आज अल-सुबह जैसे ही होली के मूड में मैं उठी तभी अखबार की हेडलाइन पढ़कर चौंक गई। दैनिक सही-सलामत के फ्रंट पेज पर बड़े और मोटे’ताजे अक्षरों में एक न्यूज चस्पां की गई थी। यह न्यूज इस प्रकार थी-
अमितजी नहीं खेलेंगे होली
मुंबई। बाॅलीवुड से मिली एक बड़ी खबर के मुताबिक मशहूर अभिनेता और शताब्दी के महानायक अमित जी ने आज एक सनसनीखेज ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर सफेद झक कुर्ते-पायजामे वाली फोटो डालकर लिखा है कि इस बार वे होली नहीं खेलेंगे। ही विल नाॅट प्ले होली! मशहूर सिलेब्रिटी के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर हड़कंप मच गया है। और तरह-तरह की कयासबाजी शुरू हो गई है।
यह न्यूज पढ़कर मैंने भी धड़कते दिल के साथ अपना कंप्यूटर खोला और सोशल मीडिया खंगालना शुरू किया। यह ट्वीट कोई सुबह 7 बजे आया था और मैंने अपना कंप्यूटर खोला था कोई 7.44 पर! आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इतनी देर में ही सोशल मीडिया दो फाड़ हो चुका था और उस पर कोई 10 लाख संदेश व पोस्ट्स इसी मुद्दे पर डाले गए थे कि अमितजी क्यों इस बार होली नहीं खेल रहे हैं।
उन सोशल मीडिया के संदेशों व पोस्ट्स में कुछ की बानगी यहां पेश है-
मशहूर ज्योतिषी पंडित तिरपाल दर्शी ने लिखा – गोचर दशा पर विचार करते हुए अमितजी के इस ट्वीट से भूचाल आने की संभावना हो गई है। जनता में आक्रोश फैलेगा और अशांति की आशंका है।
बाॅलीवुड के अन्य अभिनेता अणुबम खैर ने लिखा – अमितजी के इस फैसले से हम हतप्रभ हैं।
बिना सोचे -समझे बयानबाजी देकर अपना मजाक उड़वाने वाले रंगरेज पार्टी के नेता राजू आंधी ने लिखा – अमितजी ने यह फैसला सत्तारूढ़ दल की नीतियों के खिलाफ लिया है। वे अबीर-गुलाल के महंगे होने से बेहद परेशान हैं और इसलिए उन्होंने महंगाई पर करारा प्रहार करने की नीयत से यह कदम उठाया है।
पके आम पार्टी के नेता मकरंद कचहरीलाल ने जेल से जारी संदेश में लिखा- अमितजी अपना दामन साफ रखना चाहते हैं। वे रंगों में रंगना नहीं चाहते। उनका यह फैसला सराहनीय है।
बाॅलीवुड के ही एक अन्य मशहूर अभिनेता शाहदुख खान ने ट्वीट किया – वे मेरे बड़े भाई जैसे हैं। उनकी होली नहीं खेलने की वजह चाहे जो भी हो पर मैं उनके इस फैसले से दुखी हूं।
डाॅक्टर मनसुख लाल ने अपने फेसबुक एकाउंट से कमेंट किया – अमितजी को जरूर रंगों से एलर्जी हो गई है। अतः वे इस बार होली नहीं खेलने जा रहे।
बाॅलीवुड की मशहूर अभिनेत्री और अपने कमरतोड़ ठुमकों के लिए इतिहास में नाम दर्ज कराने वाली पसीना ठनठन ने लिखा- मुझे उनका गाया वह गीत याद आ रहा है – रंग बरसे, भीजे चूनर वाली! मुझे उम्मीद है कि अमितजी अपने इस गीत को याद करके अपनी होली नहीं खेलने की भीष्म प्रतिज्ञा को तोड़ देंगे।
कुल मिलाकर जितने लोग उतनी बातें। फिर मैंने टीवी खोला तो उसपर भी इसी मुद्दे को लेकर गरमा-गरम खबरें परोसी जा रही थीं। कल तक चैनल के स्टार पत्रकार अतल सागर खुद के चेहरे को कई रंगों से पोतकर लाइव बहस कराने में लगे थे। वे चार लोगों को इकट्ठा करके अमित जी की ट्वीट पर राय लेने सर्वेक्षण करवाने और न जाने क्या-क्या करवाने में लगे थे। कुल मिलाकर हर जगह यही मुद्दा छाया हुआ था कि अमितजी इस बार होली क्यों नहीं खेल रहे हैं।
इस खबर को लेकर बढ़ती ट्वीट्स और कमेंट्स के कारण सोशल मीडिया पर राई का पहाड़ बनता जा रहा था। इस पहाड़ की उंचाई देखकर मेरे हाड़ कंपने लगे। इसी बीच, एक चमत्कार हुआ। भारतीय झंडा पार्टी के प्रवक्ता रामदयाल जी को जब इस न्यूज के पुरजोर असर का आभास हुआ तो उन्हें लगा कि इस न्यूज के कारण होली के रंग में भंग नहीं पड़ जाए। अतः उन्होंने सुबह 10 बजे एक प्रेस कान्फ्रेंस रख ली और यह बयान जारी किया –
हम अमितजी के होली नहीं खेलने की वजह का पता लगा रहे हैं। जैसे ही हमें कुछ पता चलेगा जनता को जरूर बताएंगे। इसके साथ ही अमितजी को होली खेलने के लिए मनाने के लिए हम पूरी कोशिशें कर रहे हैं।
उनके इस बयान से मुझे आइडिया लगा कि क्यों न अमितजी के फैसले की सही वजह पता लगाई जाए। क्योंकि मुझे कोई चार साल सोशल मीडिया हैंडल करते-करते इतना तो समझ में आ गया था कि लोग इस मीडिया का जबर्दस्त दुरुपयोग करते हैं। एक कोई मुद्दा मिला नहीं कि तिल का ताड़ बनाने लगते हैं। न यह पता करते हैं कि वास्तविकता क्या है? न यह जानने की कोशिश करते हैं कि किसने कोई बात क्यों कही? बस कोई मुद्दा मिला नहीं कि लाइक्स बटोरने के चक्कर में दनादन कमेंट्स की बमबारी शुरू कर देते हैं। भेड़चाल में फस जाते हैं।
अतः मैंने कुछ देर गूगल बाबा को सर्च-वर्च करके अमितजी का फोन नंबर लगाया और धड़कते दिल से उन्हें फोन लगाया। कुछ देर टुर्र-टुर्र घंटी बजने के बाद से दूसरी तरफ से भारी-भरकम आवाज सुनाई दी – हां मैडम! कैसे याद किया?
मैं- सर! वो आपकी होली वाली ट्वीट को लेकर हंगामा मचा हुआ है
अमितजी -जी मोहतरमा! आप भी आ गईं झांसे में। अरे वो मेरा ट्विटर हैंडल हैक करके किसी ने शरारत की है। मैं तो यहां मुंबई में होली खेलने में लगा हूं। सुनिए न पीछे गाना बज रहा है – होली खेलें रघुवीरा! मैंने हैकर के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी है। अब आगे का स्टेप साइबर क्राइम पुलिस को लेना है। मेरे साथ शरारत करने वाले नेट के हैकर्स रूपी मच्छर, आइ मीन हैकर को मैं छोडूंगा नहीं, उसे कानूनी नेट यानी कानून के शिकंजे में लाकर ही मानूंगा। अब आपभी होल को एंजाॅय कीजिए और हमें भी चैन से होली खेलने दीजिए।
इसके बाद फोन कट गया। अब मैं जा रही हूं होली को एंजाॅय करने! आप भी सबकुछ भूलकर होली के रंग में रंग जाइए! और बुरा मत मानिए क्योंकि होली तो होली त्योहार है! इसमें कैसा बुरा मानना?
(काल्पनिक रचना)