रचनाकार: सुनीता मिश्रा, देहरादून
और मम्मी ने यश का नंबर पकड़ा दिया।
रश्मि ने तुरंत ही यश को फोन लगा दिया था! रात के 10:00 बज रहे थे। वह जानती थी यह वक्त फोन करने का नहीं किंतु वह हर हाल में यही चाहती थी कि यह शादी न हो, इसीलिए वह उटपटांग बातें और उटपटांग हरकतों से इस शादी को कैंसिल करने की कोशिश में लग गई थी।
फिर बातों का सिलसिला शुरू हुआ। यश एक साधारण शक्ल सूरत का एक अति प्रतिभाशाली , संस्कारी और पूर्ण मेच्योर लड़का था।
पहली बार फोन करते ही रश्मि ने यश को अपनी सारी कमियां गिनानी शुरू कर दी थी ।
तुम्हें नहीं पता मैं कितनी मोटी हूं ! तुम्हें नहीं पता मैं पढ़ने में अच्छी नहीं हूं ! तुम्हें नहीं पता मुझे कोई काम नहीं आता ! तुम्हें नहीं पता मैं घर का कोई काम कभी नहीं कर सकती ,क्योंकि मुझे घर के काम में बिल्कुल रुचि नहीं !
तुम्हें नहीं पता मुझे ड्रिंक सिगरेट से सख्त नफरत है! और तुम्हें यह भी नहीं पता कि,, मैं पापा के लाड प्यार में बिगड़ी हुई लड़की हूॅं ! यह मेरी मम्मी रोज बोला करती हैं । अगर इन सबके बाद भी मुझसे बात करनी है तो ठीक है हम बात करते हैं ! और अगर हम दोनों में सामंजस्य नहीं बैठ पाता तो हम बिना झिझक बहुत अच्छे ढंग से शादी से इनकार कर देंगे चाहे आप या मैं।
यश ने मुस्कुराते हुए कहा ठीक है। अब सब पता चल गया है! अब तुम अपनी सिर्फ एक कोई अच्छाई भी बता दो! क्योंकि दुनिया के हर इंसान मैं बुराइयां के अलावा कोई ना कोई अच्छाई भी होती है।
रश्मि – अगर इस बीच हमारे “ विचार “ मिल गए! हमनें एक दूसरे को पसंद कर लिया और अगर हम दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो गया, तो मेरी आखिरी सांस तक तुम ही मेरे हृदय में विराजमान रहोगे। सौ बुराइयों के बाद बस एक मुझ में ईमानदारी है! इसके अलावा सिर्फ अवगुण ही मुझमें है ।
बातें होती रही दोनों मिले, एक दूसरे को जाना-समझा दोनों ने एक दूसरे की छोटी-मोटी कमियों को नजर अंदाज करते हुए प्रणय के बंधन में बंध गए।
रश्मि सास ससुर और ननद के साथ ससुराल में 3 दिन बिता चुकी है ।
किन्तु ससुराल को लेकर जो डर रश्मि के मन में बैठा हुआ था, वह कभी कहीं नहीं दिखा । परिवार के हर सदस्य हद से ज्यादा नरम दिल और खुश मिजाज हैं। रश्मि की ननद की शादी हो चुकी है! वह दूसरे शहर में अपने पति के साथ रहती है।
आज रश्मि अपनी लेजी दिनचर्या के विपरीत सुबह के 9:00 बजे सारे घर को व्यवस्थित कर स्नान कर किचन में खड़ी है।
रश्मि की अंतरात्मा इस बात की गवाही नहीं दे रही कि थकी हारी सासू माॅं , आकर के खाना बनाए।
आज उसे खुद पर गुस्सा आ रहा है , क्यों नहीं उसने मम्मी की बातों पर ध्यान दिया क्यों नहीं खाना बनाना सीखा।
क्रमश:
(काल्पनिक रचना)
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