रचनाकार : शबनम मेहरोत्रा, कानपुर
उर आनंद है मेरो बिहारी
मुस्काए पालने में राजदुलारा
जग का पालनहारा नंद दुलारा
केश घुंघराले नटखट नैनों वाला
मुँह में ब्रह्माण्ड काली कमली वाला
ढोल नगाड़े बाजे गोकुल मतवाला
कारी कारी तिरछी चितवन वाला
नील बदन नटवर नागर नटखट नंदलाला
तमस जीवन का हरता पालनहार कहाता
सृष्टि के कण कण में समाया दामोदरा
हाथ सर पे मेरे, हे बॉंके बिहारी लाला
उर आनंद है मेरो बिहारी मुरली वाला
बृंदावन में रास रचाया ब्रज का नंदलाला
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ओ श्याम रंग दे
ओ श्याम मोहे रंग दे अपने रंग में
अपने रंग में sss अपने रंग में
रंग में रंगा कर चलूँ तेरे संग मे
श्याम मोहे रंग दे सपने रंग में ,,
अपने रंग में रंग दिया पहले
तुम बिन कैसे ये मन बहले
रानी नही पट रानी बनूँ मै
चाहूँ नही कुछ प्रेम के बदले
मोहे ले चल श्याम अपने संग मे
मोहे रंग दे श्याम अपने रंग में
न जाना कभी छोड़ के मुझको
मेरी कसम लग जाए तुझको
तुम ठहरे राजा महाराजा
भूलूँ तुझे यानी की मैं खुदको
जीना नही मुझको इस ढंग में
मोहे रंग दे श्याम अपने रंग में,,,
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हे कान्हा तुम सो भी जाओ
हे कान्हा तुम सो भी जाओ,नींद से पलकें भारी है ,
राधा तेरी याद में जागी , कितनी रात गुजारीं हैं ।
तेरे सिराहने मैं बैठूंगी ,तुम सोजाओ मैं जागूँगी ,
चाहे कितनी नींद हो गहरी मैं सपने में आऊँगी ।
खुश हूँ मैं,नहीं सोचना की राधा की लाचारी है ,
राधा तेरे याद में जागी , कितनी रात गुजारी हैं ।
तुम में समाहित हो जाऊँगी तुमको गई हूँ जान ,
चाहे मानव रूप में तुम हो , लेकिन हो भगवान ।
तेरे चरण की दासी हूँ मैं ,मत समझो पर नारी है ,
राधा तेरी याद में जागी , कितनी रात गुज़ारीं हैं ।
प्यार हमारा अमर रहेगा , आओ करे कुछ काम ,
युग युग तक हर होंठों पर हो ,राधा किशन का नाम ।
“शबनम”तुम राधा को छोड़ो समझूँगी तुझे प्यारी है ,
राधा तेरी याद में जागी , कितनी रात गुज़ारीं हैं ।
हे कान्हा तुम सो भी जाओ नींद से पलके भारी हैं ।
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भाव के भूखे
जग के पलक दयानिधि एक वही तो श्रीमन है
भोग नही ग्रहण करते वे भाव के भूखे भगवन है
उन्हें अगर खुश करना चाहो
चाहे शाम सवेर
शबरी जैसा भाव जगे तो
खायेंगे प्रभु बेर
तभी तो आठों याम बसा के रखे जो हनुमान है,,,,,
सूरदास व तुलसी मीरा चाहे
दुष्ट अजामिल
प्रभु के प्रति श्रद्धा भाव से
उन को गए वो मिल
कई पुराणों में इस गाथा के ढेरो प्रमाण है,,,
इतने कोमल सहृदयी है संग
तेरे रो लेंगे वो
भाव से बांध सुदामा जैसे पग
तेरा धो देंगे वो
शबनम का उन चरणों पर अर्पण सारा तन मन है,,,
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कलाई मेरी छोड़ो ना
श्याम हो जाऊँगी मैं बदनाम कलाई मेरी छोड़ो ना
कहे लगवाए तुम रे इल्जाम कलाई मेरी छोड़ो ना
सखियां सहेलियां ताना देगी
लोग करे कानाफूसी
अयन जी हमसे बात करे ना
सासू जी बैठी रूठी
काहे इतना सताए मेरे शयाम कलाई मेरी छोड़ो ना
काहे लगवाए तुम रे इल्जाम कलाई मेरी छोड़ो ना
लोग नही समझे बिल्कुल
प्रेम की यह सच्चाई
झूठे लांछन सभी लगाए
जाने ना अच्छाई
अब तो होने लगी है रे शाम कलाई मेरी छोड़ो ना
काहे लगवाए तुम रे इल्जाम कलाई मेरी छोड़ो ना
वादा करती कल भी मिलूंगी
मै शबनम भी तुमसे
किसी कीमत पर तेरी जुदाई
सही न जाए मुझसे
घर में ढेरो पड़े है रे काम कलाई मेरी छोड़ो ना
काहे लगवाए तुम रे इल्जाम कलाई मेरी छोड़ो ना