आखिरी चैप्टर
ललिता — दरअसल, हम सब अपने—अपने घरों में बनने वाले खाने को खा—खाकर उकता चुके हैं। ऐसे में आपके द्वारा दी गई पार्टी हमारे लिए बेहद सुकून पहुंचाने वाली है।
जेठा — दरअसल, यह पार्टी हम मेलजोल बढ़ाने और पुरानी यादें ताजा रखने के लिए हर साल रखते हैं। इससे आप सबों के साथ संवाद भी होता रहता है और हमें भी थोड़ा पुण्य मिल जाता है।
सुलोचना— उ सब तो ठीक है। पर हम लोग इन दिनों एक समस्या से जूझ रहे हैं। आप कौनो समाधान बता सकते हैं?
दया— क्या है वह समस्या?
कृष्णा — हम सब लोग का एक ही समसया। हम जो खाना बनाता हमारा हसबैंड या बच्चा खा—खा के बोर हो जाता। अब हम नहीं समझ पाता कि उनको खुश कैसे करे?
सतविंदर — हां, ये भी मेरे हाथ दे कोबी दे परांठे खा—खा के उकता गए हैं। मैं समझ नहीं पाती कि इनके वासते रोज—रोज क्या बनाउं?
रामनाथन— इस समसया का कोई साल्यूशन निकालना होगा। नहीं तो घर में रोज—रोज लडाई—झगडा होगा।
जब सबने अपनी—अपनी बात कह दी तो दया बेन तसल्ली भरे स्वर में बोली— जरा सोचने दीजिए। फिर थोड़ी देर बाद वे चुटकी बजाकर बोलीं— आइडिया!
सब एक साथ बोले— क्या?
दया बेन — हम सब ऐसा कर सकते हैं कि क्यों न ऐसी पार्टी हर सप्ताह रखें। रामनाथनजी उस पार्टी में साउथ इंडियन डिशेज बनाकर लाएं। सतविंदर अपने पंजाब की खास रेसिपी सबके लिए लाएं। ललिताजी उत्तर भारत के व्यंजनों को तैयार करें। सुलोचना बिहार की बहार से लोगों को परिचित कराए। हम गुजराती व्यंजन सबके लिए बनाएं।
जेठा लाल — मुझे दया के आइडिया में दम दिख रहा है। सब अपने—अपने स्टेट की डिशेज बनाकर लाएं और हम सब बारी—बारी से एक—एक के घर पर रविवार या छुट्टी के दिन पार्टी रखें। इससे रोज—रोज एक जैसे खाने की बोरियत भी नहीं होगी और आपस में मेलजोल बढ़ेगा। एकता बढ़ेगी। अरे! जब इंडिया में खाने की इतनी विविधता है और इतने तरह के लोग रहते हैं तो क्यों न हम एक नई मिसाल कायम करें। सामूहिक पार्टी में विभिन्न तरह के व्यंजन बनाकर लाएं, खुद भी खाएं और दूसरों को भी खिलाएं।
ललिता — आइडिया अच्छा है। और सब लोगों की इस पर क्या राय है?
जब सबने जेठा लाल और दया बेन के आइडिया पर मुहर लगा दी तो सबके चेहरे से तनाव की लकीरें ऐसे गायब हो गईं जैसे रेत पर बने निशानों को एक ताजा हवा का झोंका गायब कर देता है।
योगेश — इसका मतलब अब हम सब मिलकर छुट्टी वाले दिन पार्टी करेंगे। हिप—हिप—हुर्रे! मजा आ गया।
इसके बाद वह तपाक से उठा और जेठा लाल से बोला — जेठा अंकल! आपके म्यूजिक सिस्टम पर मैं एक गाना बजा लूं?
जेठा के ओके कहते ही योगेश ने बादशाह का वह गाना म्यूजिक सिस्टम पर प्ले कर दिया — अभी तो पार्टी शुरू हुई है…
जब यह गाना खत्म हो गया तो ललिता बोलीं — वह पहली सामूहिक पार्टी मेरे घर पर होगी। आप सब जरूर आना। वैसे भी मैं एक दिन पहले आप सबको उस पार्टी में आने के लिए न्यौता दूंगी ताकि व्यंजन तैयार करने के लिए सबको समय मिल जाए।
इसके बाद सब लोग अगली सामूहिक पार्टी की कल्पना करते हुए अपने—अपने घरों की ओर रवाना हो गए।
(काल्पनिक कहानी)