीत गई ,
एक तुम्ही को हारे है ,
आंखे मेरी समन्दर सी ,
इनमें बह रहे धारे हैं ,
मेरे हिस्से पीड़ा आई, पर एक आस जरूरी रही सदा ।
तुम पर ही दिल हारा था मेरा, तुम से ही दूरी रही सदा ।।
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आंसू
कई उलझन मेरी सुलझा गये आंसू !
बात दिल में लगी तो आ गए आंसू !!
गया जब से मेरा वो,,,, चाहने वाला,
उठी दिल में कसक,,,आ गए आंसू !
तड़प दिल में छलकती आँख है तेरी,
मुझे तो लग रहे बड़े, गहरे तेरे आंसू !
मेरा इनसे कोई ,,,,,रिश्ता रहा होगा,
न जाने क्यूं मुझे ये ,,,,भा गए आँसू !
नही कीमत कुछ आंकी मेरे गम की,
बड़े बेमोल हैं बड़े,,,, सस्ते मेरे आंसू !
दर्द उसका जब महसूस,,,मैंने किया,
तब मेरी आँखों में ,,,,आ गये आँसू !
“सुशीला” है जहाँ में वफा की कमी,
याद करके तुम्हारी,,,,,आ गए आँसू !
बहुत ही सुंदर और भावनात्मक चित्रण
बहुत सुंदर रचना