रचनाकार: सुनीता मिश्रा, देहरादून
खटपट की आवाज सुन रश्मि की नींद खुल गई। खिड़की के पर्दे एक कोने से सरके हुए थे ! वहां से सूर्य की रोशनी सुबह ही नहीं बल्कि देर होने की दस्तक दे रही थी।
रश्मि ने मुड़कर बेड को देखा , यश ! बेड पर नहीं थें! वह समझ गई यश एयरपोर्ट जाने के लिए तैयार हो रहे हैं। तभी यश ने कमरे में दो चाय लेकर आते हुए बोला , ये लो चाय पी लो और फ्रेश हो जाओ मैं एयरपोर्ट जा रहा हूॅं।
9:30 पर फ्लाइट की लैंडिंग है। हमें आते-आते 11:00 बज सकते हैं, तुम कुछ बनाकर या मंगा कर खा लेना।
यश ने रश्मि को बड़े प्यार से मुस्कुरा कर देखते हुए कहा।
सुनो! क्या ऐसा नहीं कर सकते की मम्मी पापा को बाहर से ही खिला कर लें आओ ।
रश्मि ने यश को बड़ी विवश नजरों से देखते हुए अनुरोध किया।
यश – अरे नहीं मम्मी पापा बाहर का नहीं खाते ! तुम चिंता मत करो मम्मी आकर खाना बना लेंगी।
और यश उठकर एयरपोर्ट के लिए निकल गयें।
रश्मि असमंजस में पड़ी बैठी रही आखिर करें तो क्या करें! उसे खाना बनाने नहीं आता हैं।
रश्मि और यश ! कल रात ही हनीमून से लौटे हुए हैं ।
10 दिन पहले ही उनकी शादी बड़ी धूमधाम से हुई हैं। दूसरे दिन ही सासू माॅं ने रश्मि के रसोई प्रवेश का रस्म पूरा करवा दिया था।
और तीसरे दिन वह हनीमून के लिए निकल गए थे।
इसी बीच यश की रिश्तेदारी में शादी थी, मम्मी पापा का जाना आवश्यक था ! अतः दोनों शादी में शामिल होने के लिए लखनऊ गए हुए थे।
27 वर्षीय रश्मि शादी के 2 महीने पहले तक शादी नहीं करने की ज़िद्द पर अड़ी रही , वह अभी शादी नहीं करना चाहती थी, कारण यही था कि उसको घरेलू कामकाज और खाना बनाना नहीं आता था ।
और वह अभी आत्मनिर्भर भी नहीं हुई थी! अतः शादी रूपी झमेले से वह तत्काल दूर रहना चाहती थी।
बचपन से पिता के हद से ज्यादा लाड़-प्यार में पली-बढ़ी रश्मि ने माॅं की सिखाए हुए सीखों को कभी सीखने की कोशिश ही नहीं की।
जब अचानक रश्मि के पापा ने एक उच्च पोस्ट पर विराजमान लड़के से शादी तय कर देने का आदेश सुनाया वह हक्की-बाक्की रह गई थी।
उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि पापा ऐसे कैसे कर सकते हैं।
बिना उसकी सलाह शादी कैसे फिक्स कर सकते हैं। रश्मि पीएचडी कर रही है।
उसने कभी सोचा ही नहीं आत्मनिर्भर हुए बिना वह शादी करेगी, फिर पापा को अचानक क्या हो गया, वह समझ नहीं पा रही थी।
नाराज होकर रश्मि ने मम्मी को फोन लगाया यह क्या है मम्मी!अभी ही शादी आपको पता है न, अभी मैं शादी नहीं करना चाहती पहले मुझे जाॅब लेनी है तब ही शादी करूंगी।
माॅं ने समझाया पढ़ाई कर रही हो तो एक न एक दिन नौकरी करनी ही है, किंतु इतना अच्छा लड़का इतना अच्छा परिवार मिलना मुश्किल है। एक बार लड़के से बात कर लो।
और मम्मी ने यश का नंबर पकड़ा दिया।
क्रमश:
(काल्पनिक रचना)
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