आखिरी चैप्टर
उस शख्स का नाम राजीव त्रिकालदर्शी है और वह शाम को चार बजे न्यूज रूम में तशरीफ लाता है। उसके नाम में जुड़े त्रिकालदर्शी पुछल्ले का रहस्य क्या था, यह पाठक आगे जानेंगे।
उसका नाम सुनकर तिवारी चौंके। वे सोचने लगे — वह तो बहुत काम का बंदा है ! सबसे कम सैलरी में उसे ही मैंने न्यूजरूम में नियुक्त करने की सिफारिश की थी। वह काम—काज में इतना माहिर है कि उसे ज्यादा रोकने—टोकने की जरूरत नहीं पड़ती। फिर वह मालिक की गुड बुक में भी था। पर आज उसकी वजह से अखबार की भद्द पिट गई तो उससे इस बारे में सवाल—जवाब करने ही होंगे वरना शर्मा साहब मुझे शर्मसार करके कहीं का नहीं छोड़ेंगे ।
यह सोचकर तिवारी कुछ देर के लिए प्राणायाम करते हुए अपने गुस्से के शांत करने में जुट गए। उन्हें लग रहा था कि जल्दी से चार बज जाएं और वे उस नेक बंदे को इस काम के लिए दिखावे के तौर पर डांट—डपटकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लें और फिर उससे फार्मल माफी मंगवा कर अपने ग्रुप एडिटर को भी संतुष्ट कर दें।
राजीव शाम के चार बजे आफिस पहुंचा। उसे उसके दोस्तों ने ऑफिस में सुबह से मचे तूफान के बारे में बता दिया था। जल्द ही तिवारी ने उसे अपने क्यूबिकल में बुलाया। जिम्मेदारी से अपना काम करने की नसीहत दी। दिखावे के लिए चार—पांच वाक्य गरजकर बोले। फिर राजीव ने अपनी सफाई में कहा कि साहब! गलती हो गई और आगे से नहीं होगी तो उन्हें ऐसा लगा कि मानो उन्होंने कोई बहुत बड़ा मोर्चा फतह कर लिया हो। उन्होंने राजीव के माफी मांगने की खबर फौरन शर्मा के चैम्बर में पहुंचा दी। काम के बोझ के तले शर्मा ने मामले को वहीं दफन करना उचित समझा।
अब आप सोच रहे होंगे कि वह फोटो क्या थी? जिसे लेकर इतना बखेड़ा हुआ था। तो मित्रो! वह फोटो थी अपने सौरमंडल की और उस पर राजीव ने पेंट साफ्टवेयर में जाकर अपनी कल्पना के घोड़े दौड़ाते हुए पीले रंग से ॐ लिख दिया था।
किंतु यह किस्सा यहीं खत्म नहीं हुआ। इस घटना के पंद्रह दिन बाद और भी विचित्र घटा। इसके बाद राजीव की दुनिया में तो जबरदस्त बदलाव आ गया। राजीव को अंतरिक्ष से जुड़ी एक खबर वाशिंगटन से अंग्रेजी में मिली। उस खबर में बताया गया था कि नासा ने अंतरिक्ष में एक स्पेस शटल भेजा है। उस स्पेस शटल में इस अमेरिकी संस्था ने अपने समय के मशहूर रॉक ग्रुप बीटल्स के भजन की ऑडियो क्लिप को भी भेजा है। यह भजन शोध के मकसद से अंतरिक्ष में बजाया गया। अपने भारतीय गुरु महर्षि महेश योगी को समर्पित इस भजन के बोल थे —
जय गुरुदेव ॐ
नथिंग्स गोन्ना चेंज माय वर्ल्ड
नथिंग्स गोन्ना चेंज माय वर्ल्ड
राजीव यह न्यूज़ लेकर फौरन तिवारी के पास खुश—खुश पहुंचा। तिवारी सारा माजरा समझ कर बोले — वाह! राजीव, उस दिन आप गलत थे पर आज आप सही है! आखिरकार पंद्रह दिनों में वाकई अंतरिक्ष में ॐ, ॐ की ध्वनि गूंज ही उठी। यह हमारे देशवासियों के लिए गर्व की बात है! हम इस खबर को पांच कालम का एंकर बनाकर छापेंगे तो तुम्हारी उस तस्वीर को भी थोड़ा सुधरवाकर सब जगह दो कालम में छपने को भेजेंगे। बधाई हो! तुम तो त्रिकालदर्शी निकले!
इसके बाद राजीव की प्रतिभा को ग्रुप एडिटर ने सराहा और अगले दिन सुबह मालिक गोलछा ने भी राजीव को बधाई संदेश भेजा। तब से राजीव पूरे ऑफिस में ‘त्रिकालदर्शी— के नाम से मशहूर हो गया और साल की इन्क्रीमेंट लिस्ट में उसका नाम सबसे ऊपर था।