चैप्टर – 1
कौन है वह? जिसने यह फोटो बनाई और पूरे अखबार की भद्द पीट कर रख दी? दैनिक सूर्यकिरण अखबार के ग्रुप एडिटर शरमण शर्मा के चैम्बर से आती गरजदार आवाज से ऑफिस में बैठे अन्य कर्मचारी सहम गए। साहब आज तो बेहद आग बबूला हैं। पता नहीं आज उनके कोप की गाज किस पर गिरने वाली है? पता नहीं किस फोटो पर बवाल हो गया है? कहीं ऐसा न हो आज किसी की बलि चढ़ जाए। अन्य कर्मचारियों का ऐसा सोचना उचित भी था। शर्मा साहब को जरा जरा सी भी गलतियां बर्दास्त नहीं होती थी और वे जिसे चाहे नौकरी से निकलवा सकते थे।
थोड़ी देर तक चैम्बर से शब्दों की गरज सुनाई देती रही। जब शर्मा ने अपनी भड़ास निकाल ली तो अखबार के एनई अमरेंद्र तिवारी ने साहब के कमरे से निकलना उचित समझा। वे तेजी से दरवाजा खोलते हुए बाहर की तरफ निकले। लोगों ने देखा कि तिवारी भी तैश में है और साहब को यह आश्वासन देकर बाहर निकले हैं कि वे पता कर लेंगे कि वह तस्वीर किसने डाली थी। उनकी खोपड़ी ठनक रही थी। उनके पांच साल के कार्यकाल में ऐसा पहली बार हुआ था कि उनकी न्यूज डेस्क से निकली किसी तस्वीर पर साहब ने इतनी तीखी प्रतिक्रिया जताई थी।
सबसे बड़ी दिक्कत की बात यह थी कि इस तस्वीर के बारे में अपने वफादारों के जरिए अखबार के मालिक हितेश गोलछा को भी खबर लग गई थी। वफादारों ने मालिक के कानों में नमक मिर्च लगा कर बात डाल दी थी। सर! ऐसी फोटो तो आज किसी भी अखबार के कम से कम फ्रंट पेज पर तो नहीं है। फिर न तो उस फोटो का उस स्टोरी से कोई मैच है जिसे कि भाई लोगों ने तीन कालम में तान दिया है। न ही वह फोटो बहुत अपीलिंग है। ऐसा लगता है किसी नौसिखिए ने बनाई है।
बस फिर क्या था? फौरन गरज—चमक की श्रंखला तैयार हो गई। गोलछा ने ग्रुप एडिटर को पकड़ा और सुबह—सुबह ही उन्हें फोन पर लताड़ दिया। बेचारे शर्मा साहब, चाय की चुस्कियों का आनंद ही नहीं ले पाए। उन्हें लगा कि प्याली में चाय से ज्यादा मालिक का दिमाग गरम है तो उन्होंने आफिस पहुंच कर सबसे पहला काम यही किया। सुबह आए तमाम अखबार इकट्ठे किए। उन्हें अपनी टेबल पर सजाया। फिर तिवारी को तलब किया और उन्हें जमकर फटकार लगा दी।
अब तिवारी साहब क्या करते? ग्रुप एडिटर के तेवर देखकर उनके भी हौसले पस्त हो गए और वे अपनी सीट पर सिर पकड़कर बैठ गए। इसके बाद उन्होंने अखबार के आईटी विभाग के इंचार्ज को तलब किया। उससे पूछा कि वह फोटो किसने मोडम पर डाली थी? इंचार्ज ने अपने दिमाग पर जोर डाला और कहा,सर! वह फोटो देर रात सिस्टम नंबर 15 से आई थी। उसे मेरे साथी गौतम ने मोडम पर डाला था।
अब डांट खाने की बारी गौतम की थी। अब तक गौतम को आफिस के गरम होते माहौल की भनक लग गई थी। वह सिर झुका कर तिवारी के सामने पेश हुआ और बोला — सर! वह फोटो अपने न्यूज एडिटिंग विभाग से आई थी। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। हमें वहां से मिली फोटो को आगे के एडिशनों में छपने के लिए बढ़ाना ही पड़ता है। इसमें हमारी कोई गलती नहीं है।
नियम पसंद तिवारी का गुस्सा यह जानकर थोड़ा ठंडा पड़ा कि आईटी विभाग से कोई चूक नहीं हुई। फिर उनकी सारी जांच और दिमाग इस बात पर केंद्रित होने लगा कि उस सिस्टम नंबर 15 पर बैठने वाला बंदा कौन है? तमाम ब्योरा जानने के बाद उन्हें वही शख्स बलि के लिए उपयुक्त बकरा प्रतीत हो रहा था।
उन्होंने अपने विश्वसनीय सूत्रों से पता किया। उन्हें पता चला कि सिस्टम नंबर 15 पर बैठने वाला बंदा खबर भी बनाता है और कभी कभी पेंट सॉफ्टवेयर पर कलाकारी भी करता रहता है। उसी ने यह फोटो न्यूज की एडिटिंग करते—करते अपनी कल्पना से बनाई थी। उस शख्स का नाम राजीव त्रिकालदर्शी है और वह शाम को चार बजे न्यूज रूम में तशरीफ लाता है। उसके नाम में जुड़े त्रिकालदर्शी पुछल्ले का रहस्य क्या था, यह पाठक आगे जानेंगे।
क्रमशः (काल्पनिक कहानी )