रचनाकार : शबनम मेहरोत्रा, कानपुर
प्राचीन काल की बात है उस समय अमरनाथ की यात्रा आज की तरह सुगम नही थी अतः वर्ष में मात्र सात दिनों के लिए ही बाबा के दर्शन की अनुमति थी फिर गुफा बंद कर दी जाती थी ।
एक वृद्ध व्यक्ति जो शिव शंकर शम्भू का अनन्य भक्त था के मन में अमरनाथ के दर्शन कर आएं ,उस समय न ट्रेन थी न बस न आज जैसे संसाधन , सूतरांग वह अमरनाथ के दर्शन करने को पैदल ही चल पड़ा ,नदी ,पहाड़ ,कंटक राहों को पार करते बर्फ के चट्टानों को पार करते हुवे बाबा बर्फानी की गुफा तक जा पहुँचे लेकिन दुर्भाग्य देखिए वह पूजा के अंतिम दिन अंतिम समय पर पहुँचा जब पुजारी गुफा का द्वार बंद कर वापस लौट रहा था । उसे देखकर पुजारी ने पूछा “कौन हो तुम और आने का उद्देश्य क्या है ?” उस बूढ़े ने बताया मैं बहुत दूर से बाबा अमरनाथ का दर्शन करने आया हूँ । पुजारी ने बताया अब तो गुफा बंद कर दिया गया है अब यह गुफा एक वर्ष बाद ही खुलेगी , तुम अगले वर्ष आना । निराश वृद्ध ने पुजारी से विनती की अगले वर्ष शायद मैं जीवित रहूँ या नहीं और न शरीर में इतनी ताकत है की दुबारा आ सकूँ अतः आप दया करके मुझे बाबा का दर्शन करा दे बड़ी कृपा होगी । लाख मिन्नत के बाद भी पुजारी ने दर्शन करने नही दिया और पुजारी वापस चला गया । एक तो घोर निराशा उस पर बूढ़े में इतनी शक्ति न बची थी की वापस आए इसलिए उसने सोचा शायद बाबा मुझ पापी को दर्शन ही न देना चाहते हो आज रात में आग जला कर यहीं आराम कर लेता हूँ कल लौट जाऊँगा, और वह सो गया ।
अल सुबह उसके कानो में ढोल,घंटे की आवाज सुनाई पड़ने लगी और धीरे धीरे उसके नजदीक आने लगी ,कुछ क्षण के बाद पुजारी अपने कुछ भक्तों के साथ गुफा के पास आए और बाबा का गुफा खोलने लगे । तब उस बूढ़े ने पूछा पुजारी जी कल आपने कहा कि अब एक साल के बाद गुफा खुलेगा और भक्त गण दर्शन कर पाएँगे लेकिन आज आप गुफा खोल रहे हैं, आपने मुझसे झूठ क्यों बोला ? पुजारी ने उसे आश्चर्य से देखा और बोला यह क्या कह रहे हो ? मैं तो एक वर्ष के बाद ही बर्फानी बाबा का पूजा ,अर्चन आ रहा हूँ मुझे याद आ रहा है की गुफा बंद करते समय तुम्हीं मुझसे दर्शन कराने की विनती कर रहे थे न? क्या एक साल से तुम यही पड़े हो ?
उस बूढ़े ने कहा एक वर्ष ? नहीं यह तो कल शाम की बात है ।
तब पुजारी को समझ में आया की एक सच्चे भक्त के लिए बाबा अमरनाथ ने श्रृष्टि के काल के चक्र को ही एक वर्ष के लिए ही उल्टा घुमा दिया । पुजारी ने बूढ़े से कहा धन्य हो आप जिसके लिए बर्फानी बाबा ने तुम्हारे लिए सृष्टि का चक्र ही घूमा दिया ।
सच कहते हैं भक्त के मान रखने के लिए भगवान को भी झुकना पड़ता है ।
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