सुशीला तिवारी पश्चिम गांव, रायबरेली
धर्म पूछकर गोली मारी ,जिनका सिन्दूर मिटाया है
उनकी बद्दुआ लगी है आँपरेशन सिन्दूर कराया है ।
आतंक ठिकाने नष्ट हुए,तुम्हे सबक सिखाने आये,
बीर जवान हैं जांबाज, आसमान से गोले बरसाये ।
तुम्हे तुम्हारी ही भाषा में अब जवाब मिल गया है,
जैसी करनी का फल मिला जो अपराध किया है।
सिन्दूर की लाज रखने को आँपरेशन सिन्दूर कराया ,
तुमने केवल पति को मारा है और सिन्दूर मिटाया ।
तुमने जितनो को मारा है हम उससे ज्यादा मारेगें ,
सौगंध हमे है इस मिट्टी की,तुमको मिट्टी में गाडेगे ।
ये देश हमारा भारत है अब नही सहेगा ये अत्याचार ,
घर में घुसकर तुमको मारेंगे सुन लो मेरी ललकार ।
अभी तो रस्म-ए सिन्दूर हुआ है सारी रस्में बाकी हैं,
जिस मिट्टी को ललकारा है वो भारत देश की माटी है ।
तुमने जो चिंगारी फेंकी वो शोला बनकर धधक उठी,
जब अपने पर बन आई तो आँख तुम्हारी फफक उठी।
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जीवन को जीवंत बनायें
जो बीत गई वो बात गई
अब क्यों उसको हम दोहरायें,
जीवन में अपने खुश रहना सीखो
नीरसता को दूर भगायें ।
अक्सर दुख दे जाती हैं बहुत
वो बीती हुई कुछ बातें ,
कुंठित मन को करती रहती हैं
फिर दे जाती हैं हृदय आघातें ।
भूतकाल को भूल गए हम अब
वर्तमान में जीवन यापन करते,
जो कुछ हमें मिल गया अपनाकर
कुछ ख्वाब भविष्य के बुनते रहते ।
कलुषित होने से जीवन को
अब आओ हम अपने बचाएँ ।
जीवन बड़ा विवादास्पद है फिर भी
आओ जीवन को जीवंत बनाये ।
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